Wednesday, November 18, 2009

करो काम केलकुलेटर से पर ज्ञान को अपने मत भूलो

आधुनिक टेक्नोलॉजी ने हमें बहुत फायदा पहुँचाया है। घंटों में होने वाले कार्य अब मिनटों में होने लगे हैं। पर क्या हम अपने ज्ञान को लुप्त भी होने नहीं दे रहे हैं? मैं देखता हूँ कि आज किसी को यदि दो छोटी संख्याओं जैसे कि 12 और 10 को जोड़ना है तो वह तत्काल केलकुलेटर उठा लेता है। बचपन में हम ऐसे जोड़ को मनगणित कहा करते थे और मन ही मन इसे जोड़कर तत्काल उत्तर बता देते थे। मनगणित का बाकायदा पीरियड हुआ करता था जिसमें मनगणित के सिद्धांत बताया जाता था। हमें बताया जाता था कि यदि 48 और 47 को जोड़ना है तो, चूँकि ये दोनों संख्याएँ 50 की नजदीकी हैं इसलिये, पहले 50 और 50 को जोड़ो और फिर योग 100 में (50 - 48) + (50 - 47) याने कि 2 + 3 = 5 को घटा कर उत्तर 95 बता दो। इसी प्रकार के मनगणित तथा व्यवहार गणित के अनेक सिद्धान्त हमें सिखाये गये थे।

तो मैं कह रहा था कि हम अपने ज्ञान को भुलाते चले जा रहे हैं। आज बच्चों को पहाड़ा याद नहीं रहता क्योंकि वे केलकुलेटर का प्रयोग करने लग गये हैं। आज यदि किसी से यह प्रश्न कर दिया जाये कि बिना केलकुलेटर का प्रयोग किये बताइये कि 123456789072 में किन किन अंकों का पूरा-पूरा भाग चला जायेगा और किनका नहीं तो यह एक बहुत कठिन प्रश्न हो जायेगा। इसी पोस्ट में मैं बताउँगा कि इस प्रश्न का उत्तर बहुत ही सरलता के साथ दिया जा सकता है।

केलकुलेटर का प्रयोग करना अवश्य ही अच्छी बात है किन्तु पहाड़ा याद न करने को तो अच्छी बात नहीं कहा जा सकता। कभी-कभी हमें ज्ञान को याद रखने के लिये ही गणित के जोड़, घटाना, गुणा और भाग जैसे कुछ सरल प्रश्नों को बिना केलकुलेटर की सहायता के हल करना चाहिये। विद्याधन ऐसी सम्पत्ति है जिसे न खर्चने पर वह घट जाता है और खर्चने पर बढ़ते जाता है, कहा भी गया हैः

सरस्वती के भण्डार की बड़ी अपूरब बात।
ज्यों खरचे त्यों त्यों बढ़े बिन खरचे घट जात॥

मुझे याद है कि आज से मात्र 35-40 साल पहले ही हमारे बैंक में हमारे लिये केलकुलेटर उपलब्ध नहीं था और हमें 30 से 40 संख्याओं को जोड़ना पड़ता था। क्लर्क के किये गये इस प्रकार के गणितीय कार्य की अधिकारी जाँच किया करते थे। मेरे किये गये जोड़ में किसी प्रकार की गलती न मिल पाये इसके लिये मैं जोड़ने के बाद उसे फिर से जोड़ कर खुद ही जाँच लेता था, और जाँचते समय संख्याओं को उलटी ओर से जोड़ता था याने कि पहली बार ऊपर से नीचे की ओर जोड़ता था और जाँचते वक्त उन्हीं संख्याओं को नीचे से ऊपर की ओर जोड़ता था। ऐसा करने का एक फायदा यह था कि यदि मैंने पहली बार गलती से बारह और पाँच सत्रह के स्थान पर अठारह या सोलह जोड़ दिया हो तो उलटी ओर से जोड़ने से उस गलती के दुहराने का अवसर ही नहीं रह पाता था।

अब आते हैं हम उस प्रश्न पर जिसका उल्लेख ऊपर आया है। हमें पता लगाना है कि 123456789072 में किन किन अंकों का पूरा-पूरा भाग जा सकता है।

इसके लिये निम्न नियमों को देखें

यदि किसी संख्या का आखरी अंक सम अर्थात् 0, 2, 4, 6 या 8 है तो उस पूरी संख्या में 2 का पूरा-पूरा भाग चला जायेगा। चूँकि 123456789072 का अंतिम अंक याने कि 2 सम है इसलिये इस संख्या में 2 का पूरा-पूरा भाग चला जायेगा।

