(स्व. श्री हरिप्रसाद अवधिया रचित छत्तीसगढ़ी कविता)
चल संगवारी राजिम मेला
घूमघाम के आबोन जी,
महानदी में पुन्नी नहा के
राजिम लोचन के दरसन पाबोन जी।
कुलेसर नाथ के दरसन करबोन
महादेव ला नहवाबोन जी,
लोमस रिसी के आस्रम जा के
अपन भाग सहराबोन जी।
चल संगवारी ........
सोनतिरिथ घाट में जाबोन
बहुते-च पुन्न कमाबोन जी,
मेला-ठेला में घूम के संगी
धक्का-मुक्की खाबोन जी।
चल संगवारी ........
सूपा-सरकी आये हो ही
बिसा बिसा के लाबोन जी,
वोही सरकी में बइठ के भइया
अड़बड़ सुख ला पाबोन जी।
चल संगवारी ........
तेंदू चार-चिरौंजी लेबोन
पिड़िया के परसाद चढ़ाबोन जी,
मेला के होटल में संगी
हाफ चाय पी आबोन जी।
चल संगवारी ........
मन हो ही तौ रेंहट झूलबोन
गम्मत से मन बहलाबोन जी,
अभनपुर के पेड़ा लाबोन अउ
माई-पिल्ला खाबोन जी।
चल संगवारी ........
छत्तिसगढ़ के बड़का मेला
राजिम में भर जाथै जी,
दुरिहा दुरिहा के रींगी-चींगी
उंहचे जिनिस बेचाथै जी,
कुछ लेबोन-देबोन अउ मन बहलाबोन
तब छत्तिसगढ़िया कहलाबोन जी।
चल संगवारी ........
(रचना तिथिः 07-02-1982)
No comments:
Post a Comment