भारत सरकार के पास नेताजी सुभाष चन्द्र बोस (Subhash Chandra Bose) से सम्बन्धित ऐसी फाइलें हैं जिन्हें कि गुप्त रखा गया है।
आखिर भारत की जनता अपने प्रिय स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस (Subhash Chandra Bose) से सम्बन्धित जानकारी क्यों नहीं प्राप्त कर सकती?
भारत सरकार अब तक यही कहती रही है कि इन फाइलों का सार्वजनिक होना राष्ट्रहित में नहीं है।
कम से कम जनता यह तो जाने कि आखिर वे राष्ट्रहित कौन से हैं? उन फाइलों के सार्वजनिक होने से आखिर राष्ट्र का किस प्रकार का अहित होने की आशंका है?
बताया जाता है कि ताईवान की राजधानी ताईपेइ में 18 अगस्त, 1945 के दिन एक विमान दुर्घटना में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस (Subhash Chandra Bose) का निधन हो गया था। भारत सरकार भी आज तक इसी बात को स्वीकार करती रही है। किन्तु ताइवान सरकार ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया कि 18 अगस्त, 1945 को ताइवान में कोई विमान हादसा हुआ ही नहीं था।
नेट में खोजते हुए हमें समय दर्पण नामक ब्लोग के एक पोस्ट http://samaydarpan.blogspot.in/2009/11/blog-post_2737.html में निम्न जानकारी मिली -
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के चित्रों को सरकारी कार्यालय आदि स्थानों पर लगाये जाने पर पाबन्दी क्यों लगाई गयी? यह पाबन्दी भारत सरकार की सहमति पर बम्बई सरकार ने ११ फरवरी १९४९ को गुप्त आदेश संख्या नं० 155211 के अनुसार प्रधान कार्यालय बम्बई उप-क्षेत्र कुलाबा-६ द्वारा लगाई गई।समय-समय पर आवाज उठने के कारण भारत सरकार ने सुभाष चन्द्र बोस (Subhash Chandra Bose) से सम्बन्धित रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए तीन बार समितियों का गठन किया, वे समितियाँ थीं - शाहनवाज समिति, खोसला आयोग और मुखर्जी आयोग। किन्तु इन तीनों समितियों के रिपोर्ट रहस्य के आवरण को हटा नहीं सकीं।
नेताजी को अन्तर्राष्ट्रीय युद्ध अपराधी भारतीय नेताओं ने क्यों स्वीकार किया? अन्तर्राष्ट्रीय अपराधी गुप्त फाईल नं० 10(INA) क्रमांक २७९ के अनुसार नेताजी को १९९९ तक युद्ध अपराधी घोषित किया गया था, जिस फाईल पर जवाहर लाल नेहरू के हस्ताक्षर हैं। परन्तु 3-12-1968 में यू.एन.ओ. परिषद के प्रस्ताव नं० 2391/ xx3 के अनुसार १९९९ की बजाय आजीवन युद्ध अपराधी घोषित किया जिस पर श्रीमती इन्दिरागांधी के हस्ताक्षर हैं।
अपुष्ट जानकारी के अनुसार 1945 में विमान दुर्घटना में दिवंगत ही नहीं हुए थे। वे जीवित थे और अलग अलग समय में विभिन्न नामों के साथ अलग अलग स्थानों में निवास किया था। कुछ काल पहले बीबीसी हिन्दी ने भी इस सम्बन्ध में दो पोस्ट http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2013/02/130213_netaji_gumnami_faizabad_partone_ns.shtml तथा http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2013/02/130215_netaji_gumnami_faizabad_final_ns.shtml प्रकाशित किया था।
क्या आपको नहीं लगता कि सुभाष चन्द्र बोस (Subhash Chandra Bose) हमारे समस्त राष्ट्र के थे और सरकार के पास रखी गई गुप्त फाइलों में बंद जानकारी जनता के समक्ष आनी चाहिए?
अब नेताजी के परिजनों ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जो को पत्र लिखकर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस (Subhash Chandra Bose) की सच्चाई को आम जनता के समक्ष लाने के लिए एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनाने का आग्रह किया है।
मोदी जी के अनुसार सुभाष चन्द्र बोस उनके प्रेरणा स्रोत रहे हैं। 8 मई को बनारस के एक चुनावी सभा में मोदी जी ने आज़ाद हिंद फ़ौज में काम कर चुके तथा नेताजी अंगरक्षक रह चुके कर्नल’ निज़ामुद्दीन के के पैर भी छुए थे। लगता है कि मोदी जी जल्द ही इस रहस्य पर से आवरण हटाकर महान देशभक्त नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से सम्बन्धित समस्त जानकारी को जनता से अवगत कराने का प्रयास अवश्य करेंगे।
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