आज यदि हम अपने बच्चे यदि कहते हैं यह चौंतीस रुपये का है तो वह झट से पूछता है "चौंतीस याने कि थर्टी फोर" होता है ना? "दाहिना" या "दायाँ" और "बायाँ" क्या होता है उसे पता ही नहीं है वह तो "राइट" और "लेफ्ट" ही जानता है, गनीमत है कि "सीधा हाथ" और "उल्टा हाथ" कहने पर वह समझ लेता है। "राम" वह "रामा" कहता है। "माँ", "पिताजी" जैसे शब्दों का तो लोप ही हो चुका है, उनके स्थान पर "मम्मी", "ममी", "पापा", "डैडी", "डैड" जैसे शब्दों का ही प्रचलन जहाँ-तहाँ दिखाई देता है।
तो ये हाल है हिन्दी का!
ऐसे में यदि हम अपने बच्चों से हाथ की अंगुलियों के नाम पूछें तो क्या वह बता पायेगा?
यदि हम उन्हें बताएँ भी कि -
बच्चों की बात छोड़िए, आज हमारे समाचार पत्रों, ब्लोगों, छपी हुई किताबों तक में भी चन्द्रबिन्दु नजर नहीं आता, उसके स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग होता है।
तो ये हाल है हिन्दी का!
ऐसे में यदि हम अपने बच्चों से हाथ की अंगुलियों के नाम पूछें तो क्या वह बता पायेगा?
यदि हम उन्हें बताएँ भी कि -
- जिसे हम साधारणतः अँगूठा कहते हैं उसका वास्तविक नाम अंगुष्ठ है।
- अँगूठे के बाद वाली अंगुली का नाम तर्जनी है।
- हाथ केबीच वाली अंगुली का नाम मध्यमा है।
- बीच वाली अंगुली तथा सबसे छोटी वाली अंगुली के बीच वाली उंगली का नाम अनामिका है।
- हाथ की सबसे छोटी अंगुली का नाम कनिष्ठा है।
बच्चों की बात छोड़िए, आज हमारे समाचार पत्रों, ब्लोगों, छपी हुई किताबों तक में भी चन्द्रबिन्दु नजर नहीं आता, उसके स्थान पर अनुस्वार का प्रयोग होता है।
8 comments:
अच्छी जानकारी ...
एकदम सच बात है,घर घर की कहानी हो गई है यह | अच्छी पोस्ट है ..
बीच वाली अंगुली तथा सबसे छोटी वाली अंगुली(के बीच वाली उंगली) का नाम अनामिका है। संशोधन विचारणीय है.
त्रुटि बताने के लिए धन्यवाद राहुल जी! संशोधन कर दिया गया है।
अँगुलियों की अच्छी जानकारी दी है ।
हमारा भी ज्ञान बढ़ गया।
और तुर्रा यह कि माँ-बाप खुश होते हैं, बच्चे के इस अज्ञान पर
बिल्कुल चंद्र-बिन्दु तो खत्म ही हो गया..
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