और किसी को लगे, न लगे, पर मुझे लगता है कि हिन्दी ब्लोगिंग की प्राणशक्ति बेहद कमजोर हो चुकी है, इसके पीछे कारण यही लगता है कि हिन्दी ब्लोगिंग के लिए अच्छे एग्रीगेटर का न होना। और फिर फेसबुक ने भी तो हिन्दी ब्लोगिंग की प्राणशक्ति को चूस लिया है।
वैसे तो हिन्दी ब्लोगिंग के लिए अनेक एग्रीगेटर्स बने किन्तु हिन्दी ब्लोगिंग को सबसे अधिक किसी एग्रीगेटर ने बढ़ाया तो वह है ब्लोगवाणी। एक समय ऐसा था कि हिन्दी ब्लोगर्स अपना ब्लॉग बाद में खोलते थे, ब्लोगवाणी पहले खोल लिया करते थे। फिर हिन्दी ब्लोगिंग के दुर्भाग्य का उदय हुआ और ब्लोगवाणी ने हिन्दी ब्लोग्स के अपडेट देना बंद कर दिया। शायद कुछ विघ्नसंतोषी लोगों के द्वारा ब्लोगवाणी की भावनाओं को लगातार ठेस पहुँचाते रहना ही इसका कारण रहा हो सकता है। उसके कुछ दिनों बाद चिट्ठाजगत का बंद हो जाना हिन्दी ब्लोगिंग के लिए "दुबले के लिए दूसरा आषाढ़" साबित हुआ।
ब्लोगवाणी कभी भी बंद नहीं हुई, वह आज भी चल रही है, बस उसमें हिन्दी ब्लोग्स के अपडेट को बंद कर दिया गया है। अगर ब्लोगवाणी चाहे तो आज भी फिर से हिन्दी ब्लोगिंग में जान फूँक सकती है, बस इसके लिए उसे फिर से हिन्दी ब्लोग्स के अपडेट को चालू करना होगा। ब्लोगवाणी के हिन्दी ब्लोगिंग पर बहुत से उपकार हैं जिसे हिन्दी ब्लोगिंग कभी भुला नहीं पायेगी। पर आज एक बार फिर से हिन्दी ब्लोगिंग को ब्लोगवाणी के उपकार की आवश्यकता है। ब्लोगवाणी टीम यदि हिन्दी ब्लोग्स के अपडेट को फिर से चालू कर देगी तो निश्चय ही यह हिन्दी ब्लोगिंग पर उसका सबसे बड़ा उपकार होगा। हिन्दी ब्लोगिंग घिसट-घिसट कर चलने के बजाय एक बार फिर से दौड़ना शुरू कर देगी।
7 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शुक्रवार (28-12-2012) के चर्चा मंच-११०७ (आओ नूतन वर्ष मनायें) पर भी होगी!
सूचनार्थ...!
तब तो समझिये नव फूंक उठे
आपकी बात सही है.. काश कि ऐसा हो उठे ।
सच में आज आवश्यकता और भी है।
आपकी बात से पूरी तरह सहमत
आपकी बात से सहमत
बिल्कुल सही कहा आपने, वैसे मैथिली जी से पिछले साल मुलाकात में उन्होने इसे नये स्वरूप में चालू करने की बात कही थी. हो सकता है वो कुछ व्यस्त हों और समय आने पर इसे फ़िर से शुरू करें. शुभकामनाएं.
रामराम
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