Wednesday, November 10, 2010

मान सहित मरिबो भलो… अपमान सहकर जीने से सम्मान के साथ मर जाना अच्छा है

रहिमन मोहि न सुहाय, अमिय पियावत मान बिनु।
बरु विष देय बुलाय, मान सहित मरिबो भलो॥


रहीम कवि कहते हैं कि यदि कोई बिना सम्मान के अमृत भी पिलाता है तो मुझे अच्छा नहीं लगता। यदि प्रेम से बुलाकर विष भी दे तो अधिक अच्छा है क्योंकि उससे सम्मान के साथ मृत्यु प्राप्त होगी।

7 comments:

उम्मतें said...

वे सही कह रहे हैं !

महेन्‍द्र वर्मा said...

रहीम के नीतिपरक दोहों का कोई जवाब नहीं।
इस प्रस्तुति के लिए धन्यवाद।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

नेता तो कुर्सी के लिये कुछ भी पी सकते हैं किसी भी माहौल में...

प्रवीण पाण्डेय said...

सशक्त संदेश।

Satish Saxena said...

वाह वाह !
भाई जी आनंद आ गया !

arvind said...

vaah...bahut satik baat kahi hai aapne.

Unknown said...

Gajab