Sunday, November 8, 2009

गलत टिप्पणियाँ करने के लिये हम भी बना सकते हैं नकली नाम से प्रोफाइल ... पर हम इतने नीच नहीं हैं

कभी उम्दा सोच तो कभी महाशक्ति तो कभी निशाचर नाम से नकली प्रोफाइल बनाकर अपने ही ब्लॉग में अपने पक्ष वाली टिप्पणियाँ करना नीचता नहीं है तो और क्या है?

नकली प्रोफाइल बनाना कौन सा कठिन काम है? जिस किसी का नकली प्रोफाइल बनाना है उसके या उसके ब्लॉग के नाम के अंग्रेजी स्पेलिंग में थोड़ा सा परिवर्तन ही तो करना पड़ता है, और हो जाता है नया प्रोफाइल तैयार। हम भी बना सकते हैं नकली प्रोफाइल पर हम इतने नीच नहीं हैं।

कोई कितना गिर सकता है यह अब हिन्दी ब्लॉग जगत में स्पष्ट रूप से दृष्टिगत होने लगा है। किन्तु यह भी सत्य है कि कौवे में चाहे कितना भी गुण हो पर रहता वह कौवा ही है। गंदे कुत्ते को कार में भी बिठा कर घुमाओ किन्तु गंदगी देखते ही वह कूदकर चला जायेगा।

लगता है गोस्वामी तुलसीदास जी ने शायद रामचरितमानस में ऐसे ही दुष्टों से बचने के लिये खल वन्दना किया होगा। उनके समय के दुष्टों में भी थोड़ी सी बुद्धि थी इसलिये उन्होंने खल वन्दना को समझ लिया था पर हमारे समय के खलों का ऊपर का कमरा तो बिल्कुल ही खाली है। दुष्ट के पास यदि थोड़ी सी भी बुद्धि हो तो उसके सही रास्ते में आ जाने की कुछ सम्भावना हो जाती है। पर कोई दुष्ट पूर्णतः मूर्ख भी हो तो फ़िर कहना ही क्या है! लगता है कि अब "करेला वो भी नीम चढ़ा" कहावत को बदल कर "एक तो दुष्ट और ऊपर से मूर्ख" करना होगा।

और अन्त में हम यह भी बता दें कि इस पोस्ट को पढ़कर बौखलाने वाले बौखला तो सकते हैं किन्तु बौखला कर यहाँ टिप्पणी करने का प्रयास न करें क्योंकि टिप्पणी मॉडरेशन चालू है और उनकी दाल नही गलने वाली है

चलते-चलते

हमें खुशी है कि खान साहब बार-बार अपने को हिन्दू कह रहे हैं। इसी खुशी में हम उन्हें न्यौता देते हैं और निमन्त्रित करते हैं अपने साथ खाना खाने के लिये। यदि वे हमारे निमन्त्रण को स्वीकार करके हमारे साथ झटके का मटन खा लेंगे तो हम उन्हें हिन्दू मान लेंगे।

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"संक्षिप्त वाल्मीकि रामायण" का अगला पोस्टः

रावण को शूर्पणखा का धिक्कार - अरण्यकाण्ड (10)

20 comments:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

सटीक, अवधिया साहब, ये सोचते है कि सिर्फ ये ही अक्लमंद है और यही इनकी सबसे बड़ी मुर्खता है ! नीचता पर उतर आना कोई कठिन काम नहीं कठिन काम है महान बनना

Mithilesh dubey said...

बिल्कुल सही लिखा है अवधिया जी आपने। जवाब करारा रहा आपका.........

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

ये स्लाग ओवर है कि झटका है-बहुत बड़ा झटका । जय होवे तोर अवधिया जी।

M VERMA said...

बहुत तेज का झटका दिया है, पर बेशरमी की हद तक शाक प्रूफ लोगो पर कुछ असर होगा शक है.

Unknown said...

सही कहा अवधिया जी आपने्… नकली प्रोफ़ाइल बनाना बेहद आसान है… लेकिन ऐसा वही करेगा जिसके पास तर्क न हों या जो छिपकर पीठ में वार करने का इच्छुक हो (जैसे अफ़ज़ल खान)।… रही बात हिन्दू होने न होने की… खान साहब बार-बार "आओ उस तरफ़ जो यकसां हो" की रट लगाते हैं… आपने एकदम सही निमन्त्रण दिया है, क्योंकि समूचे महाद्वीप में "यकसां" सिर्फ़ एक ही बात है वह ये कि सभी हिन्दू हैं… इसलिये यदि खान साहब "सच्चाई" की तरफ़ आना चाहते हैं तो उनका स्वागत है… :)

Anonymous said...

