Monday, November 10, 2008

आखिर हिन्दी ब्लोग्स सामान्य पाठकों को कब आकर्षित करेंगे?

हिन्दी ब्लोग्स की टिप्पणियों को पढ़ कर यही प्रतीत होता है कि को आज भी केवल हिन्दी ब्लोगर्स ही एक दूसरे के ब्लोग्स को पढ़ते हैं। सामान्य पाठकों का उनके प्रति कोई आकर्षण कहीं पर भी दृष्टिगत नहीं होता। यह बात तो है कि अभी भी भारत में इंटरनेट का प्रयोग अपेक्षाकृत बहुत कम है। किन्तु यह भी सत्य है कि "ब्लोग" से अब लोग अपरिचित नहीं रहे हैं। अमिताभ बच्चन साहब के ब्लोग(जो कि अंग्रेजी में है) की सैकड़ों टिप्पणियाँ, जो कि सामान्य वर्ग के लोगों के द्वारा की गई होती हैं, सिद्ध करती हैं कि पाठकों की संख्या इतनी भी नगण्य नहीं है कि हमें हिन्दी ब्लोग्स के लिये पाठक ही न मिल पायें। अतः लगता है कि यदि कोई खामी है तो कहीं न कहीं हमारे ब्लोग लेखन में ही है। अब समय आ गया है कि हम अपने लेखन की स्वयं ही समालोचना करें और खामियों को दूर कर के कुछ ऐसा लिखें जो कि आम लोगों को आकर्षित कर सके।

9 comments:

Ghost Buster said...

विषय आधारित ब्लॉग्स और गंभीर जानकारियों का अभाव दूर होगा, तब !

rajiv maheshwari said...

अच्छा लिखा जाएगा तो पडनेवाले
भी मिलजायेगेrajiv12345

Anonymous said...

ब्लॉग बनाना और उसपर लिखना इतना सरल है की, लोग पाठक बनकर आते हैं और ब्लॉगर बन जाते हैं. मैं ख़ुद सामान्य पाठक के तौर पर ब्लॉग पढता था, पर दो माह के भीतर ही ख़ुद ब्लॉग बना कर लिखने लगा. और छह महीने बाद भी किसी ब्लोगर को मैं व्यक्तिगत रूप से नहीं जनता. तो यहाँ शायद ही कोई 'सामान्य पाठक' आपको मिले.

डॉ .अनुराग said...

सामान्य पाठक कौन है ?

संगीता पुरी said...

भले ही हम भाई बहन मिलकर ही एक दूसरों के ब्‍लाग पर टिप्‍पणियां करते हों , पर मेरा ख्‍याल है कि हर ब्‍लागस में सर्च इंजिन की सहायता से भी पाठक आने लगे हैं और यह संख्‍या अब धीरे धीरे बढेगी।

Unknown said...

स्थितियाँ धीरे-धीरे बदल रही हैं, अब अखबारों द्वारा भी हिन्दी ब्लॉग को नोटिस तो किया जा रहा है (चाहे मजबूरी में ही सही), मेरे 115 सब्स्क्राईबरों में से लगभग 80 ऐसे हैं जो "हिन्दी" ब्लॉगर नहीं हैं…

Rachna Singh said...

jab hindi bloging agregator ki besaakhi kae bina chalaegee tabhi badlaav aayega

Udan Tashtari said...

आने तो लगे हैं. जो आते हैं, आकर्षित होते है तो ब्लॉगर बन जाते हैं..उन्हें आप सामान्य न मान ब्लॉगर कहने लगते हैं..वैसे, आजकल गुगल सर्च आदि से बहुतेरे आते हैं.

Abhishek Ojha said...

धीरे-धीरे समय के साथ सुधार होगा !