मुझको ब्लोगर बना दीजिये
मेरी रचना पढ़ा दीजिये
अच्छा लिखूँ मैं या ना लिखूँ
टिप्पणी तो करा दीजिये
लोकली मैं छपूँ ना छपूँ
नेट पर तो छपा दीजिये
पोस्ट चोरी का है ये मेरा
मत किसी को बता दीजिये
मूल गज़ल
लज़्ज़त-ए-गम बढ़ा दीजिये
आप यूँ मुस्कुरा दीजिये
कीमत-ए-दिल बता दीजिये
खाक लेकर उड़ा दीजिये
चांद कब तक गहन में रहे
आप ज़ुल्फें हटा दीजिये
मेरा दामन अभी साफ है
कोई तोहमद लगा दीजिये
आप अंधेरे में कब तक रहें
फिर कोई घर जला दीजिये
एक समुन्दर ने आवाज दी
मुझको पानी पिला दीजिये
मूल गजल सुनें:
मेरी रचना पढ़ा दीजिये
अच्छा लिखूँ मैं या ना लिखूँ
टिप्पणी तो करा दीजिये
लोकली मैं छपूँ ना छपूँ
नेट पर तो छपा दीजिये
पोस्ट चोरी का है ये मेरा
मत किसी को बता दीजिये
मूल गज़ल
लज़्ज़त-ए-गम बढ़ा दीजिये
आप यूँ मुस्कुरा दीजिये
कीमत-ए-दिल बता दीजिये
खाक लेकर उड़ा दीजिये
चांद कब तक गहन में रहे
आप ज़ुल्फें हटा दीजिये
मेरा दामन अभी साफ है
कोई तोहमद लगा दीजिये
आप अंधेरे में कब तक रहें
फिर कोई घर जला दीजिये
एक समुन्दर ने आवाज दी
मुझको पानी पिला दीजिये
मूल गजल सुनें:
10 comments:
bahoot khoob.....
What an idea sir g.....
@पोस्ट चोरी का है ये मेरा
मत किसी को बता दीजिये
आज तक बताया क्या? :)
अच्छा समिश्रण किया अवधिया साहब !
अल्लाह आपकी तमन्ना पूरी करे.
'मूड़' से लग रहा है होली आ गयी।
वैसे ललितजी तो अरसे से रंगबिरंगे बन 'मैसेजवा' दिए जा रहे हैं।
टिप्पणियों में दम है ।
अल्लाह करे जोरे-नेट और जियादा.. दोनों ही बढ़िया हैं..
वाह वाह आपकी गज़ल तो लाजवाब बनी है। बधाई लो जी हमने टिप्पणी कर दी।
गज़ल की तर्ज़ पर यह हज़ल अच्छी लगी ।
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