Friday, December 4, 2009

विचित्र जीव है ये पत्नी नाम की प्राणी

आपकी एक एक बात का लेखा जोखा रहता है इसके पास। बहुत विचित्र जीव है ये पत्नी नाम की प्राणी। पति अपने बारे में जितना नहीं जानता उससे अधिक पत्नी जानती है उसके विषय में। मजाल है कि पति की कोई बात पत्नी से छुप जाये!

शादी के पहले ऑफिस जाते समय हमारी माता जी हमारा टिफिन तैयार करती थीं। हमारी खुराक से अधिक खाना रहता था उसमें। मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि प्रायः प्रत्येक ऑफिस में एक न एक सहकर्मी जरूर ऐसा होता है जो कभी भी अपना टिफिन नहीं लाता पर खायेगा जरूर दूसरों की टिफिन से। हमारे टिफिन का अतिरिक्त खाना हमारे एक ऐसे ही सहयोगी के काम आता था। शादी होने के बाद कुछ दिनों तक तो माता जी ही टिफिन तैयार करती रहीं फिर धीरे से इस कार्यभार को हमारी श्रीमती जी ने अपने हाथों में ले लिया। लंच समय में जब हमने टिफिन खोला तो देखा पाँच पराठों की जगह तीन ही पराठे और चाँवल भी रोज की अपेक्षा आधा। इधर हमारे टिफिनविहीन मित्र भी तत्काल आ धमके। हमारी खाना खाने की गति बहुत धीमी है। हम जब तक एक पराठा खतम करते, मित्र ने दो पराठे उदरस्थ कर लिया। चाँवल का भी अधिकतम हिस्सा उनके ही उदर में समा गया। हम तो रह गये भूखे।

ऑफिस से आने पर श्रीमती जी से जब कहा कि खाना कम क्यों रखा था तो जवाब मिला, " कम? कम कहाँ था? क्या मैं नहीं जानती कि आप कितना खाते हैं? मैंने तो अपने हिसाब से कुछ अधिक ही खाना रखा था। लगता है कि आपका खाना दूसरे लोग खा जाते हैं।"

हमने कहा, "हाँ भइ, अब कोई एकाध रोटी खा ले तो क्या फर्क पड़ता है? मना करते अच्छा भी तो नहीं लगता।"

वे बोलीं, "क्यों अच्छा नहीं लगता? क्या आपके मित्रों को तनखा नहीं मिलती? वो अपना खाना खुद क्यों नहीं लाते? अब से आपका इस प्रकार से रोज रोज दूसरों को खाना खिलाना बिल्कुल नहीं चलेगा।"

बताइए अब हम क्या कहते? इधर ऑफिस में हमारे मित्र को तो आदत लगी हुई थी रोज हमारे साथ खाने की, उन्हें क्या पता कि अब हमें भूखे मरना पड़ता है। अन्ततः दो-तीन दिन बाद कह ही दिया, "यार, तुम अपना खाना लाया करो नहीं तो नजदीक के भोजनालय में चला जाया करो।"

इस प्रकार से श्रीमती जी ने हमसे वह कहलवा लिया जो कि शादी के पहले हम कभी भी नहीं कह सकते थे।

तो मित्रों, पत्नी अपने पति की एक-एक बात, एक-एक आदत को अच्छी तरह से जानती है। आप कब झूठ बोल रहे हैं, कब पीकर आये हैं, किस दिन आपकी सेलरी मिलती है, कब ओव्हरटाइम का पेमेन्ट होता है, सब कुछ जानती है वह।

अक्सर पति त्रस्त रहते हैं पत्नी के उनके बारे में सभी कुछ जानने की वजह से। वे समझते हैं कि पति के लिये पत्नी "साँप के मुँह में छुछूंदर" है जिसे न तो निगलते बनता है और न ही उगलते। पर पत्नियाँ जहाँ एक तरफ पतियों को अपनी मुट्ठी में रखने का भरपूर प्रयास करती हैं वहीं दूसरी तरफ पति पर आये किसी भी विपत्ति को दूर करने के लिये जी जान तक लगा देती हैं।

जीवन में पति-पत्नी के बीच बहुत सारे तकरार, नोक-झोंक चलते हैं किन्तु यह भी सत्य है कि वे दोनों ही एक-दूसरे के पूरक भी हैं। एक के बिना दूसरे का जीवन अधूरा है। पत्नी पति की प्रेरणा होती है। अनेक उदाहरण मिल जायेंगे इसके और सबसे बड़ा उदाहरण तो तुलसीदास जी का है। यदि रत्नावली ने यह न कहा होता किः

"लाज न आवत आपको, दौरे आयहु साथ।
धिक् धिक् ऐसे प्रेम को, कहा कहौं मैं नाथ॥
अस्थिचर्ममय देह यह, ता पर ऐसी प्रीति।
तिसु आधो रघुबीरपद, तो न होति भवभीति॥"

तो आज हम रामचरितमानस से ही वंचित रहते।

श्री गोपाल प्रसाद व्यास जी ने सही ही लिखा हैः

यदि ईश्वर में विश्वास न हो,
उससे कुछ फल की आस न हो,
तो अरे नास्तिको! घर बैठे,
साकार ब्रह्‌म को पहचानो!
पत्नी को परमेश्वर मानो!