वो दोनों ऐसा करके नहीं जानते की किसका अहित कर रहे हैं. उन दोनों का एक दुसरे की बड़ाई करने के सिवा मुझे आजतक कोई तीसरा नहीं दिखा जो उनके पक्ष में हो. इसका साफ़ सा मतलब है सारे उनकी सच्चाई से वाकिफ हैं. हम बार बार उनकी चर्चा छेड़ कर उनको फुटेज ही दे रहे हैं.


झटके का मटन वाली बात जमी नहीं... आप तो समझदार हैं. ये सब चीजें अपने अपने अकीदे की बातें हैं.

Unknown said...

@ सैयद | Syed said...

तो आपका कहना है कि हम कुछ न कहें, क्योंकि हमारा कुछ कहना उन्हें फुटेज देना है, और चुपचाप सहते रहें। कहाँ तक उचित है ये?

ये गांधीगिरी वाली बाते एक हद तक ही हो सकती हैं वरना ...

झटके का मटन वाली बात नहीं जमी तो क्या बार बार खान साहब का अपने को झूठ मूठ का हिन्दू कहना जमता है?

Anonymous said...

अरे साहब, आप तो बुरा मान गए.. चलिए मैं अपने शब्द वापस लेता हूँ...

Mahfooz Ali said...

Aadarniya Awadhiya ji...

saadar namaskar........


हम भी बना सकते हैं नकली प्रोफाइल पर हम इतने नीच नहीं हैं।


bilkul sahi kah rahe hain aap........

निशाचर said...

वन्दे मातरम
वन्दे मातरम
वन्दे मातरम
.
.
बिलकुल ठीक कहा आपने अवधिया जी. दरअसल इस नीचता पर उतरने के संस्कार नहीं हैं अपने में, वरना ये हुनर तो हम भी जानते हैं.

जय हिंद

Mohammed Umar Kairanvi said...

जनाब नाराज़ क्‍यूं होते हैं, यह जितने नाम आप गिना रहे क़सम से कह सकता हूं मैंने नहीं बनाये जो बनाया था उसका आपसे बाक़ायदा इजाजत नामा लिखवाया था,

10 कमेंटस मिल गये थे, बरसाती मेंढक एक भी आपको चटका नहीं दे गया 3न. का चटका मुबारक हो,

आप लोग किया जानते हो वह सब जानते हैं
मैं किया‍ किया जानूं यह मैं जानूं या खुदा जाने

Unknown said...

कैरानवी जी,

मैं आप पर नाराज नहीं हो रहा हूँ। मेरी नाराजगी तो उस पर है जो जबरन हिन्दी ब्लॉग जगत की शान्ति भंग करना चाहता है। प्यार से प्यार बढ़ता है तो बैर से बैर। तो क्यूँ ना हम आपस में प्यार बढ़ायें।

राज भाटिय़ा said...

हम भी बना सकते हैं नकली प्रोफाइल पर हम इतने नीच नहीं हैं।
ठीक कहा आप ने नंगे के संग नंगे क्यो होये. बहुत सटीक लेख लिखा.
धन्यवाद

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

नीचों के नीच,परमनीच,इन नीच शिरोमणियों के लिए ये 2 पंक्तियाँ दे रहा हूँ :----
धर्म,ज्ञान और बुद्धि से यद्यपि कौसो दूर हैं
लेकिन इसका क्या करें, ये आदत से मजबूर हैं ।।

Unknown said...

sahi jawab !

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

na samajh hae bechare harkato se bazz nahi aayenge

Khushdeep Sehgal said...

प्यार बांटते चलो भई प्यार बांटते चलो...
क्या हिंदू, क्या मुसलमां, क्या सिख, क्या ईसाई...
प्यार बांटते चलो भई प्यार बांटते चलो...

जय हिंद...

Smart Indian said...

चलिए आप भी प्यार बढाइये.

MD. SHAMIM said...

sir ji, ager झटके का मटन khane se koi हिन्दू hota hai mai pata nahi kitni baar hindu ban chuka hu.

Paise Ka Gyan said...

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