महाराष्ट्र नेः रु.10 लाख(टाइम्स आफ इंडिया समाचार)
हरयाणा नेः रु.25 लाख
पंजाब नेः रु.1 करोड़
बिहार नेः रु.11 लाख
छत्तीसगढ़ नेः रु.1 लाख
मध्यप्रदेश नेः रु.5 लाख
चंडीगढ़ नेः रु.5 लाख
तमिलनाडु नेः रु.5 लाख
उड़ीसा नेः रु.5 लाख
केन्द्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद नेः भारतीय रेल के पहले दर्जे में मुफ्त यात्रा का गोल्डन पास (जो आजीवन जारी रहेगा)
BCCI नेः रु.25 लाख का चेक
दूसरा शूटर जो कि देश के हजारों लोगों की रक्षा करते हुये मर जाता है उसके परिवार को दिया जाता है रु.25 लाख(जी न्यूज)
तो कौन शूटर है असली हीरो?
4 comments:
कलियुग में ईनाम उसे दिया जाता है जिसकी प्रसिद्धि होने पर ईनाम देनेवाले को भी कुछ फायदा हो. असली हीरो कलियुग में वह है जिसमें ग्लैमर है. जो मातृभूमि के लिये मरता है उसे लोगों की शाबासी और दुआयें मिलती हैं - रुपया/पैसा कुछ नहीं मिलता. हमारी पुलीस के पास बंदूकें हैं ही कहाँ जो शूटिंग करे? हर हादसे के लिये कमांडो भी नहीं बुलवाये जा सकते.
पता नहीं, हम अपने आप को शामिल करना कब सीखेंगे ।
बिन्द्रा को जब राज्य सरकारों ने पुरुस्कृत किया तो यह उस समय का सच था । आज जो कुछ भी हो रहा है, यह इस समय का सच है । बिन्द्रा को पुरुस्कृत करने वाले तमाम लोग आज भी उसी स्थिति और हैसियत में हैं ।
बात कडवी है लेकिन सच है कि हमारा राष्ट्र् प्रेम केवल आपातकाल में ठाठें मारता है और शान्तिकाल में सो जाता है ।
शहीद यदि देश के हैं तो हम सब लोग सरकारों के भरोसे ही क्यों बैठे हैं ? धार्मिक आयोजनों में सैंकडों डिब्बे घी होम कर देने वाले लोग इस समय कहां हैं ? वे सब जानते हैं कि शहीद को मदद देने में उन्हें 'नाम' नहीं मिलता जबकि धर्म की सीढी पर चढकर वे सारी दुनिया को नजर आ सकते हैं ।
शहीद केवल सरकारों की जिम्मेदारी ही क्यों होते हैं ? हमारी जिम्मेदारी क्यों नहीं बनते ?
विष्णु जी ने बहुत सार्थक लिखा है। यह भारत बहुत विरोधाभासों का देश है।
बहुत अच आकलन किया आपने. सचाई तो यही है की हम ही बिंद्रा को बिंद्रा और धोनी को धोनी बनते हैं.
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