ब्लोग टिप्पणियों पर बहस न केवल हिन्दी ब्लोगर्स के बीच होता है बल्कि अंग्रेजी ब्लोगर्स भी इस विषय पर बहस करते हैं, उदाहरण के लिए आप इस अंग्रेजी पोस्ट को देख सकते हैं - A New Debate on Blog Comments is Brewing ।
अंग्रेजी के लोकप्रिय ब्लोगर सेठ गॉडिन के ब्लोग में टिप्पणी करने का प्रावधान बंद रहता है जबकि उनके पाठक उनसे टिप्पणी बॉक्स खोलने का आग्रह करते रहते हैं। अपने पोस्ट Why I don't have comments में वे बताते हैं कि उन्हें टिप्पणियाँ क्यों नहीं चाहिए। उनका कहना है कि टिप्पणियों में उठाई गई आपत्तियाँ उन्हें विवश करती हैं कि वे उन आपत्तियों का जवाब दें जिसके लिए उनके पास समय नहीं है। साथ ही वे समझते हैं कि टिप्पणियों से प्रभावित होकर कहीं वे आम पाठकों के लिए लिखना छोड़ कर सिर्फ टिप्पणीकर्ताओं के लिए ही लिखना न शुरू कर बैठें।
अंग्रेजी का मशहूर ब्लोग एनगाडगेट (Engadget) एक और उदाहरण है जिसने अपने पाठकों के लिए टिप्पणियों का विकल्प बंद कर दिया। अपने पोस्ट We're turning comments off for a bit में वे कहते हैं पिछले कुछ दिनों से उन्हें एक बहुत बड़ी तादाद में टिप्पणियाँ मिल रही हैं जिनमें से अधिकतर उनके पाठकों की टिप्पणियाँ न होकर अन्य लोगों की होती हैं और उनमें उनके लोकप्रिय ब्लोग के लिए विरोधपूर्ण स्वर होते हैं।
ब्लोग में टिप्पणियों का विकल्प रखने का मुख्य उद्देश्य है ब्लोगर और उसके पाठकों के बीच सीधे संवाद स्थापित करके ब्लोग को सामाजिक रूप से अधिक से अधिक शक्तिशाली तथा उपयोगी बनाना। पोस्ट के जरिए की गई ब्लोगर की अभिव्यक्ति के प्रतिक्रियास्वरूप पाठकों के मस्तिष्क में जो विचार आते हैं, उन विचारों से ब्लोगर को अवगत कराने की सुविधा पाठकों को उपलब्ध कराना ही टिप्पणी विकल्प का कार्य होता है।
किन्तु, जैसा कि आप जानते ही हैं कि, लोग किसी भी अच्छे उद्देश्य के लिए बनाई गई चीज का दुरुपयोग करने के रास्ते निकाल ही लेते हैं। ब्लोग टिप्पणी विकल्प के साथ भी ऐसा ही हो रहा है। टिप्पणियों के माध्यम से कोई किसी ब्लोगर से अपना विरोध जताता है तो कोई किसी ब्लोगर या स्वयं को लोकप्रिय बनाने के लिए टिप्पणियों का प्रयोग करता है।
कितना अच्छा हो यदि लोग टिप्पणियों का प्रयोग अपना तुच्छ स्वार्थ सिद्ध करने के लिए न करके केवल सामाजिक उन्नति के लिए ही करें।
14 comments:
ज़रूरी नहीं कि हर पढ़ने वाले से प्रतिक्रिया की उम्मीद की ही जाए :)
दुनिया में भांति-भांति के लोग है, उनकी मानसिकताएं हैं। सभी कुछ रहेगा, केवल अच्छा ही रहा तो अच्छे को परिभाषित कैसे करोगे। किसी भी विषय पर लोगों के विचार आने ही चाहिएं।
कितना अच्छा हो यदि लोग टिप्पणियों का प्रयोग अपना तुच्छ स्वार्थ सिद्ध करने के लिए न करके केवल सामाजिक उन्नति के लिए ही करें।
..bilkul sahi baat.. par kyare karen kisi kee soch par kiska bash chalta hai..
किन चक्करों में उलझ गये साहब...
अजीत गुप्ता जी की बात से पूर्णतया सहमत ..
टिप्पणी का विकल्प खुला रखने में ही ब्लॉग के बारे में पता चलता है।
सकारात्मक टिप्पणियों के साथ ही आलोचनात्मक टिप्पणिया भी ब्लॉग को और सार्थक ही बनाती है विचारो को एक नया रूप ही देती है यदि वो दुर्भावना से ना दी गई हो तो |
सब जैसा है वैसा ही रहेगा स्वयमेव बदलेंगी स्थितियां किंतु हमारे विचार से मेल खाए ज़रूरी नहीं
कार्तिक पूर्णिमा एवं प्रकाश उत्सव की आपको बहुत बहुत बधाई !
टिप्पणियों में विरोध का स्वर- यह तो पापुलरिटी की पहचान है.
कबीरा इस संसार में भांति भांति के लोग....अब क्या करें?
ऐसा भी होता है, मन को मना रहे हैं कम टिप्पणी पाकर उदास ना हो रे मेरे मन.
ब्लॉग पर टिप्पणी पा कर प्रोत्साहन ही मिलता है |इसमें बुरा क्या है ? कई बार त्रुटियाँ भी सुधर जाती हें |अच्छा लेख| बधाई |
आशा
टिप्पणी का क्या है जो करे उसका भी भला जो न करे उसका भी भला ।
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