मेरे हिसाब से इसके सभी सवालों का उत्तर इसी के हथियार से हम लोगों को देना होगा. इसका बॉयकाट करना हम लोगों की बुजदिली होगी. अगर यह वेदों में से श्लोक निकाल कर यह सिद्ध कर रहा है कि अगर यह सिद्ध करता है कि मांसाहार ठीक है तो हमें भी इसकी किताब से इसे यह बताना होगा कि मांसाहार अनार्यों का कर्म है. अगर यह कहता है कि स्त्री एक ज्यादा शादी नहीं कर सकती है तो हम सबको भी यह मिलकर इसे यह बताना होगा कि स्त्री भी कई विवाह कर सकती है. अगर यह वेदों में से श्लोक निकाल कर यह सिद्ध कर रहा है कि ईश्वर एक है तो हमें भी वेदों में से ही निकाल कर यह बताना होगा कि ईश्वर एक नहीं है.इस राजेश उर्फ सलीम ने अपने फालतू बहस में हम लोगों को उलझाए रखने के लिए दूसरा तरीका निकाला है याने कि अब हमारी बुजदिली का हवाला दे कर जोश दिला रहा है। ये समझता है कि हम इसके बहकावे में आ जायेंगे। इसे शायद पता नहीं है कि हमारे पास इतना फालतू समय नहीं है कि हम उसकी किताब याने कि कुरआन में खोजते फिरें कि उसमें कोई मांसाहार विरोधी आयत भी है या नहीं। ये समझता है कि जिस प्रकार से वो हमारे श्लोकों को तोड़-मरोड़ कर हमें बताता है, उसी प्रकार से हम भी उसके किसी आयत को तोड़ मरोड़ कर उसे बतायेंगे।
हमें इसके तर्कों का जवाब तर्कों से ही देना होगा. और अगर हम ऐसा नहीं कर पा रहें है और पीछे हट रहें है तो यह हमारी बुजदिली होगी. केवल उसे इसी प्रकार से निरुत्तर कर हम उस स्वच्छ को अस्वच्छ सिद्ध कर पाएंगे.
अरे राजेश उर्फ सलीम भाई! तुम्हारी तालीम ने तुम्हें सिखाया होगा कि अर्थ का अनर्थ करो, हमारे श्लोकों को तोड़ मरोड़ कर हमारे धर्मग्रंथों का अपमान करो। पर तुम नहीं जानते कि हमारी शिक्षा तो यही कहती है कि सभी का सम्मान करो, सिर्फ रचनात्मक कार्य करो और आपसी भाईचारा को बढ़ावा दो।
अब आप लोगों को जरूर यह जानने की उत्सुकता हो रही होगी कि मुझे कैसे पता चला कि यह राजेश वास्तव में सलीम है। तो मैं आपको यह बता दूँ कि इस राजेश की एक मूर्खता ने ही उसकी पोल खोल दी। वो क्या है कि कल के मेरे पोस्ट में अपने खुद के नाम से टिप्पणी करने की सलीम मिंया की हिम्मत हो नहीं पाई पर टिप्पणी करने की खुजाल इसे बेतरह सता रही थी। इसलिए उसने राजेश नाम से ब्लोगर में एक खाता खोला और राजेश बन कर एक टिप्पणी कर दिया। पर इसकी मूर्खता देखो कि नाम तो इसने बदल लिया पर टिप्पणी सलीम वाली ही कर गया। टिप्पणी प्रकाशित होते ही इसे अपनी गलती समझ में आई और इसने तत्काल अपनी टिप्पणी को मिटा दिया। देखें मिटाई गई टिप्पणी का स्क्रीनशॉटः
अपनी उस टिप्पणी को मिटा देने के डेढ़-दो घंटे बाद उसने फिर से राजेश नाम से ही दूसरी टिप्पणी कि जिसे कि आप ऊपर पढ़ चुके हैं।
ये राजेश उर्फ सलीम मियाँ बड़े खुश थे कि उनकी पहली टिप्पणी को उनके सिवाय और किसी ने देखा-पढ़ा नहीं है क्योंकि वो तो मिट चुकी है। पर इन हजरत को यह नहीं पता है कि हमारे ब्लोगर बाबा उर्फ गूगल ने हमें एक जादू की छड़ी दी है जिससे हम जान जाते हैं कि हमारे ब्लोग में किसने क्या टिप्पणी की है, भले ही उस टिप्पणी को मिटा दिया गया हो। तो हमें पता चल गया कि मिटाई गई टिप्पणी में क्या लिखा था। नीचे स्क्रीनशॉट देख कर आप भी पढ़ लें कि उस टिप्पणी में क्या लिखा थाः
अब सोचने की बात यह है कि आखिर यह ब्रह्मज्ञानी इस्लाम विशेषज्ञ महापुरुष इस फालतू बहस को जारी क्यों रखना चाहता है? दाल में कुछ काला लग रहा है भाई! कहीं किसी प्रकार की साजिश तो नहीं है?
