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[शीर्षक] भ्रमजाल [शीर्षक]
ईश्वर का एक होना अद्वैतवाद है किन्तु सरिता का प्रवाहित होना द्वैतवाद है। सरिता का प्रवाहित होना अपने प्रियतम सागर से मिलन के लिये ही होता है। इसलिये जब हम कहते हैं कि सरिता प्रवाहित होती है तो वह द्वैतवाद होता है। सरिता के साथ अपरोक्ष रूप से सागर सम्मिलित ही रहता है। सरिता प्रवाहित होती है को अद्वैत कहना शोभनीय नहीं है और न ही यह वांछनीय है। सरिता की गति काल की गति के समान एक ही दिशा में होती है। किन्तु जब सरिता का जल किसी विशाल पाषाण से टकरा कर कुछ दूरी तक वापस प्रवाहित होता है तो सरिता की गति काल की गति से भिन्न हो जाती है। जब इतिहास स्वयं को दुहराता है तो आभास होता है कि काल की गति पुनः विरुद्ध दिशा में हो गई है किन्तु यह हमारा भ्रम है।
अद्वैत और द्वैत अत्यन्त जटिल विषय हैं। इन्हें समझने के लिये सरिता, सागर और काल को पहले समझना जरूरी है।
हम सभी भ्रम में जीते हैं और भ्रम में ही मर जाते हैं। हम समझते हैं कि सिगरेट पीने वाले का स्तर बीड़ी पीने वाले के स्तर से ऊँचा होता है। यह हमारा भ्रम है। वास्तव में हम सिगरेट और बीड़ी को ध्यान में रख कर सोचते हैं इसलिये हमें दोनों के स्तरों में अन्तर का भ्रम होता है किन्तु सिगरेट और बीड़ी दोनों का ही उद्देश्य धूम्रपान है इसलिये यदि हम धूम्रपान को ध्यान में रख कर सोचें तो हमें दोनों का स्तर एक ही लगेगा।
ब्लोगजगत को आभासी कहा जाता है किन्तु यह आभासी होते हुए भी आभासी नहीं है। पर यह भी हमें स्मरण रखना होगा कि यह आभासी न होते हुए भी आभासी है। ठीक उसी प्रकार जैसे कि ईश्वर होते हुए भी नहीं है और नहीं होते हुए भी है।
यह संसार एक भ्रमजाल है और जीवन अनेक भ्रमों से घिरा हुआ है। इन भ्रमों को तोड़ कर वास्तविक जीवन जीना ही हमारा लक्ष्य होना चाहिये।
टिप्पणियाँ:
टिप्पणी (1)लिख्खाड़ानन्द जी हमें बताया, "जब हमने इस पोस्ट को लिखा तो हमें खुद नहीं पता था कि हम क्या लिख रहे हैं पर टिप्पणियाँ आने बाद हमें पता चला कि हमने तो दर्शन और गहन चिन्तन से सम्बन्धित पोस्ट लिखा है। इसीलिये हम आपसे कहते हैं कि आप तो बस लिख दीजिये! आपने क्या लिखा है यह आपके टिप्पणीकर्ता खुद ही बता देंगे।"
........ ने कहा
अत्यन्त गहन चिन्तन!
टिप्पणी (2)
........ ने कहा
सरिता, सागर और काल के विषय में अच्छी जानकारी मिली।
ब्लोगजगत और ईश्वर की सटीक तुलना अच्छी लगी!
टिप्पणी (3)
........ ने कहा
अद्वैतवाद और द्वैतवाद की जानकारी देती हुई सुन्दर पोस्ट!
टिप्पणी (4)
........ ने कहा
गम्भीर दर्शन!
टिप्पणी (5)
........ ने कहा
सरिता, सागर और काल को अद्वैत और अद्वैत से जोड़ने वाली सार्थक पोस्ट!
टिप्पणी (6)
........ ने कहा
हमेशा की तरह आपकी लेखनी का अद्भुत चमत्कार!
टिप्पणी (7)
........ ने कहा
हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता! :)
टिप्पणी (8)
........ ने कहा
सार्थक लेखन!
टिप्पणी (9)
........ ने कहा
दर्शन और चिन्तन का सुन्दर संयोग!
