Saturday, December 25, 2010

विश्व-साहित्य की प्रमुखतम कृति - रामायण

जरा कल्पना करें कि आपने कभी कोई रचना नहीं पढ़ी है और आपके पास किसी प्रकार का सन्दर्भ नहीं है। ऐसी स्थिति में क्या आप कुछ लिख पाएँगे? वाल्मीकि के साथ ऐसी ही स्थिति थी, वे आदिकवि थे, प्रथम काव्य रचने वाले। किसी भी प्रकार का सन्दर्भ उनके पास नहीं था किन्तु उन्होंने रामायण जैसा महाकाव्य रच डाला जो कि विश्व-साहित्य में आज भी अपना प्रमुख स्थान रखता है। रामायण के प्रमुख पात्र 'राम' जहाँ आज्ञाकारी पुत्र हैं वहीं आदर्श पति भी हैं; वे आदर्श राजा हैं, प्रजा की भावना के समक्ष उनके लिए अपने सुख का कुछ भी मूल्य नहीं है; जहाँ दीन-हीनों के प्रति उनके हृदय में करुणा तथा दया का भाव है वहीं दुष्टों के प्रति वे अत्यन्त कठोर भी हैं; वे प्रबल योद्धा और परम शूरवीर हैं; राम समस्त मर्यादाओं को निबाहने वाले हैं अतः मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। समस्त विश्व-साहित्य में राम जैसा कोई अन्य पात्र देखने में नहीं आता। राम, रावण जैसे महान अत्याचारी और उसके समर्थकों का विनाश करने वाले हैं, आर्य-संस्कृति की पताका को देश-देशान्तर में फहराने वाले हैं; कहा जाए तो राम भारत के आदिनिर्माता हैं।

राम की कीर्ति-गाथा देश-देशान्तर में फैली हुई है। उनके चरित्र पर अनगिनत ग्रंथों की रचना हुई हैं। इसीलिए गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा है-’रामायण सत कोटि अपारा’। न केवल हमारे देश की प्रमुख भाषाओं में बल्कि विश्व के अन्य देशों की भी प्रमुख भाषाओं में रामायण की रचना हुई है। समस्त विश्व में रामकथा की लोकप्रियता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि राम की कीर्ति-गाथा ने मलेशिया में ‘हिकायत सिरी राम’, थाईलैंड में रामकथा को ‘रामकियेन’ या ‘रामकीर्ति’, कम्बोडिया में ‘रामकोर’, लाओस में ‘फालाक फालाम’ तथा दूसरा ‘फोमचक्र’ जैसे ग्रंथों का रूप धारण किया हुआ है। राम के प्रति श्रद्धा विश्व के सभी समुदाय के लोगों के हृदय में पाई जाती है। जावा, वियतनाम, बर्मा, चीन, जापान, मैक्सिको तथा मध्य अमरीका में रामकथा अत्यन्त लोकप्रिय है।

रामकथा ग्रंथों में वाल्मीकि रचित रामायण का अत्यन्त उच्च स्थान है। वाल्मीकि रामायण एक विशद् ग्रंथ है और आज के जमाने में विस्तृत ग्रंथों को पढ़ने के लिए लोगों के पास समय की कमी है। इसी बात को ध्यान में रखकर हमने वाल्मीकि रामायण का संक्षिप्तीकरण किया है ताकि सभी लोग उसे पढ़ सकें। अब हमारा लक्ष्य है "संक्षिप्त वाल्मीकि रामायण" के सात काण्डों को ईपुस्तक के रूप में अत्यन्त सस्ते दाम में प्रत्ये कम्प्यूटर तक पहुँचाना। अब संक्षिप्त वाल्मीकि रामायण ईपुस्तक के रूप में उपलब्ध है!

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रामायण महाकाव्य आयु तथा सौभाग्य को बढ़ाता है और पापों का नाश करता है। इसका नियमित पाठ करने से मनुष्य की सभी कामनाएँ पूरी होती हैं और अन्त में परमधाम की प्राप्ति होती है। सूर्यग्रहण के समय कुरुक्षेत्र में एक भार स्वर्ण का दान करने से जो फल मिलता है, वही फल प्रतिदिन रामायण का पाठ करने या सुनने से होता है। यह रामायण काव्य गायत्री का स्वरूप है। यह चरित्र धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों पुरुषार्थों को देने वाला है। इस प्रकार इस पुरान महाकाव्य का आप श्रद्धा और विश्‍वास के साथ नियमपूर्वक पाठ करें। आपका कल्याण होगा।

5 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

बहुत अच्छा कार्य किया है आपने...

अन्तर सोहिल said...

जय श्रीराम जी की

प्रवीण पाण्डेय said...

हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता।

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर जी, धन्यवाद

Unknown said...

jai ho..

uttam rachna !