नरक चौदस के साथ अनेक पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं जिनमें से एक नरकासुर वध की कथा भी है। कहा जाता है कि नरक चौदस के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। प्राग्ज्योतिषपुर में राज्य करने वाला नरकासुर एक अत्यन्त ही क्रूर असुर था। उसने इन्द्र, वरुण, अग्नि, वायु आदि सभी देवताओं को परास्त किया था तथा सोलह हजार देवकन्याओं का हरण कर रखा था। देवताओं की प्रार्थना पर भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर से वध करके उसका संहार किया और उन सोलह हजार कन्याओं को मुक्ति दिलाई। उन समस्त कन्याओं ने अपने मुक्तिदाता श्री कृष्ण को पति रूप में स्वीकार किया। नरकासुर का वध करने के कारण ही श्री कृष्ण को 'नरकारि' के नाम से भी जाना जाता है, 'नरकारि' शब्द नरक तथा अरि के मेल से बना हुआ है, नरक अर्थात नरकासुर और अरि का अर्थ है शत्रु। नरकासुर का मित्र मुर नामक असुर का भी श्री कृष्ण ने वध किया था इसलिए उनका नाम 'मुरारि' भी है।
नरकासुर का अत्याचार रूपी तिमिर का नाश होने की स्मृति में ही आज भी नरक चौदस के दिन अन्धकार पर प्रकाश की विजय के रूप में दिए जलाए जाते हैं।
(चित्र देशीकमेंट.कॉम से साभार)
4 comments:
दीप पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
दीवाली की शुभकामनायें।
आपको सपरिवार दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें ।
दीपावली की शुभकामनायें
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