सोचा कि चलो थोड़ा ब्लोगवाणी को भी झाँक लें। अरे यहाँ तो आज माँ ही माँ हैं। मैं तो ठहरा पुराना आदमी जिसे कि किस दिन कौन सा डे है पता ही नहीं रहता। ब्लोगवाणी में झाँकने से पता चला कि आज मदर्स डे है।
सोचने लगा कि हम तो बेवकूफ हैं जो हर रोज माँ का चरणस्पर्श करके उसके प्रति अपना सम्मान व्यक्त करते हैं (आज वे इस संसार में नहीं है तो भी प्रतिदिन उन्हें याद करके मन ही मन में उन्हें प्रणाम कर लिया करते हैं)। आज के लोग अधिक बुद्धिमान हैं जिन्होंने माँ का सम्मान करने के लिये साल में एक दिन तय कर लिया है। मदर्स डे के दिन माँ का खूब सम्मान कर लो फिर बाकी दिन उन्हें देखने की भी क्या जरूरत है?
जमाना बदल गया है पर अफसोस है कि हम जमाने के साथ नहीं बदल सके।
5 comments:
पुराने ही नहीं, नये भी अपनी माँ का उतना ही आदर और सम्मान करते हैं. अपवाद तो हर युग में रहे हैं.
मातृ दिवस पर समस्त मातृ-शक्तियों को नमन एवं हार्दिक शुभकामनाऐं.
fathers day कब आएगा?
अवधिया साहेब,
हम तो माँ का स्मरण और चरण स्पर्श रोजाना ही करते हैं..
किन्तु मातृ-दिवस भी विशेष दिन के जैसे मनाते हैं...
जैसे की भगवान् को रोज ही पूजते हैं...
किन्तु जन्माष्टमी और राम-नवमी विशेष धूम से मनाते हैं..
आपकी बात से थोडा सहमत भी हूँ किन्तु सिर्फ उनके लिए जो एक ही दिन माँ का स्मरण करते हैं..
:)
~जयंत
@ पी०एन० सुब्रमण्यम जी, पितृदिवस जून के पहले रविवार को मनाया जाता है। सब का अपना अपना स्थान है। माँ और पिता दोनो ही हमारा व्यक्तित्व निर्धारण करते हैं।
और रही बात कि माँ का चरणस्पर्श रोज करने की तो यूँ, अपने भईया की लंबी उम्र के लिये तो रोज ही दुआएं करती हूँ मैं, मगर रक्षाबंधन के दिन ज़रा उत्सव मना लेती हूँ इसका तो इसका अर्थ ये नही कि मैं उनको सिर्फ एक ही दिन याद करती हूँ
प्रश्न के रूप में पोस्ट भी अच्छा है .. उत्तर के रूप में टिप्पणियां भी .. बहुत सुंदर।
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