25 comments:
अब क्या कहा जाय इसपर? अजेंडा कांख में दबाये ब्लागिंग करने आये हैं सलीम साहब. इस तरह से कोई आता है तो ऐसी ही चिरकुटई करता रहता है. मज़े की बात यह है कि ये अकेले नहीं हैं. तो शुरू-शुरू में चिरकुटई फैलेगी ही. अब तो जो लोग बीन बजाने इनके ब्लॉग पर जाते थे वे भी नहीं दिखाई देते. शायद इसीलिए सलीम मियां घबराएं हुए हैं. यह सोचते हुए कि अगर किसी ने विरोध ही नहीं किया तो इनकी दूकान कैसे चलेगी?
बस, एक बार दूकान चलाने का ख़याल आ जाए तो इस तरह के कर्म करते ही रहेंगे.
एक दिन जब आपको यह पता चले कि मेसर्स सलीम खान , कैरवानी और खुर्सीद तीनो भी एक ही शख्स के नाम है, तो आप ज्यादा आश्चर्चाकित ना हो ! खैर, आप अपने लेखन को जारी रखे, मुखौटे लगाना इनकी बहुत पुरानी आदत है ! और सभी इसे बखूबी समझते है !
अरे कोई क्या बहस को आगे बढायेगा अवधिया जी आप खूले तौर पर लिखते रहिये .
आप्ने बहूत बडा काम किया है .
जी.के. अवधिया जी बहुत सुंदर लिखा ओर पकड भी गर्दन से ही, मै पहले ही कहता हुं कि जो भी अनाम बन कर या फ़िर गलत नाम से टिपण्णी करता है एक दिन जरुर पकडा जाता है अपनी ही गलती से,
आप का बहुत बहुत धन्यवाद
हम्म ........ गंभीर समस्या है ...... ये तो ब्लॉगर नहीं इस्लामिक जिहादी है ........ इन्टरनेट को भी जिहाद का मैदान बना दिया इसने ......... हे इश्वर इस मानसिकता से कैसे मुक्ति मिलेगी ?
हाय, सलीममियां कही बिजी हैं!
बाकी आप भाव क्यों दे रहे हैं इस लम्पट को?!
बिल्कुल गलत बात, ये सब झूठ है!! ऎसा हो ही नहीं सकता...ये सब मीडिया और हिन्दू साप्रदायिक ताकतों द्वारा मुसलमानों को बदनाम करने के लिए रचा गया षडयंत्र है:)
भाव देने जैसी कोई बात नहीं है ज्ञानदत्त जी! जरा उसे पता तो चले कि जिस स्कूल में वो पढ़ता है हम वहाँ के प्रिंसिपल रह चुके हैं। बहुत से लोगों को बेमतलब परेशान किया है इसने "एकम् ब्रह्म द्वित्यो नास्ति. नेह्न्ये नास्ति, नास्ति किंचन" रट रट के। ये हमें एकेश्वरवाद सिखा रहा है तो अब हम इसे अनीश्वरवाद सिखायेंगे। हम इसे बतायेंगेः
त्रयो वेदस्य कर्तार: धूर्त: भाण्डनिशाचरा:
खैर, अब आगे नहीं लिखेंगे इस पर (यदि इसने और परेशान नहीं किया तो)।
मैं आजकल दो पोस्ट लिखने में व्यस्त हूँ ...और वो दो पोस्ट हैं...
