हे विकराले! हे कटुभाषिणी!
हे देवि! हे भार्या!
पाणिग्रहण किया था तुझसे
सोच के कि तू कितनी सुन्दर है,
पता नहीं था
मेरी बीबी मेरी खातिर
"साँप के मुँह में छुछूंदर है"
निगल नहीं पाता हूँ तुझको
और उगलना मुश्किल है
समझा था जिसको कोमलहृदया
अब जाना वो संगदिल है
खब्त-खोपड़ी-खाविन्द हूँ तेरा
जीवन भर तुझको झेला हूँ
"पत्नी को परमेश्वर मानो"
जैसी दीक्षा देने वाले गुरु का
सही अर्थ में चेला हूँ
बैरी है तू मेरे ब्लोगिंग की
क्यूँ करती मेरे पोस्ट-लेखन पर आघात है?
मेरे ब्लोगिंग-बगिया के लता-पुष्प पर
करती क्यों तुषारापात है?
हे विकराले! हे कटुभाषिणी!
हे देवि! हे भार्या!
बस एक पोस्ट लिखने दे मुझको
और प्रकाशित करने दे
खाली-खाली हृदय को मेरे
उल्लास-उमंग से भरने दे
तेरे इस उपकार के बदले
मैं तेरा गुण गाउँगा
स्तुति करूँगा मैं तेरी
और तेरे चरणों में
नतमस्तक हो जाउँगा।
चलते-चलते
रात भर ड्यूटी करने बाद थका हारा पुलिसवाला पति घर आकर सो गया। अभी झपकी भी नहीं लगी थी कि उसकी पत्नी ने उसके जेब से सौ की पत्ती मार दिया। पर पुलिसवाला आखिर पुलिसवाला था तत्काल उसने चोरी पकड़ ली।
बीबी से बोला, "मैं तुम्हारा पति बाद में हूँ, पुलिसवाला पहले हूँ। जल्दी से निकाल दो चोरी का माल।"
बीबी बोली, "अजी, छोड़िये भी, चोरी के माल में से आधा आप रख लीजिये और मामला निबटाइये।"
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"संक्षिप्त वाल्मीकि रामायण" का अगला पोस्टः
8 comments:
अच्छा हुआ अवधिया जी मैने शादी नही की,वर्ना ऐसा ही कुछ मुझे भी लिखना पड़ता।
अनिल जी,
पर शादी न करने के कारण पछता तो फिर भी रहे होंगे आप। ये वो लड्डू है जो खाये वो भी पछताये और जो न खाये वो भी पछताये। :-)
यही स्तुति मै अपनी पत्नी को भी सुनाना चाहता हूँ अगला पोस्ट लिखने से पहले अगर अनुमति हो तो.
मै भी तो उन्ही त्रासदियो से गुजर रहा हूँ.
पाणिग्रहण किया था तुझसे
सोच के कि तू कितनी सुन्दर है,
पता नहीं था
मेरी बीबी मेरी खातिर
"साँप के मुँह में छुछूंदर है"
निगल नहीं पाता हूँ तुझको
और उगलना मुश्किल है
समझा था जिसको कोमलहृदया
अब जाना वो संगदिल है
खाम खा, वक्त वेवक्त भाभीजी पर पिले रहते हो, ये नहीं देखते की खुद पूरा दिन कंप्यूटर पर ही गुजार देते हो ! :)
ha ha ha ha
HA HA HA HA
H A H A H A H A
waah !
avadhiyaji,,maze karaa diye aapne..
वाह अवधिया जी खूब लिखा, आज तो अलबेला जी वाला मजा धान के देश में मिल गया, यह तो बताऐं बस एक पोस्ट या रोज एक पोस्ट क लिए गुज़ारशि करनी पडती है? आपकी कविता पर मैं हंस रहा था तो मेरी मुझ पर हंस रही थी, क्यूं हंस रहे हो पूछ रही थी में ने कुछ नहीं बताया, किया बताउं, कहां तक बताउं,
साइबर मौलाना भी बीवी के सवालों के जवाब से पनाह मांगता है,
जी.के. अवधिया, बहुत सुंदर लिखा, पत्नि पुराण पर. बाकी एक बात आप से पुछनी थी कीधी रात को आप उस पुलिस वाले के घर खाट के नीचे क्या कर रहे थे:)भई आप ने ही तो सारी बात बताई ना सॊ रुपये वाली.
धन्यवाद
बैरी है तू मेरे ब्लोगिंग की
क्यूँ करती मेरे पोस्ट-लेखन पर आघात है?
मेरे ब्लोगिंग-बगिया के लता-पुष्प पर
करती क्यों तुषारापात है?
sabhi vivahit blogaron ki yahi dastan hai? satya vachan hai maharaj
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