Saturday, January 24, 2015

वसन्त पंचमी - वसन्त ऋतु का प्रारम्भ (Vasant Panchami)


वसन्त ऋतु को ऋतुराज की संज्ञा दी गई है। ऋतुराज अर्थात् ऋतुओं का राजा!

जलते हुए अंगारों के जैसे पलाश के फूल! सारे पत्ते झड़े हुए सेमल के वृक्षों पर लगे हुए रक्त के जैसे लाल सुमन! वातावरण में मनमोहक सुगन्ध बिखेरती शीतल-मन्द बयार! मन में मादकता पैदा करने वाली आम के बौर! रंग-बिरंगे फूलों से सजे बाग-बगीचे! हवा के झौंकों से गिरे फूलों से शोभित भूमि! कलकल ध्वनि के साथ तेजी के साथ बहती नदियाँ! स्वच्छ जल से लबालब तालाब व झीलें। पक्षियों का मधुर कलरव!

यही सब तो वसन्त को ऋतुओं का राजा बना देते हैं।

माना जाता है कि वसन्त का आरम्भ वसन्त पंचमी (Vasant Panchami) के दिन से होता है। और आज वसन्त पंचमी है (Vasant Panchami) याने कि वसन्त ऋतु की शुरुवात।

अब शिशिर की ठिठुरन खत्म और वसन्त की शीतोष्ण समीर द्वारा तन और मन का सहलाना शुरू!

ऐसा शायद ही कोई रसिक होगा जिसका मन वसन्त पंचमी (Vasant Panchami) से लेकर रंग पंचमी तक मादकता और मस्ती से न मचले।

तो मित्रों! आप सभी को वसन्त पंचमी  (Vasant Panchami) की हार्दिक शुभकामनाए!

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