Monday, April 28, 2008

जब हिन्दी के ब्लोगर झूमेंगे, और एडसेंस रकम बरसायेगी

वो सुबह कभी तो आयेगी

इन 'हिन्दी ब्लोग के पोस्टों' से, जब रात का आंचल ढलकेगा
जब 'गूगल' का दिल पिघलेगा, जब 'डॉलर' का सागर छलकेगा
जब हिन्दी के ब्लोगर झूमेंगे, और एडसेंस रकम बरसायेगी
वो सुबह कभी तो आयेगी

जिस सुबह की खातिर जुग-जुग से, चिट्ठाकार मरते-जीते हैं
जिस सुबह के अमृत की धुन में, वे जहर के प्याले पीते हैं
इन मेहनतकश चिट्ठाकारों पर, इक दिन तो करम फर्मायेगी
वो सुबह कभी तो आयेगी

माना कि अभी इन हिन्दी के, 'पोस्टों' की कीमत कुछ भी नहीं
मिट्टी का भी है कुछ मोल मगर, चिट्ठाकारों की कीमत कुछ भी नहीं
चिट्ठाकारों के मेहनत को इक दिन जब, सिक्कों में ही तोली जायेगी
वो सुबह कभी तो आयेगी

जब हिन्दीगण 'चैटिंग' छोड़ेंगे, 'एडल्ट साइट्स' से नाता तोड़ेंगे
जब ज्ञान-पिपासा जागेगी, जब ब्लोग्स से नाता जोड़ेंगे
हिन्दी पाठकों की संख्या, बढ़ती और बढ़ती जायेगी
वो सुबह कभी तो आयेगी

बीतेंगे कभी तो दिन आख़िर, ये फोकट के लाचारी के
टूटेंगे कभी तो बुत आख़िर, अंग्रेजी की इजारादारी के
जब हिन्दी की अनोखी दुनिया की बुनियाद उठाई जायेगी
वो सुबह कभी तो आयेगी

(महान शायर साहिर लुधियानवी से क्षमायाचना सहित, कृपया इसे भी देख लें या यदि पहले देखा हो तो एक बार फिर से याद ताजा कर लें।)

7 comments:

अनूप शुक्ल said...

आमीन!

Sajeev said...

इंशा अल्लाह वो सुबह जरूर आएगी

गुस्ताखी माफ said...

"जिस सुबह की खातिर जुग-जुग से, चिट्ठाकार मरते-जीते हैं"

क्या हिन्दी के ब्लागर एडसेन्स की रकम आने पर ही झूमेंगे? क्या सिर्फ एडसेन्स के डालरों के लिये ही जीना मरना है?

गुस्ताखी माफ साहब, ये पैसा, पैसा कुछ ज्यादा ही नहीं होता जा रहा?

mamta said...

इंतजार है उस सुबह का।

Aruna Kapoor said...

यही तो कडवी सच्चाई है!

Udan Tashtari said...

आमीन!!

इन्तजार में टंगे हैं. :)

Vinod Kumar ( Educator ) said...

Kamal kar dita hai tusi ,
Rab kara o svar shati ava