Wednesday, May 7, 2008

बूढ़ा बरगद


सबकी सेवा करते करते
चलो आज मैं वृद्ध हुआ
तिरस्कार भी पाकर अब तक,
नहीं कभी भी क्षुब्ध हुआ

फोटो worth1000।com के सौजन्य से!


हम भी ब्लोगर बनेंगे

सुबह सवेरे वे आ धमके। कहने लगे, "हम भी ब्लोगर बनना चाहते हैं"। हमने कहा, "तो बन जाइये दिक्कत क्या है?"

वे बोले, "अजी दिक्कत ही दिक्कत है। हम तो ये भी नही जानते कि ये ब्लोगर कैसे बनते है?" हम बोले, "यार पहले ये बताओ कि तुम्हें ब्लोगर बनने की सूझी कैसे?" उन्होनें कहा, "कुछ दिन पहले एनडीटीवी में देखा था कि अमिताभ बच्चन ब्लोगर बन गये है। अब भई हमारे फेवरिट स्टार ब्लोगर बन गये है तो हम भी क्यों न बनें।" हमने आश्चर्य से पूछा, "तो आप सिर्फ इसलिये ब्लोगर बनना चाहते हैं कि अमिताभ बच्चन ब्लोगर बन गये हैं?" वे बोले, "हाँ भइ हाँ, हम हर वो काम किया करते हैं जो अमिताभ साहब करते हैं। अब आप देर मत करें और फटाफट हमे ब्लोगर बना दें।"

"चलो, ब्लोगर तो मैं आपको बना दूँगा, पर उसमे लिखोगे क्या?"

"तो क्या ब्लोगर बनने के लिये कुछ लिखना भी पड़ता है?" उन्होंने आश्चर्य से पूछा।

हमने बताया, "लिखना भी नहीं, लिखना ही पड़ता है।"

"तो आप अपने ब्लोग में क्या लिखते हैं?"

"अरे भइ, जो कुछ सूझता है लिख देता हूँ।"

वे बोले, "यार तब तो लिखना बहुत सरल काम है।"

हमने कहा, "हाँ भइ, लिखना तो बहुत सरल काम है पर जो ये सूझना है न, वही बहुत मुश्किल होता है।"

वे बोले, "तो आप हमारे लिये कुछ लिख भी दीजिये न।"

हमने कहा, "नही भइ, ये नहीं हो सकता। हम तो अपने लिये ही बड़ी मुश्किल से लिख पाते है।"

बोले, "यार, ब्लोगर तो बनना ही है। अब आप ही कुछ जुगाड़ करो। कोई न कोई रास्ता तो जरूर होगा ब्लोगर बनने का।"

हम गम्भीर हो गये। एक युक्ति सूझ ही गई। उनसे पूछा, "भई अपने ब्लोग का नाम क्या रखोगे?" थोड़ी देर तक वे सोचते रहे फिर बोले, "यार हम तो नौसिखिये है हमारे ब्लोग का नाम नौसिखिया ही रख दो"

हमने ब्लोगर.कॉम में उनका एक ब्लोग बनाया, कृति निर्देशिका से अपना ही एक लेख लिया और उनके ब्लोग में प्रकाशित कर दिया। अपने ब्लोग को देखकर झूम उठे। हमने पूछा, "पढोगे नहीं?" वे बोले, "अजी, अब पढना‍-वढना क्या है?"

अचानक उनकी नजर 'टिप्पणी लिखें' पर पड़ गई। बोले, "आपने तो टिप्पणी तो लिखा ही नहीं।"
हमने बताया कि टिप्पणी पाठक लोग लिखते है। तो वे बोले, "तो आप हमारे पाठक बन जाइयें और एक टिप्पणी लिख दीजिये।" हमने कहा, "भई हम तो टिप्पणी नहीं लिख सकते क्योंकि आपके ब्लोग में हमने अपना ही लेख डाला है। अब अपने ही लेख की टिप्पणी कैसे करें।"

वे बोले, "कोई और मित्र हो तो उससे टिप्पणी करवा दो।"

हमने कहा, "यार आप तो प्रतीक्षा करों। किसी न किसी दिन कोई पाठक आपके ब्लोग को पढकर अवश्य ही टिप्पणी करेगा।"

