(स्व. श्री हरिप्रसाद अवधिया रचित कविता)
नया साल तुम क्या लाये हो?
विश्व-शान्ति है क्या तुममें?
या उर में विस्फोट छियाये हो?
नया साल तुम क्या लाये हो?
उल्लास नया है,
आभास नया है,
पर थोड़े दिन के ही खातिर,
फिर तो दिन और रात बनेंगे
बदमाशी में शातिर
वर्तमान में तुम भाये हो,
नया साल तुम क्या लाये हो?
असुर न देव बनेंगे,
जो जो हैं वे वही रहेंगे,
शोषण कभी न पोषण बनेगा
रक्त पियेगा बर्बर मानव
जो चलता था वही चलेगा।
फिर क्यों जग को भरमाये हो?
नया साल तुम क्या लाये हो?
पिछला वर्ष गया है,
आया समय नया है।
क्या भीषण आघातों से
मानवता का किला ढहेगा?
बोलो, तुम क्यों सकुचाये हो?
नया साल तुम क्या लाये हो?
(रचना तिथिः 01-01-1981)
2 comments:
नए साल की शुभकामनाएं
ughutibasutiआशा है नया वर्ष खुशहाली भरा होगा ।
घुघूती बासूती
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