है बिखेर देती वसुन्धरा मोती सबके सोने पर
रवि बटोर लेता है उनको सदा सवेरा होने पर
और विरामदायिनी अपनी सन्ध्या को दे जाता है
शून्य-श्याम-तनु जिससे उसका नया रूप छलकाता है!
नवरात्रि पर्व समाप्त हो चुका है। असत्य पर सत्य के विजय के रूप में अहंकारी रावण का पुतला दहन हो चुका है। और हिन्दू पंचांग के हिसाब से आश्विन माह की पूर्णिमा अर्थात् शरद् पूर्णिमा का आगमन हुआ है। शरद् पूर्णिमा को हिन्दू मान्यताओं में विशिष्ट स्थान प्राप्त है क्योंकि इस विशिष्ट पूर्णिमा की रात्रि में चन्द्रमा का संयोग, समस्त नक्षत्रों में प्रथम नक्षत्र, अश्वनी नक्षत्र से होता है। अश्वनी नक्षत्र के स्वामी आरोग्यदाता अश्वनीकुमार हैं। शरद् पूर्णिमा को भारत में एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। महिलाएँ इस दिन कौमुदी व्रत, जिसे कि कोजागर व्रत के नाम से भी जाना जाता है, धारण करती हैं।
(चित्र देशीकमेंट.कॉम से साभार)
शरद पूर्णिमा को गुरु-शिष्य परम्परा का भी एक विशिष्ट दिन माना जाता है तथा इस रोज शिष्य अपने गुरु से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि राधा ने कृष्ण को शरद पूर्णिमा से ही नृत्य की शिक्षा देना प्रारम्भ किया था, तभी तो "चन्द्रप्रभा" लिखते हैं -
जमुना पुलिन निकट वंशीवट
शरद रैन उजियारी हरि को नचन सिखावैं राधा प्यारी।
शरद पूर्णिमा की रात को रास की रात भी कहा जाता है क्योंकि श्री कृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात्रि को रासलीला रचाया था।
पौराणिक मान्ताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात्रि को चन्द्रमा अपनी समस्त सोलह कलाओं से युक्त होता है और इस रात्रि में चन्द्र की शुभ्र ज्योत्सना शीतलता के साथ सुधा की वृष्टि करती है, इसीलिए शायद चन्द्रमा का एक नाम 'सुधाकर' भी है। चन्द्रमा के अन्य नाम हैं - चन्द्र, शशि, शशी, शशांक, सुधांशु, शुभ्रांशु, हिमांशु, निशापति, कलानिधि, इन्दु और सोम। हिन्दू मन्दिरों में शरद पूर्णिमा की अर्धरात्रि को देवी-देवताओं के पूजन के पश्चात् पायस (खीर) का प्रसाद वितरण किया जाता है। शरद पूर्णिमा की सन्ध्या में लोग अपने अपने घरों में खीर बनाकर उसे ऐसे स्थान में रखते हैं जहाँ पर उस पर चन्द्रमा की किरणें पड़ती रहें ताकि वह खीर अमृतमय हो जाए। अर्धरात्रि में उस अमृतमय खीर का सेवन किया जाता है।
आप सभी को शरद् पूर्णिमा की शुभकामनाएँ देते हुए मैं कामना करता हूँ कि इस शरद ऋतु के साथ ही साथ यह पूरा वर्ष आपके लिए मंगलमय हो!
2 comments:
शरदपूर्णिमा की खीर अब तक याद है।
शुभकामनायें ...
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