महिलाओं के लिए उत्तर भारत में जो महत्व करवा चौथ का है वही महत्व छत्तीसगढ़ की महिलाओं के लिए तीजा का है। भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की तृतीया का दिन छत्तीसगढ़ में "तीजा" के नाम से जाना जाता है। इस दिन छत्तीसगढ़ की समस्त महिलाएँ, चाहे वे कुमारी हों या विवाहित, निर्जला व्रत रख कर रात्रि जागरण और गौरी-शंकर की पूजा करती हैं। इस व्रत-पूजन का उद्देश्य होता है - विवाहित महिलाओं का अपने लिए अखण्ड सौभाग्य की कामना करना और कुमारियों के लिए अपने हेतु सुयोग्य वर की प्राप्ति। मान्यता है कि आज के दिन ही शिव-पार्वती का विवाह हुआ था। छत्तीसगढ़ में तीजा व्रत की अत्यधिक मान्यता है। इस व्रत को मायके में ही आकर रखा जाता है। यदि किसी कारणवश मायके आना नहीं हो पाता तो भी व्रत तोड़ने के लिये मायके से जल और फलाहार का आना आवश्यक होता है क्योंकि इस व्रत को मायके के ही जल पीकर तोड़ा जाता है।
महिलाएँ रात भर जागरण करके भजन-पूजन करती हैं और भोर होने के बाद अपना व्रत तोड़ती हैं।
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अखंड सौभाग्यवती भव
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