भगवान् शिव काबा में विराजमान हैं (Answer to Suresh Chiplunkar) और दूसरा "हिन्दू धर्म ग्रन्थ और हज़रत मुहम्मद (स.)- पंडित वेद प्रकाश जी की किताब से साभार"
एक सलाह सभी ब्लॉगर के लिए अगर आपका ब्लॉग हॉट लिस्ट में नहीं है और उसे हॉट बनाना है तो "सलीम खान" यानि "स्वच्छ सन्देश: हिन्दोस्तान की आवाज़" के खिलाफ लिखो.....क्यूंकि TRP का दूसरा नाम सलीम खान है, उसे बदनाम करो क्यूंकि वह मुस्लिम ब्लॉगर है और खुद नाम वाले....ठीक वैसे ही जैसे सोनिया गाँधी का विदेशी मूल का मुद्दा हर नेता खास कर बीजेपी का चाहे वो औना बौना ही क्यूँ न हो उछालता रहता था लेकिन पता है; सोनिया गाँधी ने कितना क़रारा जवाब दिया था... बेचारे उसके बाद तो एक बार भी विदेशी मूल का मुद्दा नहीं उठा. उठता भी कैसे भाई... कोई उठाने लायक़ ही नहीं बचा...इंतज़ार करो.
bhai salim tumane thik hi kaha log to soniya ko videshi mulka kahte rah gaye aur Advani ko deshee. par dekho to sahi ki Advani bechare Hath malte rah gaye jinhe kursi ka lalch tha vo mahan neta Mazboot neta. aur udhar dekho ek videshi mahila ne Kursi ko Lat mardi.
ab batao Mahan kaun?
Tum daro nahi lage raho. tumhe koi hara nahi sakta. chahe tum par lanchhn lagae.
ब्लॉग जगत से अगर किसी एक लेख को उठाने को कहा जाय तो मैं आप की यह पोस्ट लूँगा।
सम्पूर्ण मानवता के शत्रु घृणित इस्लामी कट्टरवाद के नीच, बेहया, थुकायल, बेशर्म और थेथर ब्लॉगर मुहरों को बेनकाब कर आप ने अत्यंत सराहनीय कर्म किया है।
मैं बहुत पहले ही इन्हें समझ चुका था और इसीलिए शांत भाव से इनका बहिष्कार कर रहा था लेर्किन प्रत्यक्ष लोहा ले कर आप ने कृष्ण और चाणक्य की याद दिला दी।
इनके बहिष्कार की मैं भी अपील करता हूँ। इसलिए कि सम्पूर्ण मानवता के शत्रु इस्लामी कट्टरथियों के ये मोहरे हैं। यह कट्टरपंथ हर क्षेत्र में चुपचाप अपना काम कर रहा है। आवश्यकता है इनसे लोहा लेने की और इन्हें बेनकाब करने की।
आज आप ने लड़कियों को फँसा कर उनका यौन शोषण और फिर ज़िहादी प्रशिक्षण उत्पीड़न के बारे में पढ़ा ही होगा।
इन्हें ट्रेनिंग दी जाती है कि चाहे जो करना पड़े, ज़िहाद के नाम पर सब जायज है। ये फर्जी नाम से ब्लॉग बनाएँगे, फर्जी नाम से दाखिला लेंगे, फर्जी बन कर लड़कियों को फाँसेंगे, फर्जी बन कर अपनी . . कुछ भी इनके लिए नाजायज नहीं है।
बेशर्मी इनकी फितरत है। लतियाए जाएँगे लेकिन वही काम बार बार करेंगे। आज भी 'मैं हिन्दू हूँ' की पोस्ट लग चुकी है।
ब्लॉग जगत की परीक्षा है कि उस पर न तो जाय और न टिप्पणी करे।
अरे इनको कितना भी लतिया लो जुतिया लो ये सुधरेंगे नहीं, इन जाहिलों पर ध्यान ही मत दो इनका केवल एक ही मकसद है कि सभी लोग इस्लाम अपना लें, अपने कुतर्कों से। सलीम मियां ने लिखा है कि वे टी.आर.पी. के लिये ही हैं, अरे भाई सही कह रहे हो जब कोई भी बदनाम आदमी के बारे में कुछ कहता है तो उसे टी.आर.पी. तो मिलेगी ही, नहीं कसाब को ही ले लो उसे तो आपके अल्लाह ने मुँबई पर हमला करने भेजा था कि जाओ सब की अकल ठिकाने लगाकर आओ। इस्लाम या तो सलीम मियां जानते हैं या कसाब या फ़िर इनके पाक में बैठे आका बाकी सब तो शैतानी आदमी हैं।
कोई एक जगह तो हो जहाँ ये लोग विवादास्पद न हो
बायकाट करना ही होगा
नही तो यह लोग हर जगह गंध ही फहलाएगे
ज्ञान जी से सहमत !
