Tuesday, May 10, 2011

आवारा..... लोफर.....

आवारा..... लोफर.....  कहाँ गे रेहे अतेक घाम में? (कहाँ गए थे इतनी धूप में?)

ये शब्द होते थे मेरी दादी माँ के। बचपन के दिनों में स्कूल में गर्मी की छुट्टियों के दौरान दोपहर में जब मैं घर से चुपचाप दादी की आँख बचाकर निकल जाया करता था तो वापस घर आने पर दादी की ये डाँट मुझे सुननी पड़ती थी। आज न दादी है और न वो बचपन किन्तु दो शब्द अब भी हैं - आवारा..... लोफर.....

"आवारा" शब्द का अर्थ है बिना किसी उद्देश्य के इधर-उधर भटकना। आवारा का अर्थ प्रायः बदमाश के रूप में भी लिया जाता है। आवारा के लिए अंग्रेजी में लोफर (loafer) शब्द है जिसे हिन्दी भाषा में भी अपना लिया गया है।

आवारा शब्द की लोकप्रियता का अन्दाज इसी से लगाया जा सकता है कि विष्णु प्रभाकर जी ने "आवारा मसीहा" उपन्यास लिख दिया, राज कपूर ने "आवारा" फिल्म बना दी, हमारे ब्लोगर बंधु संजीत त्रिपाठी जी ने "आवारा बंजारा" ब्लोग ही बना दिया।

फिल्मी गीतकारों ने भी आवारा शब्द का खूब इस्तेमाल किया है, यथा -

आवारा हूँ... या गर्दिश में हूँ आसमान का तारा हूँ....
है अपना दिल तो आवारा....
इतना न मुझसे तू प्यार बढ़ा के मैं इक बादल आवारा...

आवारा से आवारगी शब्द बना है, लीजिए सुनिए "आवारगी" उनमान का गज़ल "आवारगी में हद से गुजर जाना चाहिये..."

3 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

आवारा शब्द और आवारगी अब तक अभिभूत करते हैं।

राज भाटिय़ा said...

यही हाल हमारा होता था, ओर हेरानी की बात हे इतनी गर्मी मे हमे कुछ नही होता था:)

अजित गुप्ता का कोना said...

इस बहाने दादी का स्‍मरण हुआ, शुभकामनाएं।