टिप्पणी (10)
........ ने कहा
आपकी लेखनी की प्रशंसा करना सूर्य को दीपक दिखाना है!
टिप्पणी (11)
........ ने कहा
अत्यन्त जटिल विषय को सरलता के साथ समझाने के लिये आभार!
टिप्पणी (12)
........ ने कहा
सुन्दर प्रस्तुति!
टिप्पणी (13)
........ ने कहा
आभार!
टिप्पणी (14)
........ ने कहा
शिक्षाप्रद आलेख!
टिप्पणी (15)
........ ने कहा
अद्वैत और द्वैत को व्यक्त करती महत्वपूर्ण पोस्ट!
टिप्पणी (16)
........ ने कहा
अद्वैत और द्वैत अत्यन्त जटिल विषय हैं। इन्हें समझने के लिये सरिता, सागर और काल को पहले समझना जरूरी है।
nice
टिप्पणी (17)
........ ने कहा
यह टिप्पणी ब्लोग एडमिनिस्ट्रेटर के द्वारा मिटा दी गई है।
(आपकी जानकारी के लिये बता दें कि यहाँ पर टिप्पणी की गई थी "आप एक नंबर के गधे हैं।")
टिप्पणी (18)
लिख्खाड़ानन्द ने कहा
हमसे जेलेसी रखने वाले कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अनाप शनाप टिप्पणी करते हैं। ऐसे लोगों के साथ जब हम स्ट्रिक्तता से पेश आयेंगे तो निश्चतली इन्हें बहुत बुरा परिणाम भुगतना पड़ेगा।
टिप्पणी (19)
........ ने कहा
हमेशा की तरह बेहतरीन पोस्ट!
टिप्पणी (20)
........ ने कहा
सही कहा आपने!
टिप्पणी (21)
........ ने कहा
समझ में आ गया कि जब केवल ईश्वर होता है तो अद्वैत होता है और जब ईश्वर और माया दोनों होते हैं तो द्वैत होता है।
टिप्पणी (22)
........ ने कहा
आपका भी जवाब नहीं!
टिप्पणी (23)
........ ने कहा
उस्ताद जी! आज पूरे फॉर्म में दिखाई पड़ रहे हैं
टिप्पणी (24)
........ ने कहा
क्या बात कही.. मुझे लगता है कि जिस पर आप लिखते हैं, उन विषयों में आप पारंगत हैं इसीलिये एक सार्थक और सशक्त लेख निकल कर आता है।
टिप्पणी (25)
........ ने कहा
"यह संसार एक भ्रमजाल है और जीवन अनेक भ्रमों से घिरा हुआ है। इन भ्रमों को तोड़ कर वास्तविक जीवन जीना ही हमारा लक्ष्य होना चाहिये।"
गम्भीर किन्तु सच्चा जीवन दर्शन! गहन चिन्तन!!
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13 comments:
सही है जी..अब टिप्पणी करने वालो पर ही छोड़ देगें.....मन मे जो आएगा लिख मारेगें......
क्या बात है अवधिया जी ।
आज सही टाइम पास हो रहा है।
पते की बात
टिप्पणी देने में ही डर लगरहा है अवधिया साहब, पता नहीं आपके लिखाडानंद जी उसे कौन सा क्रमांक दे दे ? :)
आपकी इस पोस्ट नें तो मानो रामबाण औषधी का काम किया...ये समझिए कि हमारी आज की पोस्ट आप ही से प्रेरणा लेकर लिखी गई है :-)
nice
सही है जी..अब टिप्पणी करने वालो पर ही छोड़ देगें.....
आज तो हम भी "नाईस" लिखेगे जी
rachanaaon par kis tarah ki chalataau tippaniyaa aatee hai, us par karaaraa vyang achchha lagaa. maze kee baat (yaa kahen ki yangya) dekhiye ki kalpanik tippaniyaan dene ke baavzood usee tarah kee vastavik tippaniyaan bhi aa gai.
LOL
:)
;)
अत्यन्त जटिल विषय को सरलता के साथ समझाने के लिये आभार
हा हा हा
सत्य वचन।
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।।
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कुछ खाने-खिलाने की भी तो बात हो जाए।
किसे मिला है 'संवाद' समूह का 'हास्य-व्यंग्य सम्मान?
सही है
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