"अवधिया जी, लगता है कि अब ब्लोगर्स का भी पाश्चुराइजेशन करना पड़ेगा।" हमसे ललित शर्मा जी ने कहा जो कल एक विवाह समारोह में सम्मिलित होने के लिये रायपुर आये थे।
हमने पूछा, "क्यों भाई?"
"आपने अनुभव किया होगा कि ब्लोगर्स के आज का लेखन स्तर उनके पहले के लेखन स्तर से गिरता जा रहा है। आप तो जानते ही हैं कि दूध को कुछ समय रखने पर वह खराब हो जाता है किन्तु यदि उसे पाश्चुराइज्ड कर दिया जाये तो वह तीन से चार महीने तक खराब नहीं होता। ऐसे ही ब्लोगर्स को भी यदि पाश्चुराइज्ड कर दिया जाये तो उनका लेखन स्तर लंबे समय तक ज्यों का त्यों बना रहेगा।"
"बात में तो आपके दम है ललित जी! पर पहले यह बताइये कि आखिर ये पाश्चुराइजेशन है क्या बला?"
हमारे इस प्रश्न पर ललित जी ने बताया, "पाश्चुराइजेशन एक प्रक्रिया है जो भोजन में माइक्रोबियल विकास को धीमा कर देती है जिससे उसका खराब होना रुक जाता है। सबसे पहले भोजन को खराब होने से रोकने के प्रयोग फ्रांसीसी रसायनज्ञ और सूक्ष्मजीव विज्ञानी लुई पाश्चर ने किये थे इसलिये इस प्रक्रिया का नाम पाश्चुराइजेशन हो गया। वैसे अवधिया जी, आपकी जानकारी के लिये मैं बता दूँ कि पाश्चुराइजेशन बादाम, पनीर, क्रीम, अंडे, दूध, फलों के रस, मधुरस, डिब्बाबंद भोजन, सोया सॉस, बीयर, शराब आदि का किया जा सकता है। हमारे देश में प्रायः दूध का पाश्चुराइजेशन अधिक होता है और निकट भविष्य में ब्लोगर्स का भी अधिक से अधिक पाश्चुराइजेशन होने लगेगा।"
"तो ब्लोगर्स को पाश्चुराइज्ड करने के लिये क्या योजना बनाई है आपने?"
"सबसे पहले तो अवधिया जी, किसी एक ब्लोगर पर पाश्चुराइजेशन का प्रयोग किया जायेगा। यह तो आप मानेंगे ही कि आपका लेखन स्तर दिनों दिन गिरते ही जा रहा है। इसलिये मैंने सोचा है कि यह प्रयोग आप पर ही किया जाये। आप पर प्रयोग करने के दो फायदे हैं, एक तो यह कि हमें हमारे बुजुर्ग ब्लोगर से स्तर के पोस्ट मिलते रहेंगे और दूसरा यह कि यदि प्रयोग में कुछ गड़बड़ी हो जाये और आपका पाश्चुराइजेशन होने के बजाय परलोकगमन हो जाये तो भी हिन्दी ब्लोगजगत को कोई विशेष क्षति नहीं होगी। हाँ तो आपके पाश्चुराइजेशन के लिये आपको लोहे के पाइप के भीतर रखकर उसे 15-20 सेकंड के लिए 71.7 डिग्री सेल्सियस (161 ° एफ) के लिए गर्म किया जायेगा। उसके बाद आपको पैकेज्ड कर दिया जायेगा। तीन माह बाद आपको पैकेज से निकाल कर आपके लेखन स्तर को चेक किया जायेगा। बस इतना छोटा सा ही तो प्रयोग है। प्रयोग के सफल हो जाने पर ब्लोगर्स पाश्चुराइजेशन प्लांट भी बना लिया जायेगा।"
"ललित भाई, आप तो हमें बख्श ही दो। आप कहें तो हम ब्लोगिंग ही छोड़ देंगे पर अपने ऊपर ये प्रयोग नहीं होने देंगे।"
"अवधिया जी, इतनी जल्दी निर्णय मत ले लीजिये। जरा सोचिये कि आपके इस कार्य के लिये भविष्य में हिन्दी ब्लोगजगत में आपका कितना नाम होगा। फिलहाल तो मैं कुछ दिनों के लिये दिल्ली जा रहा हूँ तब तक आप अच्छे से सोच लीजियेगा फिर अपना निर्णय बताइयेगा।"
