कल आज तक चैनल में बताया जा रहा था कि जहाँ माया कैलेंडर के अनुसार 21-12-2012 को पृथ्वी के विनाश हो जाने की भविष्यवाणी है वहीं मिस्र के एक पिरामिड के भीतर से प्राप्त लेख के अनुसार 21-12-2012 से पृथ्वी पर एक स्वर्ण युग के आरम्भ होने की भविष्यवाणी की गई है। इस स्वर्ण युग में पृथ्वी में विकास की सीमा अपनी चरम स्थिति में पहुँच जायेगी और लोग सुख-सुविधा से सम्पन्न रहेंगे।
मैंने इस विषय पर जब इंटरनेट को खंगाला तो मुझे एक और रोचक जानकारी मिलीं।
About.com Hinduism के एक लेख में पढ़ने को मिला कि "ब्रह्म-वैवर्त पुराण" में भगवान श्री कृष्ण ने देवि गंगा को बताया है कि कलियुग के आरम्भ से 5,000 वर्ष बाद एक स्वर्णयुग का आरम्भ होगा जो कि 10,000 वर्षों तक चलता रहेगा। इस लेख में बताया गया है कि इस स्वर्ण युग के आरम्भ के दिनांक की गणना करने पर 21-12-2012 का दिन ही आता है।
माया सभ्यता और मिस्र की सभ्यता के साथ ही साथ हमारे पौराणिक ग्रंथों में भी सन् 2012 का विशिष्ट रूप से उल्लेख होना क्या संयोग मात्र है या इसमें कुछ रहस्य छुपा हुआ है?
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20 comments:
ये तो बहुत अच्छी जानकारी है बधाई हम स्वर्ण यिग की ओर बढ रहे हैं। राम कथा आनन्द मय है
About.com Hinduism के एक लेख में पढ़ने को मिला कि "ब्रह्म-वैवर्त पुराण" में भगवान श्री कृष्ण ने देवि गंगा को बताया है कि कलियुग के आरम्भ से 5,000 वर्ष बाद एक स्वर्णयुग का आरम्भ होगा जो कि 10,000 वर्षों तक चलता रहेगा। इस लेख में बताया गया है कि इस स्वर्ण युग के आरम्भ के दिनांक की गणना करने पर 21-12-2012 का दिन ही आता है।
यह वास्तव में एक नई जानकारी है अवधिया साहब !
2012 कौन सा दूर है. दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा.... :) यह दुनिया इसी तरह चलती रहेगी.
मजाक के तौर पर भी एक बात कहूंगा की शायद तभी यह सोना इतना भाग रहा है की १७००० के पर हो गया :)
विभिन्न जानकारियों के आधार पर मेरा बेहद व्यक्तिगत मत है कि कुछ प्रभावकारी उथल-पुथल तो होगी ही, बताए गए समय-खण्ड में
बी एस पाबला
पाबला जी, मैं आपसे पूर्णतः सहमत हूँ। मिली हुई विभिन्न जानकारी के अनुसार मेरा भी व्यक्तिगत मत यही है कि उस दौरान अवश्य ही कुछ न कुछ विशेष घटित होने वाला है।
मैं तो क्रिकेट देखने के अलावा टीवी देखता ही नही, उसके लिये भी दोस्त ढंडना पडता है कि किसके पास टीवी है, आप यह भी ठीक लिखते हैं रहस्य छुपा हुआ है। पर अफसोस इसे समझने वाले बहुत कम रह गये,
आज आप चलते चलते भूल गये, खेर मुझे याद है अफसोस इतने महान ब्लागर्स कमेंटस करके जा चुके, पर चटका नहीं दिया दूसरा चटका भी मेरा, इसमें भी रहस्य है कि इन्होंने चटका क्यूं नहीं दिया, मैंने क्यूं दिया? इसमें कोई रहस्य की बात नहीं
hum bhi pabla ji se sahmat hai..
jaisa ki aap dekh rahe hai ..manav ne prakriti ko asantulit kar diya hai or jald hi koi baraa prakritik badlaav hogaa ye to satya hai.
21.12.2012 को और कुछ हो या नहीं, लेकिन जिस तरह से ख़बरिया चैनलों ने उसका हौवा खड़ा कर दिया है, उससे लोग उस दिन दफ़्तर तो जाने से रहे।
वैसे जानकारी के लिए बता दूं कि नासा ने इस बात का खंडन किया है कि इस तारीख़ के आसपास कोई आकाशीय पिंड धरती से टकराएगा, जैसा कि माया सभ्यता में ज़िक्र है।
जो भी होगा जैसा होगा देखा जायेगा ..........कल के लिए आज को न खोना ...........आज यह न कल आएगा !
