"नमस्कार लिख्खाड़ानन्द जी!"
"नमस्काऽऽर! नमस्कार, टिप्पण्यानन्द जी!!"
"सुना है कि कोई ब्लॉगर सम्मान आयोजित किया जा रहा था पर उसे स्थगित कर दिया गया।"
"अजी काहे का ब्लॉगर सम्मान? हम क्या सम्मान और रुपये के भूखे हैं? क्या हमारा साहित्यिक कद सम्मान, पुरुस्कार वगैरह का मोहताज है? हम क्या समझते नहीं हैं कि ये सम्मान करने वाले तो अपनी प्रसिद्धि के लिये टोटके अपना कर चिरकुटयाई कर रहे हैं। ना जाने कैसे कैसे अजीब लोग आ गये हैं हिन्दी ब्लोगिंग में। चले हैं सम्मान करने। आज के जमाने में क्या कोई किसी एक ब्लॉगर के सम्मान को सभी ब्लॉगरों का गौरव समझ सकता है क्या? कुछ ऐरे गैरे ब्लॉगरों की लिस्ट बना दिया वोटिंग के लिये। क्या बाकी ब्लॉगर मूर्ख हैं? अजी ये तो एक चाल थी एक का सम्मान कर के सौ का अपमान करने की, एक को आगे बढ़ा कर सौ को पीछे कर देने की। चाल चलना क्या सम्मान करने वाले ही जानते हैं? हम भी जानते हैं चाल चलना! इसीलिये हमने ऐसी चाल चली कि दाँतों पसीने आ गये सम्मान करने वाले की। पोल खोल कर रख दिया सम्मान करने वाली की टिप्पणियाँ करवा करवा के! बच्चू अब फिर कभी ब्लॉगर सम्मान जैसा कोई आयोजन के पहले सत्रह सौ साठ बार सोचेगा!"
"आपने बहुत ठीक किया लिख्खाड़ानन्द जी! भला हिन्दी ब्लोगिंग भी कोई सम्मान कमाने, रुपया कमाने के लिये है क्या? हिन्दी ब्लॉगिंग तो है दिल की भड़ास निकालने के लिये, नर नारी और धर्म सम्बन्धी विवाद करने के लिये, एक दूसरे की टाँग खींचने के लिये, कोई यदि अच्छा काम करे तो उसका वाट लगाने के लिये और ज्यादा से ज्यादा टिप्पणी पाने के लिये। हिन्दी ब्लोगर को रुपये या किसी सम्मान की कोई जरूरत है क्या? उसकी जरूरत तो मात्र अधिक अधिक से अधिक टिप्पणी पाना है। जिसका सम्मान करना है उसकी पोस्ट पर जाकर अधिक से अधिक टिप्पणियाँ कर दो और देखो कि कितना सम्मानित अनुभव करता है वह अपने आप को।"
"भाई टिप्पण्यानन्द जी! हमारा तो सिद्धान्त है कि न खुद किसी का सम्मान करेंगे और न ही किसी को करने देंगे!"
"बहुत अच्छा सिद्धान्त है जी आपका! अच्छा तो अब चलता हूँ, नमस्कार!"
"नमस्काऽऽऽर!"
23 comments:
हा हा हा बहुत बडिया शुभकामनायें
आलोचनाएं सहने और इच्छित काम कर दिखाने के लिए जिगर चाहिए. इस बार हम ऐसे आयोजन से दूर रहे, इससे पहले हम भी आयोजन करते रहे है.
समझ सकता हूँ ! आपके लेख का शीर्षक ही सब कुछ कह जाता है !
लिख्खाड़ानन्द और टिप्पण्यानन्द दोनो आनंद मे हैं,
बाकी भी आनंद मे हैं।
हम भी आनंद से क्यों चुके?
हम भी हैं आनंद मे
अवधिया जी हम आपका सम्मान करते हैं।
हिन्दी ब्लॉगिंग तो है दिल की भड़ास निकालने के लिये, नर नारी और धर्म सम्बन्धी विवाद करने के लिये, एक दूसरे की टाँग खींचने के लिये, कोई यदि अच्छा काम करे तो उसका वाट लगाने के लिये और ज्यादा से ज्यादा टिप्पणी पाने के लिये। हिन्दी ब्लोगर को रुपये या किसी सम्मान की कोई जरूरत है क्या? उसकी जरूरत तो मात्र अधिक अधिक से अधिक टिप्पणी पाना है। जिसका सम्मान करना है उसकी पोस्ट पर जाकर अधिक से अधिक टिप्पणियाँ कर दो और देखो कि कितना सम्मानित अनुभव करता है वह अपने आप को।"
गहरा कटाक्ष, भारी मार
बी एस पाबला
hahahaha.........ye bhi khoob rahi.
बी एस पाबला जी की टिप्पणी से कापी पेस्ट
गहरा कटाक्ष, भारी मार
प्रणाम स्वीकार करें
सही लिखा आपने!!!
हम तो ये सोचकर शर्म के मारे जमीन में गडे जा रहे हैं कि उन "ऎरे-गैरे ब्लागरों" में एक हम भी शामिल थे :)
अपनी अपनी ढपली अपने अपने राग ।
जरूरी है बस! ब्लोगर की जाग.....
बढ़िया पोस्ट।
एक अच्छा आलेख। व्यग्य तत्व की मौजूदगी भी है।
आखिर हुआ क्या अवधिया जी
कृपया मुझे प्राईवेट मेल से बताएगें क्या ?
