Sunday, May 8, 2011

पतित को पशु कहना कहाँ तक उचित?

पतित शब्द का मूल है "पतन" और इसका अर्थ है गिरा हुआ। एक भ्रष्ट व्यक्ति, चाहे वह नेता हो या अफसर, नैतिक रूप से गिरा हुआ ही होता है याने कि पतित होता है। प्रायः लोग इनकी तुलना कुत्ते से करते हैं। किन्तु यह तुलना क्या उचित है? क्या कुत्ते का आचरण भ्रष्ट व्यक्ति के आचरण जैसा होता है? वास्तव में देखा जाए तो भ्रष्ट व्यक्ति की तुलना कुत्ते से करना कुत्ते का अपमान है। क्या विचार है आपका? पतित को पशु कहना कहाँ तक उचित है?

मैथिलीशरण गुप्त जी के शब्दों में -

करते हैं हम पतित जनों में, बहुधा पशुता का आरोप;
करता है पशु वर्ग किन्तु क्या, निज निसर्ग नियमों का लोप?
मैं मनुष्यता को सुरत्व की, जननी भी कह सकता हूँ,
किन्तु पतित को पशु कहना भी, कभी नहीं सह सकता हूँ॥

(पंचवटी खण्डकाव्य से)

4 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

सच है पशुओं को बदनाम न करें हम।

Rahul Singh said...

कुछ तो कहना ही होता है.

राज भाटिय़ा said...

पशुओ मे सूअर भी तो होता हे... इस लिये इन लोगो की तुलना सूअर से करनी चाहिये, क्योकि सूअर जहां खाता हे वही गंदगी भी फ़ेलाता हे, कुत्ते से तुलना गलती से भी नही करनी चाहिये

अजित गुप्ता का कोना said...

पतित होना केवल मनुष्‍यों में ही पाया जाता है किसी भी अन्‍य प्राणी में नहीं। कभी हम कहते हैं कि यह जानवर है कभी कहते हैं जंगली है, लेकिन सभी प्राणी अपने धर्म से बंधे हैं केवल मनुष्‍य ही ऐसा प्राणी है जो अपना मनुष्‍य-धर्म भूल गया है।