यदि किसी संख्या के सभी अंको के योग में 3 का पूरा-पूरा भा चला जाता है तो उस पूरी संख्या में भी 3 का भाग पूरा-पूरा चला जायेगा। संख्या 123456789072 के अंकों के योग (1 + 2 + 3 + 4 + 5 + 6 + 7 + 8 + 9 + 0 + 7 + 2 =) 54 या (5 + 4 =) 9 में 3 का पूरा-पूरा भाग चला जाता है अतः इसमें 3 का पूरा-पूरा भाग चला जायेगा।

यदि किसी संख्या के अन्तिम दो अंकों से बनी संख्या में 4 का पूरा-पूरा भाग चला जाता है तो उस पूरी संख्या में भी 4 का पूरा-पूरा भाग चला जायेगा। संख्या 123456789072 के अंतिम दो अंको वाली संख्या 72 में 4 का पूरा-पूरा चला जाता है अतः 123456789072 में भी 4 का पूरा-पूरा भाग चला जायेगा।

यदि किसी संख्या का आखरी अंक 0 या 5 है तो उस पूरी संख्या में 5 का पूरा-पूरा भाग चला जायेगा। चूँकि 123456789072 का अंतिम अंक 2 है इसलिये इस संख्या में 5 का पूरा-पूरा भाग नहीं जायेगा।

यदि किसी संख्या में 2 और 3 दोनों का ही पूरा-पूरा भाग चला जाता है तो उस संख्या में का 6 का पूरा-पूरा भाग चला जायेगा। ऊपर हम देख चुके हैं कि संख्या 123456789072 में 2 और 3 दोनों का ही पूरा पूरा भाग चला जाता है अतः 6 का भी पूरा-पूरा भाग चला जायेगा।

सात के लिये कोई नियम नहीं है।

यदि किसी संख्या के अन्तिम तीन अंकों से बनी संख्या में 8 का पूरा-पूरा भाग चला जाता है तो उस पूरी संख्या में भी 8 का पूरा-पूरा भाग चला जायेगा। संख्या 123456789072 के अंतिम तीन अंको वाली संख्या 072 में 8 का पूरा-पूरा भाग चला जाता है अतः 123456789072 में भी 8 का पूरा-पूरा भाग चला जायेगा।

यदि किसी संख्या के सभी अंको के योग में 9 का पूरा-पूरा भा चला जाता है तो उस पूरी संख्या में 3 का भाग पूरा-पूरा चला जायेगा। संख्या 123456789072 के अंकों के योग (1 + 2 + 3 + 4 + 5 + 6 + 7 + 8 + 9 + 0 + 7 + 2 =) 54 या (5 + 4 =) 9 में 9 का पूरा-पूरा भाग चला जाता है अतः पूरी संख्या में भी 9 का पूरा-पूरा भाग चला जायेगा।


चलते-चलते

1 रु. = 100 पैसा
या 1 रु. = 10 पैसा × 10 पैसा (10 पैसा = 1/10 रु. याने कि रुपये का दसवाँ भाग)
या 1 रु. = 1/10 रु. × 1/10 रु.
या 1 रु. = 1/100 रु. (1/10 रु. = 1 पैसा याने कि रुपये का सौंवा भाग)
या 1 रु. = 1 पैसा

इस प्रकार से सिद्ध होता है कि एक रुपया बराबर एक पैसा होता है।

वैसे इसमें एक गलती है क्योंकि एक रुपया बराबर एक पैसा हो ही नहीं सकता। यदि आप गलती पकड़ लें तो अपनी टिप्पणी में अन्य लोगों को भी बता दें।

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"संक्षिप्त वाल्मीकि रामायण" का अगला पोस्टः

राम-सुग्रीव मैत्री - - किष्किन्धाकाण्ड (2)

14 comments:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

सही बात है , आज कल के बच्चे तो यह भी भूल गए कि हिन्दी की गिनतियों के क्या उच्चारण है, सजी वाले ने अगर सडसठ रूपये की सब्जी टोली हो तो बच्चे अन्दर पूछने आते है कि ये सडसठ कितने को कहते है ?

Murari Pareek said...

बहुत ही सुन्दर गणित यूँ कहिये की लाजवाब जानकारी दी है !!! गणित सचमुच एक्स्सल्ल और कल कुलेटर में ही सिमित हो गया !!!

संगीता पुरी said...

साधनों के विकास के साथ साथ हम शारिरिक और मानसिक रूप से कुछ कमजोर तो हो ही जाते हैं .. जब से हमें कागज कलम मिला मौखिक गणना हमसे छूटती चली गयी .. जब केलकुलेटर मिला और नुकसान हुआ .. जब घरों में लैंडलाइन फोन हुआ करता था .. सैकडों फोन नं हमें याद रहते थे .. पर मोबाइल में सेव करने की सुविधा के कारण अपने बेटे तक का फोन नं मुझे याद नहीं रहता .. विकास के क्रम में अपनी क्षमताओं का कुछ नुकसान तो होगा ही !!

