क्या आपने कभी नये ब्लागवाणी में किसी पोस्ट को दो बार क्लिक कर के देखा है?
नये ब्लागवाणी में नई बात यह है कि यदि आपने भूलवश किसी पोस्ट के पसंद बटन को क्लिक कर दिया है तो आप फिर से उसे क्लिक करके अपनी पसंद वापस भी ले सकते हैं। किसी पोस्ट के पसंद बटन को दुबारा क्लिक करने का मतलब है अपने पसंद को वापस लेना। और तीसरी बार फिर से पसंद बटन को क्लिक करने का मतलब है वापस लिये गये पसंद को फिर से वापस देना।
इस व्यवस्था का अर्थ यह है कि नये ब्लागवाणी में अब किसी पोस्ट को केवल एक बार पसंद किया जा सकता है। यह नये ब्लागवाणी की एक बहुत बड़ी विशेषता है। पुराने ब्लागवाणी में थोड़ा सा तिकड़म करके किसी लेख को बार बार पसंद किया जा सकता था क्योंकि उसमें पसंद का आधार आईपी एड्रेस था जो कि आसानी के साथ बदला जा सकता है किन्तु नये ब्लागवाणी में पसंद का आधार लागिन है इसलिये इसमें किसी पोस्ट की पसंद संख्या बढ़ाने के लिये पहले जैसा तिकड़म भिड़ाने की सम्भावना समाप्तप्राय हो गई है।
इतनी सुन्दर व्यवस्था करने के लिये ब्लागवाणी को कोटिशः धन्यवाद!
चलते-चलते
यदि कोई छोटी-छोटी बातों में सच को गंभीरता से नहीं है लेता है तो बड़ी-बड़ी बातों में भी उसका भरोसा नहीं किया जा सकता. - अल्बर्ट आइंस्टीन
(Anyone who doesn't take truth seriously in small matters cannot be trusted in large ones either. - Albert Einstein)
16 comments:
अच्छी जानकारी दी है, धन्यवाद
आपके ब्लॉग में कर के देखा . अभी भी शून्य बता रहा है .
अवधिया साहब, एक बात पूछू , ये पसंद- ना पसंद भला यहाँ क्या मायने रखती है! काश की ब्लोग्बानी ने दूसरो के द्वारा दी गई पसंद को भी किसी Third person द्वारा वापस लेने का प्रावधान रखा होता :)
महेश जी,.
ब्लोग पर नहीं किसी पोस्ट पर कर के देखिये।
गोदियाल जी,
जब हम कोई पोस्ट पढ़ते हैं तो कई बार हमें पसंद भी आता है। फिर अपनी पसंद को बताएँ क्यों नहीं? और किसी ने किसी पोस्ट को भूलवश पसंद किया है तो उसे ही अपनी पसंद को वापस लेने का अधिकार है, यह अधिकार किसी दूसरे को भला कैसे मिल सकता है?
मैंने आपकी इसी पोस्ट पर करके देखा है
मैं तो टिप्पणी द्वारा ही बता देता हूं कि आपकी पोस्ट बहुत पसन्द आयी है जी
प्रणाम
महेश जी पता नहीं आपके साथ ऐसा क्यों हो रहा है? मैंने स्वयं अभी आजमाया है और किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हुई।
सही जानकारी दी आपने....
ब्लागवाणी द्वारा किया गया ये बदलाव वाकई बहुत अच्छा है। अब इसके दुरूपयोग की संभावनाऎं बहुत कम दिखाई देती हैं !
ab karen to kya karen ?
apne aalekh ko khud bhi ek se zyadaa baar pasand nahin kar sakte..
ghor kalyug hai bhai !
अवधिया जी,
पसंद का ये सिस्टम भी फुलप्रूफ नहीं है...
आप के पास ज़्यादा ई-मेल बने हैं तो आप ब्लॉगवाणी पर सदस्यता लेकर अपनी पसंद बढ़ा सकते हैं...
किसी ने खुराफात करनी है तो वो किसी दूसरे की पसंद पर बार-बार चटके लगा कर उसे घटा सकता है...
जय हिंद...
सही जानकारी।
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अपना ब्लॉग सबसे बढ़िया, बाकी चूल्हे-भाड़ में।
ब्लॉगिंग की ताकत को Science Reporter ने भी स्वीकारा।
बहुत अच्छी लगी।
अच्छी जानकारी दी है.
आप दूसरे चटके से पसंद वापस ले कर तीसरे चटके से फिर दुबारा दे सकते हैं। लेकिन चौथे चटके से फिर वापस ले सकते हैं। है, मजेदार खेल?
अजी जब हम टिपण्णी दे कर बता रहे है कि भाई साहब आप की पोस्ट बहुत सुंदर है तो फ़िर बार बार यह पसंद ना पसंद का क्या चक्कर.... लेकिन अब तो यह खेल बन गया
pataa nahee^ ab saampraadaayik prachaar karane waalo^ ke blog kaa kyaa hoga?
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