मैंने अनुभव किया है कि मेरे पोस्टों का प्रभाव मात्र चौबीस घंटे तक ही रहते हैं। प्रायः चौबीस घंटे तक ही उन्हें पढ़ा जाता है और उसके बाद वे न जाने अन्धकार के किस गर्त में खो जाते हैं। लगता है कि संकलकों के आगे वाले पृष्ठों में रहने तक ही उनका प्रभाव रहता है, ज्यों-ज्यों वे संकलक के पीछे की पृष्ठों में जाते जाते हैं त्यों-त्यों उनका प्रभाव कम होते जाता है। याने कि जिन्दा तो रहते हैं वे पोस्ट पर कोमा की स्थिति में।
बहुत ही क्षोभ होता है मुझे अपने आप पर। सोचने लगता हूँ कि मैं क्यों कुछ ऐसा नहीं लिख पाता जो हमेशा हमेशा के लिये लोगों के आकर्षण का केन्द्र बन जायें, लोग खोज-खोज कर उन्हें पढ़ने आयें।
इस सत्य को जानने के बाद भी लाचार हूँ मैं। आत्मतुष्टि के लिये बेशर्मी के साथ हर रोज एक वैसा ही पोस्ट फिर कर दिया करता हूँ जिनका प्रभाव मात्र चौबीस घंटे तक ही रहे।
15 comments:
नहीं ऐसा नहीं है लोग खोज खोज कर आते ही रहते हैं, जिन पोस्टों को आप अच्छा मानते हैं, उन्हें साईड बार में लगा दें तो अच्छा रहेगा।
अवधिया साहब, शुक्र है कि आपकी पोस्ट का प्रभाव कम से कम २४ घंटे तो रहता है , यहाँ तो अगर अभी एक पोस्ट ठेली और थोड़ी देर में दूसरी भी लगा दी तो पहले वाली बेकार हो गयी समझो :)
हिन्दी पाठकों की संख्या जैसे जैसे बढेगी .. पुराने पोस्टों का महत्व वैसे वैसे बऐगा .. अभी तो 24 घंटे से भी कम देर तक प्रभावी रहती हैं हमारे पोस्टे !!
ऐसा नही है जी
हमने तो आपकी पिछली पोस्टें पढनी शुरू कर रखी हैं
प्रणाम
अवधिया जी ये सिस्टम है।
आपकी पोस्ट तो 24घंटे रहती है। और हमारी तो साईड बार मे भी नही चढती युं ही खतम हो जाती है।
जय हो।:)
दुनिया चलती रहती है
आप किस समय पोस्ट करते हैं उससे भी पोस्ट का जीवन निर्भर करता है .
ढूँढ के पढ़ने वाले कम ही होते हैं
कालजयी कृतियां हमेशा ही अवधान में रहती हैं, शेष भूत की विषय-वस्तु बन के किसी कोने में बैठी रहती है, कोई तद्विषयक जिज्ञासु अथवा पाठक के मिलने पर उसका पुनर्प्रत्यक्षीकरण तो हो ही जाता है....
:) kam se kam 24 ghante to rehti hai na .....hamari to vo bhi nahi rahti ha ha h a...vaise aazkal ki bhagdaud bhari jindgi main 24 ghante bahut hote hain .
अवधिया जी ऎसी बात नही लोग पुरानी पोस्टे भी पढते है, यकिन ना हो तो आप Live Traffic Feed मै जा कर देखे, हां उन पर टिपण्णियां कम आती है
आप ऐसी बातों की चिंत्ता न करें, मैं समझता हूं आपकी पोस्ट ब्लागजगत का सम्पादकीय होता है, तो कल के लिए दो बिन्दुओ पर पोस्ट बनाईये एक तो इस समय अदा जी की 40 पोस्टें एकसाथ दिखायी जा रही हैं क्या यह उचित है या इशतहार का नया अन्दाज़ है और दूसरे आज ब्लागवाणी पर भाषा चुनने का बटन आरम्भ हुआ है स्वागत किजिये, या फिर यही पोस्ट बना दो वह 13 को जन्म लेने वाला आया था मेरी पोस्ट को सम्पादकीय कह गया, धन्यवाद
तकनीकि तौर पर तो हम कुछ नही कह सकते किंतु हमने आपके पुराने पोस्टो और वेब लेखो को भी पढा है.
जैसे नेकी कर दरिया मे डाल वैसे ही पोस्ट लिख और एग्रीगेटर पर डाल। बस अपना काम खतम्।
अनिल जी की ही बात दोहरा रहा कि
पोस्ट लिख एग्रीगेटर में डाल
बी एस पाबला
अनिल भाई ने सौ बातों की एक बात कही है...
वैसे अवधिया जी, इस पोस्ट को पढ़ने के बाद मुझे चक दे में शाहरुख का एक डॉयलाग याद आ गया...बस 70 मिनट है तुम्हारे पास...और इन 70 मिनटों को तुमसे कोई छीन नहीं सकता...
हमारे पास तो फिर भी 24 घंटे होते हैं...
जय हिंद...
यहाँ तो बॉस चार घंटे भी प्रभावी रह जाये तो टन्न घूमें. :) प्रभाव ही नहीं डालती हमारी पोस्ट तो...२४ घंटे तो सपना ही समझो!!!
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