"ठीक है मै टिप्पणी का इंतजार करूंगा।" कहकर वे चले गये।

आज भी उन्हे टिप्पणी का इंतजार है और हम जानते है कि उनके ब्लोग में कभी भी कोई टिप्पणी नहीं होने वाली है क्योंकि न तो उनके ब्लोग को कोई जानता है और न ही वो लेख दमदार है।

Monday, May 5, 2008

आइये! चन्द्रमा तक घूम आयें।

चौंकिये मत। नासा (NASA) अपने अगले चन्द्र मिशन (lunar mission) के एक हिस्से के तहत चन्द्रमा की यात्रा करने की इच्छा रखने वालों के लिये चन्द्रमा के द्वार खोलने जा रहा है। और इसके लिये सालों चलने वाले परीक्षण (test), किसी प्रशिक्षण (training) या स्मोकिंग एस्ट्रोटर्फ की कोई आवश्यकता भी नहीं है। किन्तु दुर्भाग्य से चन्द्रमा तक आप नहीं सिर्फ आपका नाम ही जायेगा। वैसे आपका नहीं जाना ही अच्छा है क्योंकि नक्षत्रों में लैंडिंग तथा आउटपोस्ट साइट्स (landing and outpost sites) का चयन करने वाला चन्द्र टोही यान (Lunar Reconnaissance Orbiter) लौट कर वापस नहीं आने वाला है।

तो यदि आप अपने नाम को चन्द्रमा तक भेजना चाहते हैं तो नासा के मिसन साइट (mission site) में जाकर अपना नाम दर्ज करा दें। आपका नाम उस चिप में जोड़ लिया जायेगा जो कि ब्रह्माण्ड के वृहतम 'चीज़' (biggest cheese in the Universe) अनन्त काल तक चक्कर लगाता रहेगा।

और हाँ, इसके लिये आपको नासा से एक प्रमाणपत्र भी प्राप्त होगा।

चन्द्रमा में अपना नाम भेजने के लिये यहाँ क्लिक करें

Thursday, May 1, 2008

आर्टिकल डायरेक्टरी के फायदे

आर्टिकल डायरेक्टरी (article directory) जिसे हिन्दी में कृति निर्देशिका कहते हैं क्या होता है?

आर्टिकल डायरेक्टरी (article directory) जिसे हिन्दी में कृति निर्देशिका कहते हैं एक प्रकार की निर्देशिका होती है जिसमें कोई भी रचनाकार अपनी किसी भी रचना को अपने नाम तथा अपने ब्लोग/वेबसाइट के लिंक के साथ मुफ्त में प्रकाशित कर सकता है तथा उसमें प्रकाशित रचनाओं का उपयोग कोई भी व्यक्ति मुफ्त में अपने ब्लोग/वेबसाइट आदि में प्रकाशन के लिये कर सकता है किन्तु बिना किसी प्रकार की हेर-फेर किये और रचनाकार के नाम तथा ब्लोग/वेबसाइट के लिंक के साथ।

क्यों आवश्यकता हुई कृति निर्देशिकाओं की?

सभी चाहते हैं कि उसके ब्लोग/वेबसाइट को सर्च इंजिन में प्राथमिकता मिले। सर्च इंजिन उन ब्लोग/वेबसाइट को प्राथमिकता देते हैं जिनको प्रायः रोज ही अपडेट किया जाता है अर्थात् जिनमें प्रतिदिन नई लेखन-सामग्री (new content) डाली जाती है। अब प्रतिदिन एक नई रचना रच लेना हर किसी के बस की बात नहीं होती। किन्तु सर्च इंजिन को इससे कोई सरोकार नहीं है कि आप रोज नया लेख लिख सकते हैं या नहीं, उसे तो आपके ब्लोग/वेबसाइट को प्राथमिकता देने के लिये रोज नई सामग्री चाहिये ही। इसीलिये कृति निर्देशिकाओं की आवश्कता हुई कि लोग एक दूसरे की रचनाओं का उपयोग कर सकें।

कृति निर्देशिकाओं के क्या फायदे हैं?