मुझे लगता है नए लोगों को ऐसे मानीटरी प्रोत्साहन की जरूरत है!
kya baat kahi hai....taliyan.......
अच्छा, कोई सम्मान वम्मान होने वाला है क्या?
बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट....
अब क्या कहे....आप ने सब कुछ कह दिया
सम्मान ?
"सम्मन" के युग में सम्मान ? वो भी लेखकों को ? कौन बेवकूफ़ दे
रहा है भाई ? ज़रा उसका लिंक तो दो...और हाँ ! ये लिंक ठीक से
टाइप तो हो गया न ? नहीं तो फिर नया लफड़ा शुरू हो जाएगा ।
हाँ, तो मैं कह रहा था कि सम्मान ...वो भी लेखकों को ? क्यों भाई !
क्या तीर मार रहे हैं ये, जो इन्हें सम्मान दिया जाये ?
जब बचपन में ही पिताजी ने कह दिया था कि पढोगे, लिखोगे तो
बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे तो होवोगे खराब, तो पढ़े लिखे तो
आलरेडी नवाब हैं, भला नवाबों को सम्मान का शौक़ ही कहाँ ?
नवाबी के तो शौक कुछ अलग होते हैं जिन्हें सार्वजनिक तौर पर
फ़रमाया नहीं जा सकता । इसलिए सम्मान तो उनका करो जो
खेल कूद कर ख़राब हुए हैं । कित्ती बड़ी कुर्बानी की है उन्होंने ?
खेल खेल कर बेचारों ने गोड्डे घिसा लिए हैं तब कहीं जा कर एक
ओवर में 6 छक्के लगे , मज़ाक थोड़े है खेलना...
सम्मान करना है तो पोलिटिकल लोगों का करो ताकि उनके साथ
फोटो वोटो खिंचा कर मोहल्ले में रौब बनाया जा सके...किसी वार्ड
मैम्बर का, एम एल ए का, मन्त्री का करो तो समझ में आता है ।
या किसी सेठिये का करो,
जो कल को चन्दा-वन्दा दे सके राम लीला के लिए....साहित्यकार
इस लायक कब हुए कि उन्हें सम्मान दिया जाये,,,, कमाल की
बेहूदगी मची है । अटल बिहारी वाजपेयी को ही देख लो, जब तक
प्रधान मन्त्री थे, बहुत बड़े कवि थे, सभी बड़े गायक उनकी
कविताओं को गाने के लिए मरे जा रहे थे, जगजीत सिंह,
लता बाई, कुमार शानू, शाहरुख़ खान ..पता नहीं कौन कौन 51
कविताओं के मुरीद हो गये थे, लेकिन जब से वे भूतपूर्व हुए हैं,
लोग अभूतपूर्व तरीके से भाग गये हैं । आकाशवाणी वाले भी
नहीं बुला रहे हैं काव्य-पाठ के लिए................
फिर भी अगर ब्लोगर को सम्मान देने का फितूर दिमाग में आया
है तो उन गैंग लीडरों का करो...जो अपनी लप्पुझुउन्नी बातों वाली
पोस्ट पर भी अपने पट्ठों को फोन कर- करके भारी मात्रा में
टिप्पणियां बटोर लेते हैं, उन मुफलिस और सर्वहारा टाइप के
लोगों को क्यों सर चढ़ा रहे हो जिनकी बढ़िया से बढ़िया रचना भी
पाठक को तरस रही होती है, टिप्पणी तो गई भाड़ में.............
अवधिया जी ! आपके शीर्षक से मुझे मेरे खेत के उस अडुए की याद
आगई जो साला न ख़ुद खाता है न ही दूसरों को खाने देता है । बस
रात- दिन खड़ा रहता है खेत में....हा हा हा हा ..
ये हा हा हा हा मैं नहीं कर रहा, गब्बर को देख कर हिजड़ों की फौज
कर रही है ..मैंने तो केवल उनकी पैरोडी की है...पैरोडीकार हूँ न
इसलिए...हा हा हा हा
अनिल पुसदकर जी की टिप्पणी मेरी भी समझी जाए...अवधिया जी को जो भी सम्मान मिलेगा, वो सम्मान का ही सम्मान होगा...
जय हिंद...
"नमस्काऽऽऽर!" करता हूँ ससम्मान आपका.
हम मन से सभी ब्लॉगर्स माफ़ करना अच्छॆ ब्लॉगर्स का सम्मान करते हैं केवल शील्ड और श्रीफ़ल से ही सम्मान नहीं होता है।
अच्छे ब्लॉगर्स की परिभाषा मत पूछ लेना, नहीं तो फ़िर कोई बबाल आ जायेगा :)
सब पढ़ा ,गुना और इस नतीजे पर पहुंचा
"आह कितना क्षोभ है मुझे कि मेरा नाम अब तक प्रस्तावित नहीं हुआ जबकि मेरे चेलों का हो गया ....और उससे बड़ा अफ़सोस नाम प्रस्तावित होने के तुरंत बाद ही उससे असहमति करने के श्रेष्ठता बोध का भी अवसर हाथ से जाता रहा -घोर कलयुग है घोर ....."
करारी चोट की है कई आहत हुए होंगे !!लिख्खाड़ानन्द जी तो अचेत हो गए होंगे !! रही बात टिप्पण्यानन्द जी की तो भाई वो तो कुछ न कुछ तो कहना ही पड़ता है सबमे आप जैसा हौशला कहाँ है !!!
समझ ही नहीं आता की ये ब्लोगिंग प्लेटफोर्म है या राजनीति का अखाड़ा
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