सुबह सवेरे वे आ धमके। कहने लगे, "हम भी ब्लोगर बनना चाहते हैं"। हमने कहा, "तो बन जाइये दिक्कत क्या है?"
वे बोले, "अजी दिक्कत ही दिक्कत है। हम तो ये भी नही जानते कि ये ब्लोगर कैसे बनते है?" हम बोले, "यार पहले ये बताओ कि तुम्हें ब्लोगर बनने की सूझी कैसे?" उन्होनें कहा, "कुछ दिन पहले एनडीटीवी में देखा था कि अमिताभ बच्चन ब्लोगर बन गये है। अब भई हमारे फेवरिट स्टार ब्लोगर बन गये है तो हम भी क्यों न बनें।" हमने आश्चर्य से पूछा, "तो आप सिर्फ इसलिये ब्लोगर बनना चाहते हैं कि अमिताभ बच्चन ब्लोगर बन गये हैं?" वे बोले, "हाँ भइ हाँ, हम हर वो काम किया करते हैं जो अमिताभ साहब करते हैं। अब आप देर मत करें और फटाफट हमे ब्लोगर बना दें।"
"चलो, ब्लोगर तो मैं आपको बना दूँगा, पर उसमे लिखोगे क्या?"
"तो क्या ब्लोगर बनने के लिये कुछ लिखना भी पड़ता है?" उन्होंने आश्चर्य से पूछा।
हमने बताया, "लिखना भी नहीं, लिखना ही पड़ता है।"
"तो आप अपने ब्लोग में क्या लिखते हैं?"
"अरे भइ, जो कुछ सूझता है लिख देता हूँ।"
वे बोले, "यार तब तो लिखना बहुत सरल काम है।"
हमने कहा, "हाँ भइ, लिखना तो बहुत सरल काम है पर जो ये सूझना है न, वही बहुत मुश्किल होता है।"
वे बोले, "तो आप हमारे लिये कुछ लिख भी दीजिये न।"
हमने कहा, "नही भइ, ये नहीं हो सकता। हम तो अपने लिये ही बड़ी मुश्किल से लिख पाते है।"
बोले, "यार, ब्लोगर तो बनना ही है। अब आप ही कुछ जुगाड़ करो। कोई न कोई रास्ता तो जरूर होगा ब्लोगर बनने का।"
हम गम्भीर हो गये। एक युक्ति सूझ ही गई। उनसे पूछा, "भई अपने ब्लोग का नाम क्या रखोगे?" थोड़ी देर तक वे सोचते रहे फिर बोले, "यार हम तो नौसिखिये है हमारे ब्लोग का नाम नौसिखिया ही रख दो"
हमने ब्लोगर.कॉम में उनका एक ब्लोग बनाया, कृति निर्देशिका से अपना ही एक लेख लिया और उनके ब्लोग में प्रकाशित कर दिया। अपने ब्लोग को देखकर झूम उठे। हमने पूछा, "पढोगे नहीं?" वे बोले, "अजी, अब पढना-वढना क्या है?"
अचानक उनकी नजर 'टिप्पणी लिखें' पर पड़ गई। बोले, "आपने तो टिप्पणी तो लिखा ही नहीं।"
हमने बताया कि टिप्पणी पाठक लोग लिखते है। तो वे बोले, "तो आप हमारे पाठक बन जाइयें और एक टिप्पणी लिख दीजिये।" हमने कहा, "भई हम तो टिप्पणी नहीं लिख सकते क्योंकि आपके ब्लोग में हमने अपना ही लेख डाला है। अब अपने ही लेख की टिप्पणी कैसे करें।"
वे बोले, "कोई और मित्र हो तो उससे टिप्पणी करवा दो।"
हमने कहा, "यार आप तो प्रतीक्षा करों। किसी न किसी दिन कोई पाठक आपके ब्लोग को पढकर अवश्य ही टिप्पणी करेगा।"
"ठीक है मै टिप्पणी का इंतजार करूंगा।" कहकर वे चले गये।
आज भी उन्हे टिप्पणी का इंतजार है और हम जानते है कि उनके ब्लोग में कभी भी कोई टिप्पणी नहीं होने वाली है क्योंकि न तो उनके ब्लोग को कोई जानता है और न ही वो लेख दमदार है।
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