सभी ब्लोगर्स/वेबमास्टर्स को नई सामग्री प्राप्त हो जाती है।

जो स्वयं अपना लेख नहीं लिख सकते, और पेशेवर लेखकों की सेवाएँ खरीदने में भी असमर्थ होते हैं, उन्हें भी अपने ब्लोग/वेबसाइट के लिये मुफ्त रचनाएँ मिल जाती हैं।

जो रचनाकार अपनी रचनाएँ कृति निर्देशिकाओं को प्रदान करते हैं उन्हें लोकप्रियता तो मिलती ही है, सैकड़ों तथा हजारों की तदात में बैकलिंक्स भी मिल जाते हैं। (किसी ब्लोग/वेबसाइट का किसी दूसरे ब्लोग/वेबसाइट में लिंक होने को बैकलिंक कहा जाता है)। सर्च इंजिन के लिये बैकलिंक्स का महत्व डेली अपडेशन से कहीं अधिक होता है। यदि आपके ब्लोग/वेबसाइट के पास 100 वेबलिंक्स हैं और मेरे ब्लोग/वेबसाइट का केवल 1 तो इस स्थिति में सर्च इंजिन आपके ब्लोग/वेबसाइट को मेरे ब्लोग/वेबसाइट से पहले दिखायेंगे, भले ही आपका ब्लोग/वेबसाइट मेरे ब्लोग/वेबसाइट की अपेक्ष बिल्कुल ही नया क्यों न हो। अधिक पेज रैंक वाले ब्लोग/वेबसाइट में बैकलिंक्स होने का और भी बहुत महत्व होता है।

मान लीजिये आपने हिंदी वेबसाइट कृति निर्देशिका (वर्तमान पेज रैंक 3) में अपनी एक रचना प्रकाशित की। तो आपके ब्लोग/वेबसाइट को पेज रैंक 3 वाली वेबसाइट में 1 बैकलिंक तो मिल ही जायेगा अब यदि आपकी रचना को 100 लोगों ने पसंद किया और उसका प्रकाशन अपने ब्लोग/वेबसाइट में कर दिया तो आपको 100 बैकलिंक्स और भी मिल गये। इस प्रकार से अधिक से अधिक बैकलिंक्स मिलने से आपके ब्लोग/वेबसाइट का पेज रैंक बढ़ता जायेगा और सर्च इंजिन के पहले पेजों में ही उसे स्थान मिलने लगेगा।

इसके अतिरिक्त मान लीजिये कोई व्यक्ति, जो कि आपके ब्लोग/वेबसाइट के विषय में नहीं जानता, आपकी रचना को किसी अन्य ब्लोग/वेबसाइट में पढ़ता है तो रचना पसंद आने पर वह आपकी अन्य रचनाओं को पढ़ने के लिये अवश्य ही आपके ब्लोग/वेबसाइट में आयेगा और इस प्रकार से आपके पाठकों की संख्या में भी वृद्धि होगी।

तो क्या मुझे कृति निर्देशिका के लिये कोई नई रचना गढ़नी होगी?

जी नहीं। आप अपने किसी भी पुरानी (और लोकप्रिय भी) रचना को, जो कि भले ही पहले से ही आपके ब्लोग/वेबसाइट में प्रकाशित हो चुकी हो, किसी एक कृति निर्देशिका या एक से अधिक कृति निर्देशिकाओं में प्रकाशित कर सकते हैं और बैकलिंक्स बढ़ा सकते हैं। आप चाहें तो नई रचना भी रच सकते हैं। यह पूरी तरह से आपकी मर्जी पर निर्भर है कि आप कृति निर्देशिका को अपनी कौन सी रचना प्रदान करें।

अधिक से अधिक बैकलिंक्स के क्या फायदे हैं?

  • आपके ब्लोग/वेबसाइट को सर्च इंजिन के पहले पेजों में स्थान मिलता है।
  • आपके ब्लोग/वेबसाइट का पेज रैंक बढ़ते जाता है।
  • पेज रैंक बढ़ने से एडसेंस के मंहगे विज्ञापन आपके ब्लोग/वेबसाइट में स्वतः ही प्रकाशित होने लगते हैं और आपके एडसेंस रिव्हेन्यू में बढ़ोत्तरी होती जाती है।