Wednesday, July 21, 2010

राजकुमार सोनी की "बिना शीर्षक"

विगत कुछ काल से छत्तीसगढ़ में हिंदी ब्लोग की अच्छी श्री वृद्धि हो रही है। छत्तीसगढ़ से नये नये ब्लोगर हिंदी ब्लोग के क्षेत्र में अवतीर्ण हो रहे हैं। श्री राजकुमार सोनी जी का पदार्पण भी कुछ समय पहले ही हिन्दी ब्लोगजगत में हुआ किन्तु इस अल्प समय में ही वे हरदिलअज़ीज़ ब्लोगर बन चुके हैं।

राजकुमार जी का मुझे परिचय देने की जरूरत नहीं है किन्तु यह बताना आवश्यक समझता हूँ कि राजकुमार जी ने समय समय पर अनेक विशिष्ट व्यक्तियों के विषय में जानकारी एकत्रित करके उन पर अत्यन्त रोचक लेख लिखे हैं। हर्ष का विषय है कि अब उनके ये लेख एक पुस्तक का रूप धारण कर चुके हैं जिसका शीर्षक है "बिना शीर्षक"


राजकुमार जी पर मेरा विशेष स्नेह है। अपने स्नेह पात्रों की रचनाओं में हम लोग गुण-दोष की विवेचना नहीं करते इसलिये मैं बस इतना ही कहना चाहूँगा कि उनकी इस कृति से मुझे तो सन्तोष ही हुआ है। अब कृति के विषय में तो इसे पढ़कर आप लोग ही निर्णय करेंगे और मुझे विश्वास है कि आप लोगों का निर्णय सकारात्मक ही होगा।

12 comments:

कडुवासच said...

... बधाई व शुभकामनाएं!!!

Udan Tashtari said...

सोचना क्या है..मैं तो बस किताब पाने के इन्तजार में हूँ. :)


राजकुमार जी एड्रेस मांगे और मैने भेजा बस!! इतनी दूरी है मेरे हाथ में किताब आने में..

शिवम् मिश्रा said...

राजकुमार जी को बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !

वाणी गीत said...

राजकुमार जी को बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !

प्रवीण पाण्डेय said...

राजकुमार सोनी जी को ढेर बधाईयाँ।

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

सोनी जी को पुस्तक प्रकाशन की हार्दिक बधाई।
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अथातो सर्प जिज्ञासा।
महिलाओं को क्यों गुजरना पड़ता है लिंग परीक्षण से?

एक विचार said...

बधाई व शुभकामनाएं

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

आपके एवं "बिना शीर्षक" के जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

ZEAL said...

राजकुमार जी को बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !

राजकुमार सोनी said...

संजीव भाई, ललित भाई, अवधियाजी, अजय व श्याम कोरी उदय
दोस्तों इतना प्यार भी मत दो कि वह बार-बार आंखों पर पानी बनकर उतर आए
एकदम डूब सा गया हूं. वैसे तो सुबह ही पता चल गया था कि अजय सक्सेना (किताब का कवर पेज अजय ने ही बनाया है) ने आपको मेल किया है.. मेरे साथ रहकर वह भी आजकल चौकाने लगा है.
आप सबको इस प्यार के लिए धन्यवाद.. शुक्रिया..
अरे हां... दिन में संगीता स्वरुप जी से लंबी चर्चा हुई तो रात में ठीक 10.40 बजे लंदन से दीपक मशाल ने फोनकर बधाई दी. दीपक से भी लंबी बातचीत हुई.. बहुत अच्छा लगा. दीपक को मैं वैसे भी निजी तौर पर बहुत पसन्द करता हूं। इसकी दो वजह है एक तो वह मेरा सबसे ज्यादा ऊर्जावान दोस्त भी लगता है और भाई भी। आज जब वह बात कर रहा था तो लग रहा था कि बस अभी उसे जमकर धौल जमाऊं... ठीक वैसे ही क्या कर रहे हो आजकल वाले अन्दाज में. दीपक से मैंने पहले भी आग्रह किया था कि वह अपना लघुकथाओं का एक संग्रह निकाल ले. मेरे निवेदन पर उसने विचार करने का वादा किया है. कन्टेट के साथ इन दिनों बहुत कम लोग लघुकथाएं लिख रहे हैं.. दीपक लगातार सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार करता रहा है.
शेष.. आप सबके प्यार से अभिभूत हूं.

सूर्यकान्त गुप्ता said...

राजकुमार जी को बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं

जयप्रकाश मानस said...

बधाई । पहली किताब पहली संतान से कम नहीं होती । आपको भी यही लग रहा होगा । अच्छे कंटेंट के साथ लघुकथाओं का विस्तार बहुत अधिक है । आपको पैठना पड़ेगा । हाँ राह चलते कमेंट के लिए ठीक है आपका कहना कि... आपके ही राज्य में एक से एक बढ़कर लघुकथाकार है....