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

तकनीकि सुविधाएं मिलने के कारण हमने दिमाग से काम लेना लगभग बंद कर दिया है। जैसे विगत कई वर्षों से कम्प्युटर होने के कारण कलम घिसाई बंद हो गयी है, और तो और एक बार मेरा एक्सी्डेंट हुआ तो सड़क से कोई मोबाईल उठा ले गया, मुझे घर के नम्बर ही याद नही थे, उस समय बड़ी मुस्किल से एक नम्बर याद आया जिससे मै घर पे सम्पर्क कर सका। कुछ दिनो के बाद दिमाग का वह हिस्सा ही निश्क्रिय हो जाएगा जो इन सबको याद रखता है। आपने सही मुद्द उठाया, इस पर ध्यान देना जरुरी है।

Rakesh Singh - राकेश सिंह said...

सही कहा है ...

अब तो आलम ये हो रहा है की २०.०० - ८.५० = ? के लिए या १२ x १२ के लिए दिमाग काम करना बंद कर देता ही ...

Mohammed Umar Kairanvi said...

मेरा बस चले तो आपके लेख अकेला पढूं, किसी को लाभान्वित ना होने दूं, जिससे मैं दुनिया का सबसे समझदार इन्‍सान बन जाउं,
बधाई आज तो मास्‍टरों की छुटटी कर दी

Khushdeep Sehgal said...

अवधिया जी,
आपकी गणित की क्लास देखकर स्कूल के एक बच्चे की बात याद आ गई...उसने अपने मैथ्स के टीचर से कहा...हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, फ्रैंच, सब विषयों के टीचर उसी भाषा में बात करते हैं...आप भी मैथ्स में बात क्यों नहीं
करते...टीचर बोला...ज़्यादा तीन-पांच मत कर...फौरन नौ दो ग्यारह होता दिख...नहीं तो दो कानों में एक सिर कर दूंगा...

जय हिंद...

संजय बेंगाणी said...

1/10 × 1/10 = 100/100 होता है. न कि 1/100


पहाड़ा वाली बात सही कही. मौखिक अभ्यास भी जारी रखना चाहिए.

Unknown said...

@ संजय बेंगाणी

"1/10 × 1/10 = 100/100 होता है. न कि 1/100"

संजय जी, लगता है कि केलकुलेटर और कम्प्यूटर के चक्कर में आप भी गणित भूल गये। 1/10 × 1/10 = 1/100 ही होता है न कि 100/100। भिन्न के सवालों में गुणा करने के लिये अंश का अंश से और हर का हर से गुणा होता है।

Chandan Kumar Jha said...

आज तो आपने गणित की पूरी कक्षा ही ले डाली । पोस्ट पढ़कर मजा आया ।

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

अति भौतिकता नें शारीरिक तथा मानसिक रूप से इन्सान को पूर्णत: नाकारा बना डाला है... विज्ञान कहता है कि हम लोग अपने मस्तिष्क का सिर्फ 4% हिस्सा ही उपयोग में ला पाते हैं,शेष 96% भाग निष्क्रिय रहता है...लेकिन यदि तकनीकी सुविधाओं पर इन्सान ऎसे ही आश्रित रहा तो भविष्य में मस्तिष्क की ये निष्क्रियता ओर अधिक बढने वाली है....

Ashish Shrivastava said...

1/10 रु. × 1/10 रु.
=1/100 (रुx रु)
1 रु =1/100 (रुx रु)

You need to do square root now. When u multiply two quantity you need to multiply unit also.
Sorry to write in English(In office)

Unknown said...

Ashish Shrivastava said...

आशीष जी, आप बिल्कुल सही कह रहे हैं। समीकरण में "या 1 रु. = 10 पैसा × 10 पैसा" गलत है क्योंकि जिस तरह से से.मी., इंच फुट आदि का वर्ग होता है उसी प्रकार से पैसे और रुपये का वर्ग नहीं होता। "या 1 रु. = 10 पैसा × 10 पैसा" के स्थान पर "या 1 रु. = 10 × 10 पैसा" होना चाहिये।

राज भाटिय़ा said...

अवधिया जी हमे बचपन से ही पहाडे सीखाये जाते थे,केलकुलेटर तो हमारे पास होता ही नही था, कभी मिल गया तो स्कुळ ओरघर मै पीटाई होती थी, पता नही हम ने भुल से ही अपमे बच्चो को बचपन से ही खेल खेल मै २५ तक पहाडे याद करवा दिये, जेसे हमारे पिता जी पूछा करतेथे बीच बीच से हम ने भी बच्चो से ऎसे ही पूछा ओर उन्हे सब याद हो गये, यहां बच्चो के टीचर हमेशा कहते है कि सच मै भारतीया हिसाब मै तेज होते है, वेसे बच्चे केलकुलेटर भी रखते है, उस से काम करते है, लेकिन जोड घटा वाला फ़ार्मुला आप वाला ही है.
धन्यवाद