उपन्यास हिन्दी गद्य की विधाओं में से एक प्रमुख विधा है। उपन्यास का अर्थ है प्रस्तुत करना। उपन्यास लेखक अपने उपन्यास के पात्रों के चरित्र-चित्रण के बहाने तत्कालीन सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक, सास्कृतिक तथा आर्थिक वातावरण का प्रस्तुतीकरण करता है।
हिन्दी उपन्यासों का प्रारम्भ भारतेन्दु युग से हुआ। भारतेन्दु युग के प्रमुख उपन्यास हैं बाबू देवकीनन्दन खत्री रचित "चन्द्रकान्ता" और "चन्द्रकान्ता सन्तति", बालकृष्ण भट्ट रचित "नूतन ब्रह्मचारी" हरिऔध रचित "अधखिला फूल" और "ठेठ हिन्दी का ठाठ", अम्बिकादत्त व्यास रचित "आदर्श-वृत्तान्त" आदि।
बाद में उपन्यास सम्राट प्रेमचंद का उदय हुआ जिन्होंने विषय, भाषा, शैली आदि की दृष्टि से उपन्यास विधा में उल्लेखनीय परिवर्तन किया। प्रेमचंद के प्रमुख उपन्यास हैं - गोदान, गबन, कर्मभूमि, रंगभूमि आदि। प्रेमचन्द के काल में जयशंकर 'प्रसाद', आचार्य चतुरसेन, भगवतीचरण वर्मा, अमृतलाल नागर, विश्वम्भर नाथ कौशिक, वृन्दावन लाल वर्मा आदि लेखकों ने उपन्यास विधा के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। "कंकाल", "वैशाली की नगरवधू", "सोमनाथ", "चित्रलेखा", "तितली", "मृगनयनी" आदि उस युग के श्रेष्ठतम उपन्यास हैं।
हिन्दी के अन्य उपन्यासकारों में यशपाल, फणीश्वर नाथ 'रेणु', रांगेय राघव, धर्मवीर भारती, विष्णु प्रभाकर, हिमांशु जोशी, भीष्म साहनी, राजेन्द्र यादव, शिवानी आदि नाम उल्लेखनीय हैं।
2 comments:
jaankaari purn, rochak, sundar lekh.
बहुतों को अभी पढ़ना है।
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