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इस तथ्य को जान कर बड़ी ग्लानि हुई। अपने आप पर तरस आने लगा। खुद से कहा 'वा बेटे, अपने हिन्दी ब्लोग में नया पोस्ट कर के कितना खुश हो जाता है, अब पता चला तेरे हिन्दी ब्लोग की औकात!'
इसके बाद तख्ती में 'हिन्दी ब्लोग' टाइप तथा कॉपी करके वर्डट्रैकर में पेस्ट किया, हिट करने पर पता चला कि वर्डट्रैकर यूनीकोड को सपोर्ट ही नहीं करता।
फिर सोचा चलो यह भी देख लें कि hindi कीवर्ड को भी कोई खोजता है या नहीं। फिर से वर्डट्रैकर में hindi टाइप किया और हिट किया। इस बार परिणाम आया और कुछ संतोष हुआ।
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(आप चाहें तो यहाँ क्लिक करके वर्डट्रैकर में जाकर उपरोक्त प्रयोग कर सकते हैं।)
तो साहब! तथ्य उत्साहप्रद नहीं हैं और स्थिति निराशाजनक हैं पर ऐसा भी नहीं है कि स्थिति सुधर न सकती हो। हम सभी मिल कर अथक प्रयास करें, लोगों को नेट में हिन्दी पठन-पाठन के लिये प्रेरित करें तो स्थिति अवश्य ही सुधरेगी।
2 comments:
एक सार्थक प्रयास चल रहा है, उसमें योगदान की आवश्यक्ता है.
निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल। बिनु निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल॥ अँग्रेज़ी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन। पै निज भाषा-ज्ञान बिन, रहत हीन के हीन॥ भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
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