हमारे देश का नाम भारत है किन्तु समस्त संसार के लोग इसे भारत नहीं बल्कि 'इण्डिया' के नाम से जानते हैं। मूलरूप से हमारे देश का नाम भारत है पर मुगलों ने इसका नाम 'हिन्दुस्तान' रख दिया और हमारा देश भारत से 'हिन्दुस्तान' बन गया। फिर अंग्रेज आए और उन्होंने हमारे देश का नाम 'इण्डिया' रख दिया और हमारा देश 'इण्डिया' कहलाने लगा। स्पष्ट लक्षित होता है कि हमारे देश के नाम को कोई भी विदेशी बदल सकता है। यह ठीक वैसा ही है जैसे कि किसी का नाम उसके माता पिता ने 'कालीचरण' रखा किन्तु दूसरे लोग उसे 'कालू' या 'कल्लू' कहने लगे। कालीचरण को भले ही 'कालू' या 'कल्लू' कहलाना बुरा लगे किन्तु हम भारतीयों को हमारे देश भारत का नाम बदल जाने का कभी भी बुरा नहीं लगता। तभी तो हमारे संविधान के प्रथम पृष्ठ में लिखा है "India, that is Bharat, shall be a union of states." (इण्डिया, जो कि भारत है, राज्यों का संघ होगा)। हमारा संविधान 'इण्डिया' नाम को 'भारत' नाम से अधिक महत्व देता है और सिर्फ 'भारत' नाम को 'इण्डिया' के बिना अधूरा बताता है।
'भारत' एक व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun) है। यह तो प्रत्येक व्यक्ति जानता है कि व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun) को चाहे किसी भी भाषा में बोला या लिखा जाए, उसमें कोई परिवर्तन नहीं होता। क्या 'चन्द्रप्रकाश' नाम को अंग्रेजी में 'Moonlight' या उर्दू में 'रोशनी-ए-माहताब' के रूप में बदला जा सकता है? किन्तु भारत को, व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun) होने के बावजूद भी, अंग्रेजी में 'India' के रूप में बदला जा सकता है। हमें स्वयं को भारतीय कहलाने की अपेक्ष 'इण्डियन' कहलाने में अधिक गर्व का अनुभव होता है। अंग्रेजों तथा अंग्रेजी का हम पर इतना अधिक प्रभाव क्यों है?
अंग्रेजी ने हमारे यहाँ के बहुत सारे नामों को बदल कर रख दिया है, पुण्यसलिला गंगा 'गेंजेस' हो गई हैं, भगवान राम "लॉर्ड रामा" हो गए हैं। यहाँ तक कि हमारे भारतवासी विद्वान भी यदि अपने देश का नाम 'इण्डिया' न लेकर 'भारत' लेते हैं तो बोलते समय उस नाम को 'भारत' न कहकर 'भारता' कहते हैं। हमारे विद्वजन तक "पाटलिपुत्र" को "पाटलिपुत्रा", इतिहास को "इतिहासा" आदि ही कहते हैं। किसी विषय पर जब कभी भी संगोष्ठी का आयोजन होता है तो वहाँ निमन्त्रित अधिकतर विद्वजन अपना शोधपत्र या भाषण अंग्रेजी में ही पढ़ना पसन्द करते हैं।
"बम्बई" बदल कर "मुम्बई" हो गया क्योंकि मुम्बईवासियों को बम्बई नाम की अपेक्षा मुम्बई नाम अधिक गौरवशाली लगता है, "मद्रास" बदल कर "चेन्नई" हो गया क्योंकि चेन्नईवासियों को मद्रास नाम की अपेक्षा चेन्नई नाम अधिक गौरवशाली लगता है, "कलकत्ता" बदल कर "कोलकाता" हो गया क्योंकि कोलकातावासियों को कलकत्ता नाम की अपेक्षा कोलकाता नाम अधिक गौरवशाली लगता है, पर "इण्डिया" बदल कर "भारत" शायद कभी भी न हो क्योंकि भारतवासियों तथा भारत के संविधान को भारत की अपेक्षा इण्डिया नाम ही अधिक गौरवशाली लगता है।
5 comments:
भारत अधिक गौरवशाली लगता है..
भारत गौरवशाली है
हम भारत के लोग!
Hindustan :)
बुजर्गो ने कहा ह नाम मेँ क्या रखा है।
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