अंग्रेजी के ऐसे अनेक ब्लॉग्स हैं जिनमें संसार भर से प्रतिदिन हजारों से लेकर लाखों की संख्या में लोग आते हैं। किसी एग्रीगेटर से नहीं बल्कि सर्च इंजिन से खोज कर। ऐसे ब्लॉग्स को बुकमार्क करके रखा है लोगों ने ताकि रोज उनमें सिर्फ एक क्लिक से पहुँच सकें।
चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी' जी ने हिन्दी में एक कहानी "उसने कहा था" ऐसी लिखी कि संसार भर में वह लोकप्रिय हो गया। संसार के सभी प्रमुख भाषाओं में उसका अनुवाद पाया जाता है। इससे सिद्ध हो जाता है कि हिन्दी भाषा में संसार भर में धूम मचाने की भरपूर शक्ति है। फिर क्यों आज हिन्दी का एक भी ब्लॉग ऐसा नहीं है जो कि संसार भर में धूम मचा सके? पाठकगण खोज कर उस ब्लॉग में आयें। क्यों नहीं है हिन्दी में ऐसा एक भी ब्लॉग? क्या हिन्दी में भी हम ऐसा नहीं कर सकते?
मित्रों! यह मेरी निराशा नहीं है बल्कि मैं यह पोस्ट आप सभी को प्रोत्साहित करने के लिये लिख रहा हूँ कि आप हिन्दी में कुछ ऐसा लिखें जिसे पढ़ने के लिये पाठक टूट पड़ें। कब तक हम आपस में एक दूसरे को पढ़ते रहेंगे? क्या एक अखबार को सिर्फ दूसरा अखबार वाला ही पढ़ता है? एक पत्रिका को दूसरी पत्रिका वाला ही पढ़ता है? फिर क्यों एक ब्लॉग को दूसरा ब्लॉगर ही पढ़े? जिस प्रकार से अखबार, पत्रिका आदि का महत्व पाठक के बिना नहीं है उसी प्रकार से ब्लोग भी पाठक के बिना महत्वहीन है। मैं जानता हूँ कि आप सभी अपने अपने विषय में माहिर हैं और मुझे विश्वास है कि आप अवश्य ही पाठकों को खींच कर लाने वाली सामग्री प्रस्तुत करेंगे।
19 comments:
jay ho aap hi koshish kare .vaise aapake blog par vijyapan bahut sunder hai rose aur painty ka
जब तक लोग मुद्दे के साथ नहीं ब्लॉगर के साथ खड़े होगे तब तक कोई ना कोई विवाद जन्म लेता ही रहेगा । ब्लॉगर के साथ खड़े होने से आप / हम ब्लोगिंग का नुक्सान करते हैं । मुद्दा ले अगर ब्लॉगर १ सही हैं तो उसका साथ दे और ब्लॉगर २ सही हैं तो उसका साथ दे । भूल जाये किसका नाम क्या हैं । लोग ब्लोगिंग को परिवार कहते हैं वही सबसे बड़ी गलती हैं क्युकी ब्लोगिंग एक आभासी दुनिया हैं और इस मै परिवार ना खोज कर मुद्दा खोजे । आप को अपने मुद्दे पर बात करने वाले मिले तो बात करे वो भी नेट पर ताकि बात खुल कर सबके सामने हो ।
कौन किस मुद्दे पर गलत हैं और किस मुद्दे पर सही इस बात को प्राथमिकता दे ना कि किसके साथ कितने खड़े हैं । तब ही बन सकेगा हिंदी का ऐसा ब्लॉग जो धूम मचा सकेगा । हिंदी ब्लॉगर के पास मुद्दे ही नहीं हैं । दुनिया मे ब्लोगिंग मे मे लोग कितनी बाते कितने मुद्दे लिखते हैं और हम ????
अवधिया साहब, पाठक होंगे तभी तो टूट पड़ेंगे न ? हाँ यह हो सकता है कि कोई एक ऐसा सर्वमान्य ब्लॉग बने जो दुनिया भर में रहने वाले हिन्दी लेखको की किसी एक ख़ास अवधि में लिखी गई सिर्फ बेहतरीन रचनाओं को साप्ताहिक आधार पर अपने ब्लॉग पर लगाए और जिसे पूरी दुनिया के पाठको में प्रचारित प्रसारित किया जाए !
आदरणीय अवधिया जी..... प्रोत्साहित करने के लिए धन्यवाद....
नोट: लखनऊ से बाहर होने की वजह से .... काफी दिनों तक नहीं आ पाया ....माफ़ी चाहता हूँ....
ब्लॉगवाणी और चिट्ठा जगत हैं ना!
कोई तो बनायेगा ही
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Saloni
"कोई तो बनायेगा ही"
आप क्यों नहीं?
