Thursday, June 23, 2011

सरकार ने देश के हर परिवार को प्रति माह प्रतिव्यक्ति रु.500.00 के हिसाब से सहायता राशि देने की घोषणा कर रखी है किन्तु उसे लेने के लिए कोई दावेदार नहीं मिल रहा है

सरकार ने देश के हर परिवार को प्रति माह प्रतिव्यक्ति रु.500.00 के हिसाब से सहायता राशि देने की घोषणा कर रखी है किन्तु उसे लेने के लिए कोई दावेदार नहीं मिल रहा है क्योंकि हर कोई अपनी आमदनी से इतना खुश और सन्तुष्ट है कि उसे इस अतिरिक्त राशि की परवाह ही नहीं है।

यदि कोई व्यक्ति किसी दूकान से कुछ खरीदी करता है तो दूकानदार उसे ईमानदारी के साथ रसीद दे देता है क्योंकि सेल्स टैक्स की दर अलग-अलग सामानों के लिए मात्र 0.2% से 1% तक ही है इसलिए व्यापारी खुशी के साथ टैक्स पटा देने के लिए तैयार है। आयकर की दर भी बहुत कम हो गई है जिसके कारण देश का प्रत्येक व्यक्ति खुशी-खुशी आयकर पटाने के लिए तैयार है। टैक्स की चोरी बिल्कुल बंद हो गई है।

देश भर में मुफ्त प्राथमिक शिक्षा दी जा रही है, माध्यमिक और उच्चतर शिक्षा के लिए नाममात्र फीस चुकानी पड़ती है तथा उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए भी बहुत अधिक रकम खर्च नहीं करना पड़ता। सारे शिक्षण संस्थान स्वायत्तशासी निगम के अन्तर्गत संचालित हो रहे हैं तथा देश में लोगों को लूट लेने वाली कोई भी निजी शिक्षा संस्थान नहीं है। गरीब से गरीब परिवार का बच्चा भी शिक्षा से वंचित नहीं है। शिक्षा नीति भी भारत के प्राचीन तथा अर्वाचीन संस्कृति तथा सद्विचार पर आधारित है इसलिए देश का प्रत्येक व्यक्ति देश प्रेम की भावना से सराबोर है।

प्रत्येक व्यक्ति के लिए अच्छी से अच्छी चिकित्सा सुविधा मुफ्त या नाममात्र के खर्च पर उपलब्ध है।

देश की सभी प्रमुख सड़कें फोरलेन हैं, गाँव-गाँव तक भी जाने पर एक भी कच्ची सड़क नजर नहीं आती। खेतों में फसल लहलहा रहे हैं, हर किसान साल में कम से कम तीन फसल पैदा कर रहा है।

यह सब इसलिए सम्भव हो पाया है क्योंकि विदेशों में जमा भारत के लगभग 280 लाख करोड़ रुपये वापस देश में आ चुके हैं, चोरों और बेईमानों को उनकी करनी की सजा मिल चुकी है तथा देश का संचालन पूरी तरह से ईमानदार लोगों के हाथ में हैं।

ऐसी ही खुशहाली की बहुत सारी बातें मेरे समक्ष दिखाई दे रहीं थीं कि एक आवाज आती है, "यदि किसी ने भी आगे अनशन की तो उसे कुचल दिया जाएगा"। इस आवाज से मेरी नींद खुल जाती है। घड़ी देखता हूँ तो सुबह के पाँच बजे हैं।

तो यह सपना था! सोचने लगता हूँ "अजब बेवकूफ हूँ मैं - कैसे कैसे सपने देख लेता हूँ"।

3 comments:

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

अगर सपना साकार हो जाए तो क्या पूछना।

संगीता पुरी said...

सपने तो साकार होते ही हैं .. देर होती है अंधेर नहीं !!

प्रवीण पाण्डेय said...

सपना देख लिया है, अब सच भी होगा।