जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ हरि की। हरि याने कि हिन्दी का एक शब्द! हरि शब्द तो एक है पर आपको शायद ही पता हो कि इसके कितने अर्थ हैं। संस्कृत ग्रंथ अमरकोष के अनुसार हरि शब्द के अर्थ हैं
यमराज, पवन, इन्द्र, चन्द्र, सूर्य, विष्णु, सिंह, किरण, घोड़ा, तोता, सांप, वानर और मेढक
उपरोक्त अर्थ तो अमरकोष से है और अमरकोष में ही बताया गया है कि विश्वकोष में कहा गया है कि वायु, सूर्य, चन्द्र, इन्द्र, यम, उपेन्द्र (वामन), किरण, सिंह घोड़ा, मेढक, सर्प, शुक्र और लोकान्तर को 'हरि' कहते हैं।
देखें अमरकोष के पृष्ठ का स्कैन किया गया चित्र
यमक अलंकार से युक्त एक दोहा याद आ रहा है जिसमें हरि शब्द के तीन अर्थ हैं
हरि हरसे हरि देखकर, हरि बैठे हरि पास।
या हरि हरि से जा मिले, वा हरि भये उदास॥
(अज्ञात)
पूरे दोहे का अर्थ हैः
मेढक (हरि) को देखकर सर्प (हरि) हर्षित हो गया (क्योंकि उसे अपना भोजन दिख गया था)। वह मेढक (हरि) समुद्र (हरि) के पास बैठा था। (सर्प को अपने पास आते देखकर) मेढक (हरि) समुद्र (हरि) में कूद गया। (मेढक के समुद्र में कूद जाने से या भोजन न मिल पाने के कारण) सर्प (हरि) उदास हो गया।
तो ऐसी समृद्ध भाषा है हमारी मातृभाषा हिन्दी! इस पर हम जितना गर्व करें कम है!!
चलते-चलते
डॉ. सरोजिनी प्रीतम की एक हँसिकाः
क्रुद्ध बॉस से
बोली घिघिया कर
माफ कर दीजिये सर
सुबह लेट आई थी
कम्पन्सेट कर जाऊँगी
बुरा न माने गर
शाम को 'लेट' जाऊँगी।
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12 comments:
वाकई हिन्दी पर जितना गर्व किया जाये कम है, हम भी उर्दू से इधर ही आके लेट गये, अब इससे जाने का मन नहीं है, हालांकि पलान है कि पर्सियन की तरफ जाउंगा, कुछ कहीं कर्ण नगरी बारे में कुछ हो तो बताईया, कैराना के हिन्दू दोस्त उसे कर्णनगरी कहते हैं पर कुछ उस विषय में आगे बता नहीं पाते,
हरि अवधिया जी को खुशदीप हरि का साधुवाद कि आपने हरि नाम की महिमा का इतना सुंदर बखान किया...सारे ब्लॉगर भी आपको हरि नज़र नहीं आते...मेंढक को देखकर सर्प हर्षित हो गया...ऐसे ही किसी दूसरे ब्लागर की पोस्ट देखकर उसे सर्प की तरह खाने का मन नहीं करता क्या कभी-कभी...
जय हिंद...
जय हिंद...
skool ke dino kee yaad dilaa dee
हम इस तरह से कहते थे इस दोहे को :
हरि बोले, हरि ने सूना, हरि गए हरि के पास
हरि भागे, हरि में गिरे, हरि हो गए उदास
सुन्दर हरी चर्चा के लिये धन्यवाद्
हमारी हिंदी भाषा पे हमे गर्व है,क्योंकि यह समृद्ध है व्यापक है एक शब्द के सैकड़ों पर्यायवाची हैं और हमे आवश्यक्ता है तो हम नवीन शब्दों का निर्माण भी कर सकते है। ऐसी व्यवस्था हमारे व्याकरण मे है, अवधिया जी आपने काफ़ी पुराना अमरकोष सहेज रखा है, और "लेट" आने वाला कार्यक्रम मतलब स्लाग ओवर भी धांसु है,
जेठौनी के गाडा-गाडा बधई "कुशि्यार"आगे हो ही अड़-बड़ मांह्गी होगे हवय्। 20-30 जोड़ी हो गे हे।
अवधिया जी, आपको अपने 'धान के देश में' से प्यार हो गया है और उसे ही चलने देंगे, ऐसा आपने मुझे लिखा है। तो मुझे भी अपने धान के देश से प्रेम हो गया है हालांकि वह आपको देने को ही था, इतना मजा मुझे कभी ना आया जितना धान के देश में आया, आप यह कमेंटस पब्लिश कर लेते हैं तो यह आमजन के लिये भी अच्छा रहेगा, कि आगे जब में अवधिया चाचा का प्रयोग करूं तब वह यह ना समझें कि हमारे नये रिश्ते में कोई खोट है,
आपके अलावा
सबका अवधिया चाचा
जो कभी अवध नहीं गया
अवधिया जी, बहुत सुंदर लगा आप का लेख, कही पढा था कि जो उस परमात्मा को उस ऊपर वाले को पा गया, लोग उसे पा गल यानि पागल समझते है, क्योकि फ़िर उस पागल को हर चीज मै बस उसी का रंग दिखता है, बस उस हरि का, या जिसे भी वो मानाता है, वरना तो मेरे जेसे जड बुद्धि लोग मै ओर मेरे के पिछे ही भागते रहते है, जिस दिन तेरा ही तेरा कहना आ गया, वो आदमी तर गया.
धन्यवाद
बहुत सुन्दर लगा जानकारी भरा और गर्व भी हुआ हिन्दी भाषी होने का.
हिन्दी जितना समृद्ध है उतना ही वैज्ञानिक भी
पोस्ट का शीर्षक देखकर तो मैं चकरा गया था ..... पोस्ट पढ़ी तो माजरा समझ मैं आया ....
बहुत अच्छा लगा ... कुछ और गूढ़ हिंदी शब्दों का अर्थ समय समय पर बताते रहें, तो हमारे ज्ञान मैं कुछ वृद्धि होगी ...
ये अपनी भाषा का ही कमाल है..जिस पर कि कोई भी गर्व कर सकता है..ऎसी विशालता और ग्राह्यता शायद विश्व की अन्य किसी भाषा में नहीं मिल सकती ।
सुन्दर पोस्ट्!
हम तो यह पोस्ट पढ़ हरियरा गये! :)
यह अमरकोश ग्रन्थ नहीं है. मेरे विचार से अमर सिंह ने "अमर कोष "ग्रन्थ लिखा था.
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