Wednesday, December 2, 2009

हाँ चोर हूँ मैं ... दूसरों के मैटर चुराता हूँ

जी हाँ, दूसरों के मैटर चुराता हूँ मैं। चुराता हूँ क्या अभी कल ही एक मैटर चुराया है मैंने और ऊपर से तुर्रा यह कि जिनका मैटर चुराया है उन्हें मेल करके बता भी दिया कि मैंने उनका मैटर चुराया है याने कि "एक तो चोरी ऊपर से सीनाजोरी"!

मैं बात कर रहा हूँ 'श्री सुरेश चिपलूनकर' जी के लेख "साइट पर विज्ञापन/खबरें देखिये, पैसा कमाईये…" की जिसे कि कुछ फेरबदल करके मैंने अपने ब्लोग "इंटरनेट भारत" में "कमाई करें साइट पर विज्ञापन/खबरें देखकर" नाम से पोस्ट कर दिया।

पर मैं चोर नहीं कलाकार हूँ। मैं अपनी इस चोरी को चोरी न कह कर कलाकारी का नाम दूँगा क्योंकि चोरी करना चौंसठ कलाओं में से एक है - "चौर्यकला"। चाणक्य की राजनीति में भी चौर्यकला को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। संस्कृत के प्रसिद्ध नाट्यों में चौर्यकला को यथोचित स्थान दिया गया है। महाकवि 'विशाखदत्त' रचित संस्कृत नाट्य "मुद्राराक्षस" में राक्षस की मुद्रा अर्थात् अंगूठी को चाणक्य का एक शिष्य चोरी कर के ही लाता है। 'शूद्रक' रचित संस्कृत नाट्यकाव्य "मृच्छकटिकम" के आधार पर अभिनेता शशिकपूर जी ने फिल्म "उत्सव" बनाया था जिसमें "चौर्यकला" को महत्व देने के लिये एक चोर की भी भूमिका थी। 'स्व. श्री हबीब तनवीर' जी का नाटक "चरणदास चोर" का नायक "चौर्यकला" का उत्कृष्ट प्रदर्शन करता है!

इंटरनेट के वर्तमान युग में तो चौर्यकला सबसे महत्वपूर्ण कला हो गई हैं। कुछ भी लिखना है, खासकर अंग्रेजी में, तो गूगल सर्च कीजिये। चार-पाँच लेखो से अलग-अलग पैराग्राफ को कॉपी करके पेस्ट कर दीजिये और हो गया आपका लेख तैयार। याने कि "हींग लगे न फिटकिरी और रंग आये चोखा"! आप चाहें तो किसी एक लेख को ही कॉपी पेस्ट कर सकते हैं किन्तु ऐसी स्थिति में उसे रीराइट कर लेना बेहतर होता है।

हमारे पाठकों में से शायद ही कोई ऐसा हो जिसने अपने जीवन में कभी कोई चीज चुराई न हो। मतलब कि "हम सब चोर हैं" और यह तो आप जानते ही हैं कि "चोर चोर मौसेरे भाई" होते हैं। मैं मान कर चल रहा हूँ कि आप सब मेरे मौसेरे भाई हैं, इसीलिये मैंने इस पोस्ट को लिखा है।

चलते-चलते

हाँ या ना में जवाब दो।

"क्या तुमने चोरी करना छोड़ दिया?"

23 comments:

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

"गुनाहगारों पे जो देखी रहमत-ए-खुदा,
बेगुनाहों ने भी कहा कि हम भी गुनाहगार है"
आज एक पिरियड "चौर्यकला" पे बढिया रहा।
नही तो इसकी क्लास खुले आम नही लगती।
वाह क्या बात है-अवधिया जी

संजय बेंगाणी said...

हाँ बोल सकते है ना ना. :)

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

ना

स्वप्न मञ्जूषा said...

भईया,
तभी ता हम कहें की इ "चौर्यकला" में हम इतना निपुण कैसे हो गए हैं...अब तो पक्की बात है हम आपकी बहन है.....
हम तो कई बार पूरा का पूरा कहानी छाप दिए हैं फर्क सिर्फ इनता है की नाम और फोटो उन्ही का रहा है..... ख़ाली ब्लॉग हमारा रहा है...."चौर्यकला" की जानकारी महत्वपूर्ण है....इसको पढ़ कर मन में अब कोई ग्लानी नहीं है...पता तो चला की हम भी किसी कला में पारंगत है...हाँ नै तो..!!

Mohammed Umar Kairanvi said...

ना, आपसे इस बात में भी सहमत कि चोरी करना चौंसठ कलाओं में से एक परन्‍तु हमने चाणक्‍य पर उपलब्‍ध किताब पढी है उसमें इन कलाओं की सूची नहीं थी, वरना हम देख लेते कौन सी कला हम अभी नहीं सीख सके, शायद हटा दिया गया होगा जैसे वेश्‍यालय हटा दिया गया है,
चलते-चलते बता देते किस नंगे ने आपको चोर कहा, हमारी नज़र में तो आपको समझने वाले इधर बहुत कम हैं

Anonymous said...

