हिन्दी ब्लॉगर अघाया होता है अपने धर्म के अपमान से, अपने शहीद क्रान्तिकारी राष्ट्रभक्तों की अवहेलना से, अपने बुजुर्गों की बेइज्जती से, अपने लोगों पर होने वाले अन्याय से, अपनी शिक्षा के खोखलेपन से, अपने नेताओं के भ्रष्टाचार से, ....
अधिक क्या कहूँ, समझदार के लिए इशारा ही बहुत होता है। पता नहीं आपने खाया है या नहीं पर मैं जानता हूँ कि आप भी अघाये हुए हैं। आप स्वयं ही बता सकते हैं कि आप किससे अघाये हुए हैं।
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15 comments:
वाह अवधिया जी आज चलते चलते नहीं फिर भी उसकी कमी नहीं खलने दी आपने, मैं भी अघाया था मैं बलागिंग में अपना कस्बा कैराना kairana.blogspot.com ले के आया था, यही अघाने वाली देखकर मैं अघा गया, नतीजा इन अघाने वालों ने भुगता या सभी ने इसे समझने के लिये इशारे की भी जरूरत नहीं है,
साधुवाद इस उम्दा पोस्ट के लिए..........
वैसे कहना नहीं किसी से, मैं भी अघाया हुआ हूँ......अपनी ही मूर्खताओं से.......देखो न............सुबह से चार बार गर्म चाय आई, लेकिन हर बार ठंडी हो गई...........यार ये ब्लोगिंग का नशा कमाल का नशा है । घूम-घाम के आता हूँ ब्लोगवाणी पे तो कभी चिट्ठाजगत पे और थोड़ी देर में फ़िर फ़िर वहीं चला जाता हूँ टिप्पणी देने जैसे मैं टिप्पणी नहीं करूंगा तो कोई बहुत बड़ी कमी रह जायेगी ज़िन्दगी में.............हा हा हा ,,.,मैं भी अघा गया हूँ............
वो दर्द और पीड़ा से अघाया होता है,,..... bilkul sahi kaha aapne....
aghaaya to main bhi hoon.......
अवधिया जी, आज ऐसी जानकारी ले के आया जो मैं नेट में 7 साल पहले भर चुका, लेकिन वहां लिख दिया था For Muslim Friends आज हिन्दी ब्लागस में भर रहा हूं, देख लिजिये कितनी हैरतअंगेज जानकारी मैं अपने सीने में दबाये बैठा था, जो साबित करता है कि मैं अघाया नहीं अघाया गया हूं,
मनु में दिलचस्पी रखने वालों के लिये खास तोहफा कश्ती-ए-नूह(मनु) को पुरातत्ववेत्ताओं ने आखिर ख़ोज ही निकाला
डायरेक्ट लिंक
सही बात है...अपना हाल तो अलबेला जी जैसा ही है......
उम्दा पोस्ट ।
सटीक पोस्ट लगाई है जी - बहुत बहुत धन्यवाद हमारे मन की बात लिखने के लिए !
मौजूदा व्यवस्था तेजी से जर्जरा रही है। यह और अमानवीय होती जाएगी। अभी कहाँ अघाना?
मुझे तो पहले सोचना पड़ेगा कि मैं कौन सी कैटेगरी में आता हूँ !
जी.के. अवधिया, माफ़ी चाहुंगा, मै कई हिन्दी के शव्द समझ नही सकता, अग्रेज नही बना, लेकिन जब ३० सालो से इस भाषा को बोला ही नही तो भुलना आम है, मै इस "अघान " शव्द का मतलब नही समझा, लेकिन मुझे इतना पता है कि दुसरे के दुख मै दुखी होना ही इंसानियत है, ओर शायद इस शव्द का मतलब भी कुछ ऎसा ही होगा... कृप्या जरुर बतलाये.
धन्यवाद
http://sanchika.blogspot.com/2009/02/blog-post.html
नही हमे अघाना नही है जिस दिन अघा जायेंगे क्रांति वही से लौट जायेगी ।
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Too Good Information Sir
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