Friday, May 21, 2010

आपसे एक सवाल, यदि आपकी शादी हो चुकी है

शादी-विवाह का सीज़न चल रहा है आजकल। अक्षय तृतीया के रोज से ही खूब जोर शुरू हो गया है शादियों का। कहीं बारात ले जाने की तैयारी चल रही है तो कहीं बारात स्वागत् की। इन सबको देखकर याद आया कि चौंतीस साल पहले हम भी इस प्रक्रिया से गुजरे थे और विवाह के समय पण्डित जी ने हमसे हमारी श्रीमती जी को सात वचन दिलवाये थे और हमें भी उनसे एक वचन दिलवाया था।

तो आज हमने उन वचनों को याद करने का बहुत प्रयास किया किन्तु एक वचन भी याद नहीं आ सका (सठिया जाने के कारण स्मरणशक्ति का कमजोर हो जाना ही इसका कारण हो सकता है)। और उन वचनों को जानने की जिज्ञासा है कि शान्त ही नहीं हो पा रही है।

तो बन्धुओं आप लोगों से हमारा सवाल है कि क्या आपको वे वचन याद हैं? यदि हैं तो कृपया हमें भी बताने का कष्ट करें।

21 comments:

Anil Pusadkar said...

इस बारे मे मैं क्या बता सकता हूं अवधिया जी।

honesty project democracy said...

सार्थक प्रस्तुती ,ठीक-ठीक तो शब्दों में नहीं बता सकता ,लेकिन इतना कह सकता हूँ की ये सातों बचन एक दूसरे के प्रति समर्पण,विश्वास और मानवीय उसूलों को ऊँचा उठाने की प्रेरणा के लिए लिए जाते हैं / अवधिया जी आज हमें आपसे सहयोग की अपेक्षा है और हम चाहते हैं की इंसानियत की मुहीम में आप भी अपना योगदान दें ,कुछ ईमेल भेजकर / पढ़ें इस पोस्ट को और हर संभव अपनी तरफ से प्रयास करें ------ http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/05/blog-post_20.html

शिवम् मिश्रा said...

माफ़ कीजियेगा सब के सब तो याद नहीं है ...............हाँ आज के दौर का सब से जरूरी वचन याद है ...............अपने जीवन साथी की सभी जरूरतों का ख्याल रखना !!

राज भाटिय़ा said...

जी.के. अवधिया जी हमे वचन तो कोई भी याद नही क्योकि वो तो पंडित जी ने जवर्दस्ती सब के सामने कहलवाये थे, लेकिन आज हम २२,२३ साल से साथ रह रहे है, ओर एक पल की दुरी भी नही सहन कर सकते, एक दुसरे की जरुरतो का बहुत ध्यान रखते है, किचन को छोड कर, वहां एक वचन वाली का अधिकार है,ज्यादा कुछ नही कहुंगा, ओर बच्चे भी हमारी तरह से ही है,

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

इस बारे मे मैं क्या बता सकता हूं अवधिया जी।

संजय बेंगाणी said...

शादी के बाद कहाँ कुछ याद रहता है, बस हाँ में हाँ मिलानी होती है. वही कर रहे है.

वैसे हमारी शादी वैदिक रित से नहीं हुई तो वचन कुछ अलग हो सकते है. पराई औरत को गलत निगाह से न देखने, सम्पति में बराबर का हिस्सा देने, धार्मिक विश्वास पर आधात न करने, कमाई चरणों में धर देने जैसी बाते याद है. बातें है बातों का क्या?

डॉ टी एस दराल said...

अवधिया जी , भला कौन दूल्हा पंडित के वचन सुनता है । सारा ध्यान तो दुल्हन की तरफ होता है । :)
वैसे राज भाटिया जी ने सारी राज़ की बात कह दी ।

M VERMA said...

वचन अमल के लिये होते नहीं या अमल किये नहीं जाते इसलिये याद कैसे रहें. मैनें ऐसा कोई वचन नहीं दिया था कोर्ट में शादी किया था.

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

अवधिया जी, हमें तो चौबीस घंटे ये सातों वचन याद रहते हैं. हालाँकि जब अविवाहित थे, तब भी याद थे :-)
1. यदि यज्ञं कुर्यात्तस्मिन्मम सम्मतिं गृ्हणीयात
प्रथम जो यज्ञ करें, उसमें मेरी सम्मति लें
2. यदि दानं कुर्यात्तस्मिन्नपि मम सम्मति गृ्हणियात
दूसरे जो दान करें, उसमें भी मेरी सम्मति लें
3. अवस्थात्रये मम पालनां कुर्यात
तीसरे जो तीन अवस्थाएं हैं, युवा, प्रौढ, वृ्द्धावस्था, इन तीनों अवस्थाओं में मेरा पालन करें.
4.धनादिगोपने मम सम्मतिं गृ्हणीयात
चौथे धनादि कहीं गुप्त रूप से संचय करें तो भी मेरी सम्मति लें
5. गवादि पशु क्रय-विक्रये मम सम्मतिं गृ्हणीयात
पाँचवें गाय, बैल, घोडा आदि पशुओं(वर्तमान में वाहनादि) के क्रय विक्रय में भी मेरी सम्मति लें
6. बसन्तादि षटऋतुषु मम पालनं कुर्यात
छ्ठवें वसन्त, ग्रीष्म,वर्षा, शरद,हेमन्त,शिशिर इन छहों ऋतुओं में मेरी पालना करें
7. सखीष्य मम हास्यं कटुवाक्यम न वदेत न कुर्यात! तद्दहं भवतां वामांगें आगच्छामि
सातवें मेरे साथ की सखी सहेलियों के सामने मेरी हँसीं न उडाएं और न ही कठोर कटु वचनों का प्रयोग करें तो ही मैं आपके वामांग में आ सकती हूँ......

