सरज़मीं मुहब्बत की ज़ुल्म के हवाले क्यूँ? वक्त की हथेली में नफरतों के छाले क्यूँ? | प्रेम की पवित्र भूमि अत्याचार के अधिकार में क्यों है? वक्त की हथेली पर नफरतों के छाले क्यों हैं? |
अम्न की जंजीर पे खौफ की हुकुमत है क़ैद है तअस्सुब में ज़हन के उजाले क्यूँ? | शान्ति पर भय शासन कर रहा है। बुद्धिरूपी सूर्य से निकलने वाला प्रकाश अधर्म, अन्याय, भय, घृणा, उपेक्षा आदि के अन्धकार में कैद क्यों है? |
रो रही है भूखी माँ दो जवान बेटों को जिसके पास जन्नत है उसके लब पे नाले क्यूँ? | दो जवान बेटों के होते हुए भी माँ भूखी है। जिसे स्वर्ग का सुख मिलना चाहिए उसके होठों पर आह क्यों है? |
आलमे सियासत में बसने वाले लोगों के ताबनाक चेहरे है दिल मगर हैं काले क्यूँ? | राजनीति के आलम में बसने वाले लोगों के चेहरे तो चमकीले हैं पर उनके दिल काले क्यों हैं? |
सब उसी के बंदे हैं सब उसी के सेवक हैं टूटती हैं मस्जिद क्यूँ जल रहे शिवाले क्यूँ? | चाहे हिन्दू हो, चाहे मुस्लिम, चाहे सिख हो, चाहे ईसाई हो, सब तो एक ही ईश्वर के सेवक हैं। फिर मस्जिदें क्यों टूटती हैं और शिवालय क्यों जल रहे हैं? |
सोच का परिंदा हर जंग जीत सकता था होंसलों के पर "हातिम" तुमने काट डाले क्यूँ? | विचाररूपी पक्षी प्रत्येक युद्ध को जीत सकता था, पर उसके साहसरूपी पंख को क्यों काट डाला गया है? |
Saturday, January 14, 2012
टूटती हैं मस्जिद क्यूँ जल रहे शिवाले क्यूँ?
डॉक्टर हातिम जावेद की गज़ल
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4 comments:
सोचनीय.
बहुत ही प्रभावी अभिव्यक्ति
आलमे सियासत में बसने वाले लोगों के
ताबनाक चेहरे है दिल मगर हैं काले क्यूँ ...
बहुत खूब ... लाजवाब ... गज़ब के शेर है सभी ..
बहुत बढिया ..
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