Sunday, October 4, 2009

ये 'पूर्ण वर्तमान' क्या है?

हिन्दी व्याकरण में काल के भागों में से एक भाग 'पूर्ण वर्तमान' है। ये 'पूर्ण वर्तमान' क्या है? वर्तमान तो तभी तक रहता है जब तक कि अपूर्ण हो, पूर्ण होते ही वह 'भूत' बन जाता है। हिन्दी के वर्ण और अंक तो देवनागरी से लिए गये हैं किन्तु व्याकरण के लिए अंग्रेजी ग्रामर का सहारा ले लिया गया है। अंग्रेजी में 'प्रेजेंट परफैक्ट' (Present Perfact) होता है जिसे हिन्दी में 'पूर्ण वर्तमान' कर दिया गया।

क्या संस्कृत में व्याकरण नहीं है जो अंग्रेजी ग्रामर का सहारा लिया गया? मेरी जानकारी के अनुसार, जिसे हम 'पूर्ण वर्तमान' कहते हैं उसे संस्कृत व्याकरण में 'हेतु हेतु मतभूत' कहा जाता है। चलन में न होने के कारण यह नाम कुछ कठिन सा लग सकता है किन्तु यह नाम कठिन नहीं है।

क्या हिन्दी व्याकरण के लिए अंग्रेजी ग्रामर का सहारा लेना उचित या जरूरी है?

चलत-चलते

वो क्लास महोदय टीचर थे, ऊपर से ब्राह्मण! "ब्राह्मन को धन केवल भिच्छा" वाले सिद्धांत के अनुसार हमेशा वे अपनी जरूरत की चीजें जैसे कि चाँवल, आटा, साबुन, तेल आदि कक्षा के विद्यार्थियों के घर से मंगवा लिया करते थे। पर उनकी कक्षा में हरीश एक ऐसा विद्यार्थी था जिसने कभी भी मास्साब के लिये कुछ नहीं लाया। डाँट-मार खाने पर यही कहता था, "मम्मी देती ही नहीं तो क्या करूँ।"

मास्साब ने हरीश से कुछ मंगाना ही छोड़ दिया। पूरा साल बीत चला। अंत में एक दिन हरीश कक्षा में एक हांडी ले कर आया और हांडी को मास्साब को देते हुये बोला, "सर, मम्मी ने आपके लिये भिजवाया है।"

भूख जगा देने वाली वाली जोरदार सुगंध उठ रही थी हांडी से। मास्साब ने ढक्कन खोल कर देखा, पिश्ता, काजू आदि से भरपूर खीर थी। रोक नहीं सके अपने आपको वे। झट से निकाल कर थोड़ी सी खीर खाई और बोले, "वाह वाह! बहुत अच्छी बनी है।"

फिर अनायास पूछ बैठे, "अरे हरीश, तेरी मम्मी तो मेरे लिये कभी कुछ देती ही नहीं थी, आज कैसे उसने ये खीर भिजवा दिया?"

"वो क्या है सर, घर में मेहमान आये थे और उनके लिये मम्मी ने ये खीर बनाया था। खीर बन जाने पर एक कुत्ते ने उस पर मुँह मार दिया। मम्मी तो फेंकने वाली थी खीर को पर मैने कहा मम्मी मत फेंको इसे, मैने सर को आज तक कुछ भी नहीं दिया है, मैं उन्हें दे आता हूँ और मम्मी मान गईं।"

सुन कर मास्साब को बहुत गुस्सा आया। पटक कर हांडी फोड़ दी, खीर बिखर गया। यह देख कर हरीश रोने लगा।

"अबे, धर्म तो मेरा भ्रष्ट हो गया। अब तू काहे को रो रहा है?" क्रोधित स्वर में मास्साब ने हरीश को फटकारा।

"आपने हांडी फोड़ दिया सर, अब हमारा पप्पू छिच्छी किसमें करेगा? हांडी वापस नहीं लाने पर मम्मी मुझे खूब मारेंगी।" सिसकते हुये हरीश ने जवाब दिया।

3 comments:

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

वर्तमान तो तभी तक रहता है जब तक कि अपूर्ण हो, पूर्ण होते ही वह 'भूत' बन जाता है।
jee! bilkul sahi kaha aapne..... vartmaan ...poora hote hi..... bhoot ban jata hai....

क्या हिन्दी व्याकरण के लिए अंग्रेजी ग्रामर का सहारा लेना उचित या जरूरी है?

Nahi! dono mein zameen aasaman ka antar hai....
haan! hum yeh kar sakte hain....apni HINDI ko samridhdh banane ke liye..... doosri bhaashaon se shabd aur vyakaran ka sahara le sakte hain..... jaise ki ENGLISH ne kiya hai...... apne zaroorat ke hisaab se shabdon ko lekar apne shabdkosh ko mazboot kiya hai..... english ne..... HINDI mein bhi aisi hi zaroorat hai..... hindi tabhi badhegi ....jab hum usko badhayenge.... abhi ENGLISH samridhdh nahi hai.... tabhi to wo yahan wahan se har saal shabdon ko.... aur grammar ko doosri bhaashaon se leti rehti hai....


bahut achcha laga yeh lekh....

par ant mein mujhe PAPPU aur HARISH ki tension hi ho rahi hai..... hahahaha....

saadar

Mahfooz...

Khushdeep Sehgal said...

अवधिया जी, ये पप्पू की हरकतें दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं...अभी इसका कुछ कर लो...नहीं तो बाद में मत कहिएगा खुशदीप अंकल ने बताया नहीं था...वैसे पप्पू इतना बड़ा होने के बाद भी ... कहां करता है...पप्पू मस्ट बिहेव लाइक ए गुड ब्वॉय बट पप्पू कांट...

अनुनाद सिंह said...

ये अंधी नकल का परिणाम है। हिन्दी के व्याकरण के लिये हिन्दी या संस्कृत से शब्द लिये जाने चाहिये और वे भी सुविचार ढ़ंग से (न कि भोंडी नकल से)। संस्कृत में व्याकरण साहित्य की भरमार है। कम से कम बीसों ग्रन्थ व्याकरण के उपर होंगे। ऐसे में हमारी दीनता का कोई औचित्य नहीं है।