क्रिकेट, भारत का राष्ट्रीय खेल न होने के बावूद भी, आज देश में सर्वाधिक लोकप्रिय खेल है। भारत में क्रिकेट के इतिहास पर यदि नजर डालें तो पता चलता है कि भारत में क्रिकेट के अस्तित्व का आधार वहाँ पर ब्रिटिश राज का पनपना और उसका विकास होना ही रहा है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार भारत में सन् 1721 में ईस्ट इण्डिया कंपनी के अंग्रेज नौकाचालकों द्वारा बड़ोदा के निकट कॉम्बे में पहली बार क्रिकेट खेलने का निश्चित सन्दर्भ मिलता है। यद्यपि कलकत्ता क्रिकेट एवं फुटबाल क्लब सन् 1792 में अस्तित्व में आया किन्तु सम्भवतः इस क्ब की स्थापना उससे पहले ही हो चुकी थी। अंग्रेजों के द्वारा टीपू सुल्तान की घेराबन्दी करके पराजित करने के पश्चात् सन् 1799 में दक्षिण भारत के श्रीरंगापटनम् एक और क्लब स्थापित किया। सन् 1864 में मद्रास और कलकत्ता के मध्य हुए मैच को भारत में प्रथम श्रेणी के क्रिकेट का आरम्भ माना जा सकता है। 19 वीं सदी में मुंबई में हुए त्रिकोणीय और चतुष्कोणीय मैचों की भारत में क्रिकेट को स्थिरता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका रही।
भारतीयों में बंबई के अल्पसंख्यक पारसियों ने सर्वप्रथम उच्च स्तरीय क्रिकेट खेल का प्रदर्शन किया। सन् 1892 में एक क्रकेट मैच पारसियों तथा यूरोपियन्स के मध्य खेला गया, सन् 1907 और 1912 में क्रमशः हिन्दू और मुस्लिम टीम्स भी इस प्रतियोगिता में शामिल हो गए। पलवनकर बन्धु, शिवराम, गनपत और विट्ठल क्रिकेट के स्टार माने जाने लगे। उल्लेखनीय है कि पलवनकर बन्धु उस जाति से सम्बन्धित थे जिसे उस जमाने में अछूत समझा जाता था, किन्तु क्रिकेट के खेल में उन्हें बराबरी का दर्जा प्रदान किया गया।
सन् 1929 में 'बोर्ड ऑफ कन्ट्रोल फॉर क्रिकेट इन इण्डिया' (Board of Control for Cricket in India) की स्थापना हुई जिसके तत्वावधान में पहली बार टेस्ट मैच का आयोजन हुआ। सन् 1935 में रनजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) का आरम्भ हुआ जो कि आज तक जारी है।
भारतीय क्रिकेट टीम सन् 1983 में पहली बार विश्व चैम्पियन बनी, सन् 2003 में पुनः वर्ल्ड कप के फायनल मैच में पहुँची किन्तु भाग्य ने साथ नहीं दिया और फायनल मैच गई किन्तु आज सन् 2011 में उसे पुनः विश्व चैम्पियन बनने का अवसर प्राप्त हुआ।
भारतीयों में बंबई के अल्पसंख्यक पारसियों ने सर्वप्रथम उच्च स्तरीय क्रिकेट खेल का प्रदर्शन किया। सन् 1892 में एक क्रकेट मैच पारसियों तथा यूरोपियन्स के मध्य खेला गया, सन् 1907 और 1912 में क्रमशः हिन्दू और मुस्लिम टीम्स भी इस प्रतियोगिता में शामिल हो गए। पलवनकर बन्धु, शिवराम, गनपत और विट्ठल क्रिकेट के स्टार माने जाने लगे। उल्लेखनीय है कि पलवनकर बन्धु उस जाति से सम्बन्धित थे जिसे उस जमाने में अछूत समझा जाता था, किन्तु क्रिकेट के खेल में उन्हें बराबरी का दर्जा प्रदान किया गया।
सन् 1929 में 'बोर्ड ऑफ कन्ट्रोल फॉर क्रिकेट इन इण्डिया' (Board of Control for Cricket in India) की स्थापना हुई जिसके तत्वावधान में पहली बार टेस्ट मैच का आयोजन हुआ। सन् 1935 में रनजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) का आरम्भ हुआ जो कि आज तक जारी है।
भारतीय क्रिकेट टीम सन् 1983 में पहली बार विश्व चैम्पियन बनी, सन् 2003 में पुनः वर्ल्ड कप के फायनल मैच में पहुँची किन्तु भाग्य ने साथ नहीं दिया और फायनल मैच गई किन्तु आज सन् 2011 में उसे पुनः विश्व चैम्पियन बनने का अवसर प्राप्त हुआ।
4 comments:
cricket ke baare me nayi jaankari ke liye dhanyavaad.
'और फायनल मैच गई' में हार शब्द शायद आपसे लिखा नहीं गया या छूट गया.
बहुत ही काम की जानकारी दी सर ।
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