हमारे भारत मै इन टी वी वालो को कोई काम नही बस होव्वा खडा करना है, चलिये मान लेते है कुछ होगा तो अभी से क्यो फ़िकर करे, अगर ऎसा हुआ तो स्वर्ण युग तो अपने आप ही आ जायेगा, जब दुनिया मै बहुत ही कम इंसान बचे गे तो सारी दुनिया फ़िर से बसनी शुरु होगी, कई कई सॊ किलो मीटर के बाद एक इंसान मिलेगा, तो सभी प्यार से रहेगे, अव्धिया जी मत घबराये ३१,१२, २०१२ को हम आप को आधी रात को नये साल की बधाई इसी लेपटाप से देगे, यह हमारा वादा है. राम राम
जो कुछ होगा वह देखा जाएगा ..कोई तो बात चले की ज़िन्दगी चले वही कहानी है इस में सुनते रहे सुनाते रहे :)
अपकी पोस्ट पढकर तो लगने लगा है कि हमें भी इस विषय पर एक लेख लिखना ही पडेगा :)
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आदरणीय अवधिया जी,
आप से ऐसी उम्मीद न थी कि आप इन फिजूल की बातों को इतना महत्व देंगे।
स्वर्णयुग हो अंधकारयुग, युग का आना एक सतत प्रक्रिया है किसी खास तारीख से नहीं जोड़ा जा सकता है उसे...
आप अपनी टिप्पणी में कह रहे हैं कि आपका व्यक्तिगत मत है कि उस दौरान "कुछ विशेष" घटित होने वाला है। मैं भी अपनी कॉमन सेन्स (सहज ज्ञान) के आधार पर कह रहा हूँ कि २१/१२/२०१२ को कुछ विशेष नहीं होगा, वही होगा जो दुनिया में लगभग रोज ही होते रहता है। बस एक वादा कीजिये कि अगर मेरी बात सच हुई तो २२/१२/२०१२ को आप अपनी गलती स्वीकारती पोस्ट लिखेंगे।
प्रवीण जी, मुझे आपकी बात स्वीकार है। यदि आपकी बात सच हुई तो अवश्य ही आपके चाहे अनुसार पोस्ट लिख दूँगा, यदि उस समय तक जीवित रहा तो।
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आदरणीय अवधिया जी,
ऐसी बात क्यों कहते हैं ? आप शतायु हों और आपका स्नेह व आशीर्वाद मुझे व ब्लॉगजगत को इसी तरह मिलता रहे...
इसी कामना के साथ...
शुक्रवार के उस दिन तक यदि जीवित रहा और बन्द, दंगे वगैरह के बन्द रहते अगर ऑफिस खुला रहा तो सुबह का नाश्ता कर ऑफिस जाऊँगा, काम करूँगा, लंच समेटूँगा, फिर कॉफी पीकर शाम तक काम करूँगा। घर वापस आ यूँ ही टिप्पणी कर किसी ब्लॉगर की पोस्ट को पसारूँगा। फिर सो जाऊँगा.. अगले दो दिन वीक एण्ड के होंगे इस लिए बड़ी निश्चित नींद आएगी। फिर सुबह हो जाएगी ..
..और कुछ नहीं हुआ रहेगा। अपने हाथ पैर सलामत देख माया सभ्यता की उपलब्धियों के गुण गाऊँगा। साथ में यह भी कहूँगा, विकसित सभ्यता वाले भी गलती कर जाते हैं।..अब देखिए न हमलोग कितनी गलतियाँ जाने अनजाने रोज करते हैं और उनका द्स्तावेजीकरण भी करते जाते हैं।
...हजारो साल बाद नेट पर कोई इन पंक्तियों को पढ़ेगा और एक ऊँसास छोड़ कर फिस्स से हँस देगा।.. अरे यह तो एक माइक्रो पोस्ट हो गई!
ऐसा लगता है कि स्वयं भगवान कृष्ण अवतरित होने वाले हैं और सबको गोल्डन ऐज में ले जाने वाले हैं।
प्रवीण जी, मेरे लिये यह अत्यन्त हर्ष की बात है कि आप मुझसे इतना स्नेह रखते हैं। अरे, मरना कौन चाहता है भला? किन्तु मृत्यु एक शाश्वत सत्य है। इस बात को नकारना, कि उम्र समाप्त होने पर तो एक दिन जाना ही पड़ेगा, आत्मप्रवंचना है। फिर भी खुशी इस बात की रहेगी कि हम न रहेंगे किन्तु ब्लोगर में हमारा ब्लॉग और हमारे पोस्ट तो रहेंगे।
हमारा स्नेह तो सदा आप लोगों को मिलता ही रहेगा।
इतना स्पेस है मीडिया में और इतनी कम खबरें। लिहाजा सन २०१२ जैसा ईजाद करने की मजबूरी है! :(
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