कल सायं 03:19 के बाद से ब्लोगवाणी में हिन्दी ब्लोग्स के पोस्टों का अद्यतनीकरण (updation) नहीं हो रहा है। ब्लोगवाणी के प्रशंसक निराश हैं। हमने तो यही अनुमान लगाया था कि शायद ब्लोगवाणी का रख-रखाव (maintenance) हो रहा हो किन्तु रख-रखाव में इतना लंबा समय तो नहीं लगता। हमारे मित्रगण हमें मोबाइल लगा कर पूछ रहे हैं कि ब्लोगवाणी को क्या हुआ है। पर हम कुछ भी बताने में स्वयं को असमर्थ पा रहे हैं क्योंकि इस विषय में हमें कुछ भी जानकारी नहीं है। जानकारी के अभाव में सिर्फ अनुमान ही लगाया जा सकता है। अब हमें लग रहा है कि शायद ब्लोगवाणी का सर्व्हर बदला गया हो और उसके डेटा पुराने सर्व्हर से नये सर्व्हर में स्थानांतरित किये जा रहे हों। पर यह भी सिर्फ एक अनुमान ही है। वास्तविकता क्या है यह तो ब्लोगवाणी टीम ही बता पायेगी।
ब्लोगवाणी से चाहे हमें पसन्द मिले या नापसन्द, चाहे हम ब्लोगवाणी को कितना भी बुरा-भला कहें, किन्तु ब्लोगवाणी का महत्व ऐसे ही समय में स्पष्ट हो जाता है जब यह काम करना बंद कर देता है।
8 comments:
बिलकुल सही कहा अवधिया जी। मै तो खुद परेशान हूँ। ब्लागवाणी टीम से निवेदन है कि वो स्थिती स्पष्ट करे। धन्यवाद। अपना तो पूरा काम ही ब्लागवाणी पर निर्भर है।
...ब्लागवाणी यदि पसंद/नापसंद के चटके को समर्थन देते रहेगी तो ... अच्छा है बंद ही हो जाये... जय जय ब्लागिंग!!!!
ब्लॉग वाणी से भी बहुत से वजिटर आते थे वो अब नहीं आ पाएंगे | इसका महत्व तो था ही |
ज्ञान जी,
इतने दिनों बाद पधारे और आते ही… :)
क्या problem है आपका?
अजी इसे जुकाम हो गया है दुशाना पी कर ठीक हो कर जल्द ही फ़िर से आयेगी हट्टी कट्टी हो कर
@ भाई, आप की बात सही है। ब्लागवाणी कोई सामुहिक प्रयास नहीं है अपितु एक प्राइवेट लि. कंपनी है। वह जो चाहे उसे करने का अधिकार है। किसी भी ब्लागर को उस पर कोई आपत्ति नहीं करनी चाहिए। ब्लागवाणी ने किसी से क्या लिया है? जो उस पर अपना हक दिखाए या उसे जनतांत्रिक तरीके से काम करने की बात कहे। यदि ब्लागवाणी पर किसी को अपना चिट्ठा दिखाना है तो उसे इन सब बातों को सहन करना चाहिए।
कल से अगर ब्लागवाणी के स्वामी उसे बंद ही कर दें तो कोई क्या कर लेगा?
हाँ, यदि किसी को या बहुत से लोगों को आपत्ति है तो अलग से टक्कर का एग्रीगेटर बना कर दिखाएँ।
27 September, 2009 ko ब्लॉगवाणी करता है पक्षपात ख़ास ब्लोगरों के साथ: सबूत भी हैं par दिनेशराय द्विवेदी ki comment aaj bhi aksharash prasangik hai
दरअसल बात ये है कि कुछ लोगों को हमेशा बिना बात के कमियाँ निकालने की आदत सी पडी रहती है...ऎसे लोग अपने आसपास के लोगों की सफलता को पचा नहीं पाते ओर अपनी हीनभावना और इर्ष्या के चलते सफलता के उस माध्यम को ही गरियाने लगते हैं, उसमें कमियाँ निकालने लगते हैं.... जिसका खमियाजा दूसरों को भुगतना पडता है....ब्लागवाणी मामलें में भी यही सब कुछ हो रहा है...
बेहतरीन लेख. बहुत खूब!
आप पढ़िए:
चर्चा-ए-ब्लॉगवाणी
चर्चा-ए-ब्लॉगवाणी
बड़ी दूर तक गया।
लगता है जैसे अपना
कोई छूट सा गया।
कल 'ख्वाहिशे ऐसी' ने
ख्वाहिश छीन ली सबकी।
लेख मेरा हॉट होगा
दे दूंगा सबको पटकी।
सपना हमारा आज
फिर यह टूट गया है।
उदास हैं हम
मौका हमसे छूट गया है..........
पूरी हास्य-कविता पढने के लिए निम्न लिंक पर चटका लगाएं:
http://premras.blogspot.com
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