Unknown said...

@ पं.डी.के.शर्मा"वत्स"

पण्डित जी, मुझे विश्वास था कि आपसे अवश्य ही सवाल का जवाब मिलेगा!

आपने वह वचन नहीं बताया जो अन्त में वर वधू से लेता है।

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

अवधिया जी, अन्त में वर वधु से चार वाक्यों का एक वचन माँगता है:-
उद्याने मद्यपाने च पितागृ्हगमनेन च
आज्ञा भंगो न कर्तव्यं वरवाक्यचतुष्टयकम!!

अर्थात निर्जन स्थान, उद्यान, वनादि में न जाए, दूसरे मद्य(शराब) पीने वाले मनुष्य के सामने न जाए, तीसरे यहाँ तक कि अपने पिता के घर भी मेरी आज्ञा के बिना न जाए, चौथे धर्म शास्त्रोचित कभी भी मेरी आज्ञा भंग न करे तो ही तुम मेरे वामांग में स्थान ग्रहण कर सकती हो...

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

वर द्वारा वचन रूप में जिस श्लोक का उच्चारण किया जाता है, वास्तव में यह बहुत बाद में प्रचलन में आया श्लोक है...मूल श्लोक इस से बहुत भिन्न हैं,जिसमें वधू से भी वर की भान्ती सात ही वचन लिए जाते हैं, जब कि प्रचलित श्लोक में सिर्फ 4 ही वाक्य हैं...
मूलमन्त्र:-
आदौ धर्मधरा कुटुम्बसुखदा मिष्टाप्रिय भाषिणी
क्रोधालस्यनिवारिका सुखकरा आज्ञानुगावर्तिनी
शास्त्रनन्दयवृ्द्धशासनपरा धर्मानुगा सादरम
एते सौम्यगुणा वसन्ति सततं वामेहि सा त्वं भव!!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

बहुत साल पहले की बात है अवधिया साहब, यहाँ शाम को ये याद नहीं रहता की सुबह नाश्ते में बीबी ने प्यार से क्या खिलाया था !:)

डॉ टी एस दराल said...

पंडित जी , बड़े कठोर वचन हैं ।
शायद इसीलिए पालन नहीं होते ।

विजय प्रकाश सिंह said...

क्या बात है सर, घर पर इम्तहान का पर्चा मिला और उसे भाई लोगों से हल करवा कर नम्बर बनाने की कोशिश मे हैं क्या ? सच सच बताइये ? जवाब का इन्तज़ार रहेगा ।

sandeep sharma said...

जैसा की मैंने सोचा था... पंडित जी ही इस सवाल का जवाब देंगे... और वही हुआ..
सातों वचन याद दिलाने के लिए आपका और पंडित जी का धन्यवाद....

Satish Chandra Satyarthi said...

पोस्ट कुंवारों के लिए भी काफी उपयोगी हैं ;) पं.डी.के.शर्मा"वत्स" को धन्यवाद इतने सुन्दर उत्तर के लिए..

वैसे वर द्वारा लिया जाने वाला एक वचन ही 'सौ सुनार की.. एक लुहार की' जैसा है. ;)

Arvind Mishra said...

पंडित वत्स का बहुत आभार !बाद के श्लोक का कृपया अनुवाद करें !

सतीश पंचम said...

बहुत दिनों बाद यह बातें फिर से याद दिलाने का शुक्रिया।

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

@ अरविन्द मिश्र जी,
उपरोक्त श्लोक का अर्थ है:-
1. प्रथम तो हमारे कुल का जो धर्म है उसे तूँ धारण करे, तो मेरे बायें अंग आ
2. हमारा जो कुटुम्ब है उसको सुख दे, तो बायें अंग आ
3. मीठा वचन उच्चारण करे और क्रोध आलस्य का निवारण करे तथा धर्मानुकूल वृ्द्धजनों उपदेश को सादर स्वीकार करें तो बायें अंग आ
4. यश और सुख दे तो बायें अंग आ
5. मेरी आज्ञा का पालन करे तो बायें अंग आ
6. मेरे जो माता-पिता हैं, उनकी सेवा-सुश्रणा करे तो बायें अंग आ
7. मेरे जो भ्राता भगिनी हैं, उनसे क्रोध न करे तो बायें अंग आ.......ये समस्त गुण तुम्हारे में हों तो बायें अंग आ सकती हो..

विवेक रस्तोगी said...

हमें तो लगता है कि इन वचनों को बड़े बड़े अक्षरों में प्रिंट करवाकर घर में लगवा लेना चाहिये तो घर में झगड़े ही न हो। पति पत्नि दोनों भूल जाते हैं कि क्या वचन दिये थे।