हाँ भाई, हम स्वीकार कर रहे हैं कि हम पहले से ही मूर्ख हैं। अब आप खुद सोचें कि किसी मूर्ख को मूर्ख बनाकर आप खुद ही मूर्ख बनेंगे कि नहीं? आज हम "एप्रिल फूल डे" मना कर खुश हो रहे हैं यह हमारी मूर्खता नहीं है तो क्या है? क्या कोई बुद्धिमान अपनी संस्कृति, सभ्यता, रहन सहन आदि को भूल कर विदेशियों का अनुकरण कर सकता है? ऐसा काम तो सिर्फ मूर्ख ही करते हैं। अब तो आप समझ ही गये होंगे कि हम पक्के मूर्ख हैं। तो कृपया हम मूर्ख को और मूर्ख बना कर अपनी बुद्धि को बर्बाद करने की कोशिश ना करें।
मूर्ख होना हमारी नियति है; हम मूर्ख थे, मूर्ख हैं और मूर्ख ही रहेंगे।
14 comments:
मुर्खों के साम्राज्य के महामहिम मुर्खाधिपति महा मुर्खाधिराज को हमारा सादर प्रणाम, महामुर्ख नगरी में विचरण करने वाले सभी बिरादरी भाईयों को नमस्कार
आज के फ़ूल दिवस पर, अब इसे बिना फ़ुल हुए मनाया नही जा सकता, इसलिए महाराज फ़ूल की व्यवस्था किजिए, तभी आनंद आएगा।
जोहार ले
मुर्खाधिराज मुर्खाधिपति मुर्खाधीश महामुर्खामुनि महामहिम को हमारी तरफ़ से मुर्खवर्ष पर मुर्खदिवस से सादर अभिवादन्।
अगर सामग्री उपलब्ध हो मुर्ख दिवस पर आनंद हेतु
तो फ़िर लगाया जाए दरबार और सारे दरबारि्यों को
हाजिर किया जाए।
धुमधाम से धमाल बैंड पार्टी के साथ आनंद लिया जाए।
जोहार ले
Happy New year, Sir !
और लोग मेरे मक्खन की समझदारी पर खामख्वाह शक करते हैं...
जय हिंद...
मूर्ख होना हमारी नियति है; हम मूर्ख थे, मूर्ख हैं और मूर्ख ही रहेंगे।
प्रणाम जी
मूर्ख होना हमारी नियति है; हम मूर्ख थे, मूर्ख हैं और मूर्ख ही रहेंगे।
तभी तो भारतवासी हमेशा विदेशियों के शासन में रहने को मजबूर होते आ रहे हैं !!
आपकी बात से सहमत।
मूर्ख होना हमारी नियति है; हम मूर्ख थे, मूर्ख हैं और मूर्ख ही रहेंगे।
Britishers were advertising outside India that "Indians are uncivilized. Therefore we are making them civilized. Therefore we should stay there. Don't object." Because United Nations, they were asking, "Why you are occupying India?"
खुशखबरी !!! संसद में न्यूनतम वेतन वृद्धि के बारे में वेतन वृद्धि विधेयक निजी कर्मचारियों के लिये विशेषकर (About Minimum Salary Increment Bill)
मूर्ख होना हमारी नियति है; हम मूर्ख थे, मूर्ख हैं और मूर्ख ही रहेंगे।
ताऊ मदारी एंड कंपनी
बातें इतनी सुर्ख हैं
और कहते है कि
हम मूर्ख है
अवधिया जी, बिल्कुल बजा फरमाया आपने....अगर मूर्खता हमारी नियति न होती तो सदियों तक विदेशियों, आततायियों की गुलामी क्यों झेलते....
क्या आज किसी का जन्म दिन है जी?
आज मूर्ख दिवस मनाने में इतना व्यस्त रहा कि कहीं किसी ब्लॉग पर जाना हुआ नहीं यद्यपि दिवस विशेष का ख्याल रख यहाँ चला आया हूँ और आकर अच्छा लगा. धन्यवाद!!
शायद आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार के चर्चा मंच पर भी हो!
सूचनार्थ!
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