उपेक्षा से बड़ा कोई अपमान नहीं ।
और... इस तरह तो वह निगेटिव ही सही, पर पब्लिसिटी तो पा ही रहा है !
बहुत ही ओछी हरकत की है सलीम साहब ने मुझे तो इनकी मर्दानगी को ले कर शक हो रहा है|
(वैसे अवधिया जी का C.I.D. अंदाज लाजवाब रहा |)
खैर जनाब अगर आप ने काबा के बारे में कुछ लिखने की ठानी है तो शायद आपका पोस्ट पढने वाला मैं
पहला व्यक्ति हूँगा | (काफी समय से हाँथ पैर मार रहा हूँ थोडी जानकारी निकालने की शायद आपका पोस्ट कुछ मदद करे !!)
*शुभकामनाएँ*
जितना हम इनके बारे मे लिखेंगे उतनी ही trp इनकी बढ़ती जायेगी । सबसे सही उपाय यही है अगर गलत टिप्पणी करे तो मोडरेशन चालू करे और इनके ब्लोग पर एक बार भी झांकने नही जाये वैसे भी काम के ब्लोग पढ़ने मे ही समय नही मिलता तो आलतू फालतू ब्लोग पढ़ने के लिये कहा समय बचता है ।
किसी एक ब्लागर की इतनी छीछालेदार होते मैंने कभी नहीं देखी…। फ़िर भी TRP(? पता नहीं कौन सी TRP) का बहाना लेकर दूसरों पर ही दोषारोपण कर रहे हैं? यह तो ऐसे ही हुआ कि मल्लिका शेरावत कहे कि मेरी TRP ज्यादा है इसलिए मैं मीनाकुमारी से श्रेष्ठ हूं… :)
नाहक परेशान मत हों !
Pt.डी.के.शर्मा"वत्स" जी की प्रतिक्रिया मस्त है
उनकी बात को तवज्जो दी जाए :)
सलीम मियां यहाँ ज्ञान बघार रहे है, चैलेन्ज दे रहे हैं और अलग -अलग नामों से टिप्पणी भी दे रहे हैं लेकिन " मोमिन" साहब इनको बगैर साबुन के धो रहें हैं और इनकी जबान भी नहीं खुल रही है. देखें यहाँ- http://albedar.blogspot.com
दर असल राजेश और मैं मेरा दोस्त है जिसके कम्प्यूटर से मैंने यह टिपण्णी करनी चाही, लेकिन उसकी आई डी पहले से ही लॉग-इन होने की वजह से यह टिपण्णी उसके नाम से ही हो गयी. इसलिए मैंने उस टिपण्णी को डिलीट कर दिया और चला आया.
अगले दिन मैंने उसे अपनी आई डी से पोस्ट कर दी...
ऐसे बेशर्म बहरूपिये के बारे में बताने के लिए शुक्रिया. आपको शायद पता नहीं हो, मगर ऐसी खबरें हैं कि चीनी और पाकिस्तानी गुप्तचर संस्थानों ने हिन्दी में प्रोपेगंडा करने के लिए बहुत से लोगों को अनेकों छद्म नामों से (अधिकाँश को भारतीय मुसलमान, पत्रकार या छात्रा जैसा दिखाकर) भावनाएं भड़काने के लिए छोडा हुआ है. यह अकेला नहीं है बल्कि इसके कई अन्य सहकर्मी भी एक एजेंडा के तहत काम कर रहे हैं. अगर कोई टिप्पणीकार नहीं मिलता तो ये खुद ही एक दुसरे की टी आर पी भी बढाते रहते हैं.
'Smart Indian' itna bewkoof hoga ilm nahin....
वाह अवधिया जी .... सम सबों को बता कर बहुत सही कार्य किया है | आपके पिछले पोस्ट मैं इस राजेश से मैं भी गच्चा खा गया था |
इतना बेज्जत होने के बावजूद भी देखिये कैसा निर्लज्ज बना घूम रहा है | निर्लाजता भी इनके सामने शरमा जाती है |
पता नहीं इतना होने पर भी यदि कोई अपना भाई उधर जाकर टिपण्णी दे तो सारे लोगों की ऐसी तैसी...
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