हाँ ना!!

बी एस पाबला

राजकुमार ग्वालानी said...

चौर्यकला में तो हम शुरू से उस्ताद रहे हैं। हम बता दें कि अगर कोई लेख कहीं भी किसी भी विषय में छपा हो हम उस लेख का विषय लेकर तत्काल दूसरा लेख और कोई कविता है तो उस कविता का जवाब लिखने का काम बरसों से करते रहे हैं। मजाल है कि कोई पहचान जाए कि हमने उसके लेख से लेख बनाया है। इसी तरह से शाम के अखबारों से खबर लेकर बनाने का काम बरसों से किया है। खबरों से तत्थों को लेकर खबर को अपने शब्दों में लिख दिया जाए तो कोई दावा नहीं कर सकता है कि खबर उसकी है। लेकिन आप अगर खबर को पूरी की पूरी जस का तस लिख दें तो कोई भी कह सकता है कि यह तो उसकी खबर है।

Mohinder56 said...

चोर तब तक चोर नहीं होता जब तक वह थाने के दर्शन न कर ले... उसके बाद तो वह कुछ भी हो सकता है.... महा शरीफ़ या फ़िर महा बदमाश ;)

Arvind Mishra said...

शायद किसी का दिल न चुरा सका मैं कभी ..

Khushdeep Sehgal said...

जी कर रहा है आपका अवधिया नाम चुरा लूं...

जय हिंद...

रंजन (Ranjan) said...

कला में पारंगत होने पर बधाई शुभकामनाऐं.. ताजमहल बचाना पडेगा अब शायद.

Unknown said...

२०० रुपये खर्च कर के hollywood से चोरी की हुई स्टोरी और संवाद वाली हिंदी फिल्म से अच्ही, सुरेश जी के ब्लॉग है |
कम से कम आपको थोड़ी म्हणत करने के लिए तो प्रेरित करते है | वैसे चोरी पे आपना ब्लॉग भी आचा है |

Unknown said...

२०० रुपये खर्च कर के hollywood से चोरी की हुई स्टोरी और संवाद वाली हिंदी फिल्म से अच्ही, सुरेश जी के ब्लॉग है |
कम से कम आपको थोड़ी म्हणत करने के लिए तो प्रेरित करते है | वैसे चोरी पे आपना ब्लॉग भी आचा है |

रंजू भाटिया said...

हाँ :)

सहसपुरिया said...

चलो कुछ तो सीखा. वैसे चोरी तो सभी कर रहें हैं ,बस ज़रा तरीक़े अलग हैं ?

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

अवधिया जी...आज तो आपने सबको चक्कर में उलझा दिया...हमारा जवाब भी हाँ ही समझिए :)

Ashok Pandey said...

मौसेरे भाई को राम-राम :)

शरद कोकास said...

मुझे राजकपूर पर फिल्माया यह गाना याद आ रहा है
" मै चोर हूँ काम है चोरी दुनिया में हूँ बदनाम..दिल को चुराता आया हूँ मैं यही मेरा काम .. आना तू गवाही देने ओ चन्दा..... "
बाकी गाने आगे आने वाले टिप्पणीकार लिखेंगे .. आपके इस काम पर

बाल भवन जबलपुर said...

Copy & pest
ललित शर्मा said...

"गुनाहगारों पे जो देखी रहमत-ए-खुदा,
बेगुनाहों ने भी कहा कि हम भी गुनाहगार है"
आज एक पिरियड "चौर्यकला" पे बढिया रहा।
नही तो इसकी क्लास खुले आम नही लगती।
वाह क्या बात है-अवधिया जी
गुरु ऊपर से पहली टिप्पणी हम भी चुरा लाए
अब ठीक है गुरु

राज भाटिय़ा said...

अजी कई बार हम् टिपण्णियो की चोरी भी तो करते है, जेसे तीन चार टिपण्णियां को बीच बीच मै जोडा ओर बन गई टिपण्णी, ऎसा तभी जब लिखने की आलस हो, लेकिन कोई पकड कर दिखाये तो माने,

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

अरे भैया, चोरी कैसी... सुरेश जी ने खुदै इजाज़्त दी है... हम तो अपने आप को चोर नहीं समझे जी और न उन्हें सूचित करने की ज़हमत ही की :)

विनोद कुमार पांडेय said...

वाह क्या से क्या मामला बना दिया आपने,
चोरी करना भी एक कला बना दिया आपने,

बहुत बढ़िया ....

Chandan Kumar Jha said...

मैं तो कहता हूँ चौर्यकला पर क्यों न एक क्लास ही ले लिया जाय :)