खुदी को कर बुलंद इतना के हर तकदीर से पहले
खुदा बन्दे से ये पूछे बता तेरी रजा क्या है
अवधिया जी प्रोत्साहित करने के लिये धन्यवाद शायद इसका एक कारन भी है कि मेरे जैसे तेकनालोजी से अनजान लोग उस पोस्ट को प्रसारित प्रचारित नही कर पाते। धन्यवाद
उसने कहा था, काल की आप बात कर रहे हैं। उस समय कागज पर लिखे को और हिन्दी में लिखे को पढ़ने का रिवाज था लेकिन आज अंग्रेजी को पढ़ने का रिवाज है। समय समय की बात है, कभी अपने भी दिन फिरेंगे, देखते रहिए।
अगर काम की बात लिखी जाएगी तो धूम मचेगी. यहाँ टिप्पणी के लिए ज्यादा लिखा जाता है.
तकनीक पर लिखो, नया लिखो, हिन्दी तर लोग आएंगे.
अवधिया जी, जब तक विषय आधारित लेखन नहीं होगा, सर्च इंजन से पाठक नहीं आएंगे। 'साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन' इसी दिशा में आप सबके सहयोग से चल रहा एक छोटा सा प्रयास है। हम आशा करते हैं कि एक दिन ऐसा अवश्य आएगा।
..और हाँ, उसपर बहुत दिनों से आपकी कोई पोस्ट नहीं आई। आशा है यह इंतजार लम्बा नहीं खिंचेगा।
श्री अवधिया जी , आपने बात तो मुद्दे की उठायी है | सभी ब्लोग्गर इस पर विचार करे तो शायद यह सम्भव है | इसका कारण है कि जो भी लिखता है वह अपना निजी शौक पूरा करने के लिए लिखता है | जिस प्रोफेसन में काम करता है या जिसका उसे ज्यादा ज्ञान है उस विषय पर नहीं लिखना ही कारन है | जैसी कि कोइ डॉक्टर है लेकिन वो कविता का ब्लॉग बना कर बैठे है | तकनीकी विषय इस प्रकार के विषय है जिन कि आज हिन्दी में बहुत जरूत है |
गुरुदेव आपका प्रतिदि्न का मार्गदर्शन बहुत ही लाभ दायक है और हम आपके कहे अनुसार चलने की कोशिश कर रह हैं, कृपया इसी तरह मार्गदर्शन करते रहें । आभार
जहाँ तक मैं मानता है ......कुछ लोग इस कोशिश की ओर अग्रसर है ......
आपकी इस पोस्ट नें तो हमारे अन्दर भी एक नवीन उर्जा का संचार कर डाला वर्ना तो यहाँ रोज रोज की खिटपिट देख देखकर मन ब्लागिंग से बिल्कुल ऊब ही चुका था....बाकी नरेश राठौड जी का कहना बिल्कुल सही है कि अधिकतर ब्लागर जो कि अपने अपने विषय के जानकार हैं, उन पर लिखने की बजाय सिर्फ शौक को पूरा करने के लिए ब्लागिंग में जुटे हुए हैं। शौक पूरा करने के साथ साथ यदि ज्ञान विस्तार का उदेश्य लेकर चला जाए तो ही ऎसे किसी मुकाम तक पहुँचा जा सकता है........
बहुत सही लिखा है आपने. काश ऐसा हो पाता?
आप अनुभवी हैं स्वयं देखिये कि आज हिंदी में ब्लॉग पर क्या लिखा जा रहा है? ब्लॉग एक रोजनामचा की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है. हम भी इसके अपवाद नहीं हैं.
ज्यादातर लिखा वो जा रहा है जो समाचारों को पढ़ कर या किसी दूसरे ब्लॉग को पढ़ कर प्रतिक्रिया में हमारे मन में उपजता है.
विषय गंभीर और चिंतन वाला चुना है आपने. हम अब आगे से प्रयास करेंगे कि आपकी बात का कुछ तो पालन कर सकें.
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जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
सारथी
हिन्दी, हिन्दुस्तान एवं ईसा के चरणसेवक शास्त्री फिलिप का बौद्धिक शास्त्रार्थ चिट्ठा!! (2008 का औसत: 500,000 हिटस प्रति महीने!!
अवधिया जी,
कोई ऐसा चुंबक नहीं मिल सकता जो पाठकों को खुद-ब-खुद खींच कर ले आए...
जय हिंद...
पता नहीं की आप इस पुरानी पोस्ट की टिप्पड़ी को पढेंगे की नहीं पर अगर पढ़े तो जरा एब बार उस बेनामी की टिप्पड़ी को आपकी ही इस पोस्ट के प्रकाश में देखिये जो उसने "इन्द्रधनुष"वाली आपकी पोस्ट में की थी
उसने बेनामी टिप्पड़ी कर के गलत किया पर आपके सरे समर्थक तो उस पर बुरी तरह से टूट पड़े थे उसकी बात को एक बार समझिये तो
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