किसी एक की चार-पाँच मिलकर खूब कुटाई करें, दे घूँसे पे घूँसा, दे लात पे लात कि सामने वाला अधमरा हो कर गिर जाये, तुर्रा यह कि बावजूद अधमरा होकर गिरे रहने के भी यदा कदा धुनाई जारी ही रहे कि इतने में हीं अधमरे आदमी के बदन में अचानक बला की ताकत आ जाये और चारों-पाँचो की ऐसी धुलाई करना शुरू कर दे कि वे लोग तौबा-तौबा करने लगें अचम्भा नहीं है और तो क्या है? भैया, आपके लिये भले न हो, हमारे लिये तो अचम्भा ही है। कहाँ से आ जाती है अधमरे के बदन में इतनी ताकत? क्या कोई देवता चढ़ जाता है? या फिर उस पर शैतान सवार हो जाता है? जी हाँ मैं WWE की बात कर रहा हूँ जिसके कि हमारे खली साहब भी आजकल बहुत बड़े हीरो हो रहे हैं।
अब वो क्या है भइ कि हम ठहरे पुराने आदमी। हमें तो ये लड़ाई ही समझ में नहीं आती। इस लड़ाई में तो लगता है कि अधमरा हो जाना एक फार्मूला है, वैसे ही जैसे कि हमारी पुरानी फिल्मों में दारासिंह किंग-कांग से पहले खूब मार खाये और बाद में खाये हुये मार को 10% मासिक की दर से ब्याज के साथ वापस करे। या फिर हीरो विलेन को मारने का तब तक खयाल ही न करे जब तक कि उसके नाक से खून न निकले और वह उस खून को अपने हाथ पोछ कर देख न ले। तो अधमरा हो जाने के बाद बदन में शैतान समाना हमारे ही बॉलीवुड फार्मूले की नकल है। हम भारतीयों की चीजों को एक दूसरा रूप दे देना तो सदियों से चलता चला आ रहा है। अब देखिये न, शताब्दियों पहले लोग हमारे अंकों को यहाँ से ले गये और बाद में उसे अंग्रेजी अंकों का रूप देकर हम लोगों को ही परोस दिया।
हाँ तो मैं लड़ाई की बात कर रहा था। अजीब लड़ाई है यह। कोई नियम नहीं, कोई कानून नहीं। हमारे यहाँ तो तलवार वाला तलवार वाले से और गदा वाला गदे वाले से ही लड़ा करता था। निहत्थे पर हाथ नहीं उठाया जाता था। किसी के मूर्छित हो जाने पर फिर वार नहीं किया जाता था। पर इस लड़ाई में तो सब जायज है। जैसी मर्जी आये मारो, बस कूटते रहो, धुनते रहो। देखने वालों को मजा आता है। वास्तव में मानव सदा से ही हिंसा प्रेमी रहा है, उसे हिंसा में सदा आनन्द आता रहा है, हिंसा करके या हिंसा देख कर मजा लेना उसका मूल स्वभाव है। खैर यह कोई बड़ी बात नहीं है, बड़ी बात है इंसान के हिंसक स्वभाव का फायदा उठा कर कमाई करना।
हमें तो लगता है कि WWE के ये सारे लड़ाकू जयद्रथ के वंशज हैं। महाभारत की लड़ाई में एक योद्धा से अनेक योद्धा मिल कर युद्ध करने का नियम नहीं होने के बाद भी जयद्रथ ने और योद्धाओं को फुसला कर अपने साथ मिला लिया था और अभिमन्यु पर एक साथ सात-सात योद्धाओं ने युद्ध किया था। पर समझ में नहीं आया कि जयद्रथ के वंशज अमेरिका में जा कर कब बस गये।
कुछ भी हो, ये दानवों जैसे दिखने वाले लड़ाकुओं की लड़ाई खूब लोकप्रिय हो रहा है अपने देश में, खास कर युवा और किशोर वर्ग में। हमने बच्चों से कहा बेटा जरा डिस्कव्हरी चैनल लगाना तो वे कहते हैं नहीं जी हम तो WWE देखेंगे, अभी तो 'खली' आने वाला है। अब आज के जमाने में बच्चों के आगे बड़ों की चलती ही कहाँ है? सो हम चुपचाप वहाँ से खिसक लिये अपने कम्प्यूटर के कीबोर्ड में खिटिर पिटिर करने लगे। नतीजे के रूप में जो आया उसे अब आप पढ़ रहे हैं और पढ़ कर पछता रहे हैं कि आखिर इस लेख का तात्पर्य क्या है? अब हम क्या और क्यों लिख रहे हैं हमें ही नहीं पता तो आपको क्या बतायें! हाँ आप लोग तो विद्वजन हैं, इसलिये कुछ न कुछ तात्पर्य निकाल ही लेंगे। यदि कोई तात्पर्य निकल जाये तो हमें भी बताना न भूलियेगा।
3 comments:
अजी छोड़िये भी ये सब.. मान भी लिजीये कि आपकी बच्चों के सामने नहीं चलती है... :D
ये सारे लड़ाकू जयद्रथ के वंशज हैं। :)
हा हा!!
अब राजपाल यादव के साथ लड़ने वाले हैं एक फिल्म में खली. यादव जी (कृष्ण जी के वंशज हैं) ही जीतेंगे. :)
wwf ki maximum fight lagbhag 80% fake hoti hai.
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