Wednesday, April 6, 2011

अद्भुत् है हिन्दी का शब्द भण्डार!


वैसे तो प्रत्येक भाषा में एक शब्द के लिए अनेक पर्याय मिलते हैं किन्तु हिन्दी में शब्दों के पर्यायों की संख्या अद्भुत् है। हिन्दी के कई शब्द तो ऐसे हैं जिनके पन्द्रह-बीस पर्याय तक मिलते हैं। उदाहरण के लिए पानी शब्द को ही लें तो पानी के वर्तमान में प्रचिलित पर्यायवाची शब्द हमें मिलते हैं - जल, नीर सलिल, वारि। इन प्रचलित शब्दों के अलावा कम प्रयोग होने वाले पानी के पर्यायवाची शब्द हैं - आपस्, वार्, वारि, अम्भः, अम्बु, शम्बर, मेघपुष्प, घनरस। नीर शब्द का प्रयोग हिन्दी काव्य में अनेक सुन्दर प्रयोग मिलते हैं जैसे कि -
  • नयन नीर पुलकित अति गाता!
  • कबिरा मन निर्मल भया, जैसे गंगा नीर!
  • प्रियतम तो परदेस बसे हैं, नयन नीर बरसाये रे!
  • मालव धरती गहन गंभीर, पग पग रोटी डग डग नीर!
हिन्दी काव्य में कमल शब्द के पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग भी बहुतायत से पाया जाता है। कमल के प्रचलित पर्यायवाची शब्द हैं - पद्म, नलिन, अरविन्द, राजीव, सरोरुह! कमल के कम प्रयोग होने वाले पर्यायवाची शब्द हैं - महोत्पल, सहस्रपत्र, शतपत्र, कुशेशय, पंकेरुह, तामरस, सारस, सरसीरुह, विसप्रसून, राजीव, पुष्कर, अम्भोरुह आदि।

देवनागरी की एक विचित्रता यह भी है कि एक ही शब्द के अनेक अनेक मिलते हैं जैसे कि "हरि" शब्द के अर्थ हैं - विष्णु, सूर्य, चन्द्र, इन्द्र, शुक्र, यम, यमराज, उपेन्द्र (वामन), पवन, वायु, किरण, सिंह, घोड़ा, तोता, सर्प, सांप, वानर और मेढक।

हरि शब्द के प्रयोग किए गए यमक अलंकार से युक्त इस दोहे का उदाहरण देखिए -

हरि हरसे हरि देखकर, हरि बैठे हरि पास।
या हरि हरि से जा मिले, वा हरि भये उदास॥

(अज्ञात)

इस दोहे का अर्थ है -

मेढक (हरि) को देखकर सर्प (हरि) हर्षित हो गया (क्योंकि उसे अपना भोजन दिख गया था)। वह मेढक (हरि) समुद्र (हरि) के पास बैठा था। (सर्प को अपने पास आते देखकर) मेढक (हरि) समुद्र (हरि) में कूद गया। (मेढक के समुद्र में कूद जाने से या भोजन न मिल पाने के कारण) सर्प (हरि) उदास हो गया।

तो है न हमारी हिन्दी गर्व करने योग्य भाषा! हमारी हिन्दी तो ऐसी समृद्ध भाषा है हमारी मातृभाषा हिन्दी! इस पर हम जितना गर्व करें कम है!!

चलते-चलते

डॉ. सरोजिनी प्रीतम की हँसिकाओं में यमक और श्लेष अलंकार के प्रयोगः

यमक अलंकार -

तुम्हारी नौकरी के लिए कह रखा था,
सालों से, सालों से।

श्लेष अलंकार -

क्रुद्ध बॉस से
बोली घिघिया कर
माफ कर दीजिये सर
सुबह लेट आई थी
कम्पन्सेट कर जाऊँगी
बुरा न माने गर
शाम को 'लेट' जाऊँगी।

4 comments:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

वाह, आनन्दित करने वाला लेख...

प्रवीण पाण्डेय said...

शब्दों में बसा आनन्द।

सञ्जय झा said...

g.k se sikhi kuch g.k

pranam.

Rahul Singh said...

शब्‍द, बाण भी गोली भी, ठीक इस्‍तेमाल न हो तो बैक फायर.