(पूरी कविता यहाँ पढ़ें - पत्नी को परमेश्वर मानो!)

तो साहब, हँसी-ठिठोली, हास-परिहास, घात-प्रतिघात, ब्याज-स्तुति, ब्याज-निंदा तो चलते ही रहते हैं। ये सब न हों तो जीवन में रस ही क्या रह जाता है?

एक बात तो माननी ही पड़ेगी, पत्नी चाहे पति को गुलाम बनाये या चाहे पति की गुलामी करे, होती वह सच्चा साथी है। जीवन के सारे सुख-दुःख में साथ निभाने वाली वही होती है!

'अवधिया' या संसार में, मतलब के सब यार।
पत्नी ही बस साथ दे, बाकी रिश्ते बेकार॥

चलते-चलते

पति, "तुम मेरे रिश्तेदारों की बनिस्बत अपने रिश्तेदारों को ज्यादा प्यार करती हो।"

पत्नी, "गलत! मैं अपनी सास से अधिक तुम्हारी सास को प्यार करती हूँ।"

21 comments:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

:)आज आपकी खैर नहीं !

अजय कुमार said...

आपका जो होगा सो होगा , इस लेख को पसंद करके मैं अपने घर में अपनी फजीहत करानेवाला हूं

praneykelekh said...

badiyaaa

praneykelekh said...

badiyaa

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

आपने सही कहा, अपना भी यही हाल है अवधिया जी।
------------------
सांसद/विधायक की बात की तनख्वाह लेते हैं?
अंधविश्वास से जूझे बिना नारीवाद कैसे सफल होगा ?

Unknown said...

आजकल आप पत्नी विषय पर काफ़ी लिखने लगे हैं, लगता है आपके ग्रह खराब होने वाले हैं…

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

अवधिया जी-एक पत्नी भक्त गुलाम का सादर प्रणाम मालुम होवे,ये गुलामी ऐसी है जिसकी जंजीर स्वयं ही गले मे डालनी पड़ती है। इस गुलामी से मरकर भी आजादी नही पाई जा सकती। जय होय तोर

Mohammed Umar Kairanvi said...

जनाब आप इस विषय पर लिखते रहें, यह बातें हमारी भी है,यह दर्द हमारा भी है जो आपकी कलम से बाहर आ रहा है, मैं इससे अधिक टिप्‍पणी में लिखूंगा तो तीन बच्‍चों की मां गुस्‍सा हो सकती है, वह भी नजर मारती है धान के देश में

kishore ghildiyal said...

bahut hi khoob

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

किसी ओर के बारे में तो कह नहीं सकते लेकिन हमें अपना पता है कि हमारी धर्मपत्नि से कुछ नहीं छिपा है....ऎसी ऎसी बातें भी जान लेती है जो कि हमने कभी की ही नहीं :)

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

बहुत अच्छी यह पोस्ट......

संजय बेंगाणी said...

अपना "इंतजाम" अपने ही हाथों कर लिया है. आपकी सलामति के लिए आज प्रार्थना करेंगे :)

Anonymous said...

विचित्र जीव !? :-)

हमने एक बार प्रजाति लिख दिया था तो भारी नाराज़गी हुई थी। आपका क्या होगा ज़नाबे आली?

Chandan Kumar Jha said...

जय हो !!!!!

Chandan Kumar Jha said...

जय हो !!!!!

Gyan Dutt Pandey said...

आप के कहने के पहले से ही हम पत्नीजी को परम-ईश्वर मानते हैं! :)

M VERMA said...

अंततोगत्वा आप पत्नी की तारीफ कर ही गये.

डॉ टी एस दराल said...

तीन परांठे और चावल !
आप तो बड़े भाग्यशाली हैं ,भाई।

अन्तर सोहिल said...

'अवधिया' या संसार में, मतलब के सब यार।
पत्नी ही बस साथ दे, बाकी रिश्ते बेकार॥

यानि रिश्ते में जो हम अपनी पत्नी के लगते हैं वो भी बेकार है जी!!!!!

पत्नी नाम के प्राणी को विचित्र जीव कहा है - अब खुद ही भुगतेंगें

आश्चर्य! कोई स्त्री की टिप्पणी नही आई अभी तक

प्रणाम स्वीकार करें

shikha varshney said...

ha ha ha too good..satya vachan..,
'अवधिया' या संसार में, मतलब के सब यार।
पत्नी ही बस साथ दे, बाकी रिश्ते बेकार॥
or ye to 100% sachchi baat

राज भाटिय़ा said...

अवधिया जी आप की एक एक बात से सहमत है, अब मुझे अपनी चीजो का नही पता होता, क्योकि बीबी हमेशा मेरे मांगने से पहले ही हर चीज तेयार रखेगी, मजा भी तो ऎसी जिन्दगी का है जिस मै मियां बीबी एक दुसरे का ख्याल रखे