इतना कहकर उन्होंने हमसे विदा लिया और हम सोच रहे हैं कि क्या निर्णय लिया जाये।
16 comments:
मुझे मालूम था , ये ललित जी आपको अच्छी सलाह नहीं देने वाले :) :)
अच्छी तरह सोच लीजियेगा, अवधिया जी, कुछ भी हो सकता है ........... हाँ यह बात तो ललित जी ठीक ही कह रहे है कि नाम आपका बहुत होगा चाहे प्रयोग सफल हो या ना हो !! :०
हा हा हा हा ललित भाई के खोपड़ी कहाँ कहाँ नई रेन्गे। बड़का सियान ले परयोग शुरु करहू कथे। वैसे बने कहाथे जी। एक किसम से हमर बर इशारा आय कि लिखते च मत रहो आँय बाँय कहिके।
वैसे ललित भाई की सलाह बहुत मार्के की रहती है।
आम मुझसे ज्यादा जानते हैं।
सही है, इस चक्कर में अब लोग बुजुर्ग ब्लॉगर कहलवाने से बचेंगे। आप भी बचिए।
घुघूती बासूती
हम आपकी जगह होते तो कब के इस सलाह पर अमल कर चुके होते....मानवता की भलाई के रस्ते पर चलते हुए यदि प्राणों की आहुति भी देनी पड जाए तो इस से बढकर पुण्य का कार्य भला ओर क्या हो सकता है... :-)
:)
कक्षा पांचवी के विज्ञान पुस्तक याद आई '..... आवो करके देखें.'
धुरंधर लिख्खाड़ों के लिए किसी पाश्चुराइजेशन की आवश्यकता नहीं गुरूदेव आपका अकेला बाल्मीकि रामायण एक तरफ और हा-हा-ही-ही वाले हजारों ब्लॉग दूसरी तरफ। शुभकामनांए.
आपका पाश्चुराइजेशन होने के बजाय परलोकगमन हो यह बात १००% सही है, अजी थोडे दिन डटे रहो, इस फ़ोजी भाई की बातो मै मत आये, मै हरियाण्ने वालो को अच्छी तरह जानता हुं, तो भाई बचो इन ताऊ बुद्धि से:) ओर सभी आप को बलि का बकरा बनाने पर उतारू है जी... क्या जमाना आ गया, अरे कोई प्रयोग ही करना है तो किसी अनामी बेनामी को पकड कर करो.....वेसे आप अभी ५०, ६० साल तक खराब नही होते जी:)
अवधिया जी , सोच लीजिये , टोर्च बियरर बनने का अच्छा अवसर है ।
ललित भाई बड़ा धाँसू आइडिया लेकर आये हैं । अब दिल्ली से कुछ और भी सीखकर जायेंगे ।
अवधिया जी आपका लेखन तो दिनों दिन टामपटाप होता जारहा है. आप हरगिज तैयार मत होना. इतने हाई टेंपरेचर के लिये किसी मोटी चमडी वाले को खोजना पडेगा. और ललित जी के लिये यह काम मुश्किल नही है.
रामराम
मुझे मालूम था , ये ललित जी आपको अच्छी सलाह नहीं देने वाले :) :)
... तो आजकल यहाँ चिन्ता का विषय ब्लॉगरों का लेखन स्तर हो गया है? खामख़ा चिन्ता कर रहे हैं। एक से एक नयी प्रतिभाएं मैदान में आती रहेंगी और पुराने दिग्गज अपनी यूएसपी संजोकर आगे बढ़ते रहेंगे।
ऐसे खूंखार प्रयोग करने की क्या जरूरत?
क्या कहें
हम क्या कहे हमे तो ललित भैया ने कहा हो कि आप आलरेडी पाश्चुराइज़्ड हो ....
बढ़िया सलाह दे दी ये तो ....चलो देखते है असर प्रयोग का :)
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