दूसरी ओर शहर में एक गरीब भृत्य का कहना है कि "चाहे जो हो साहब, भले ही उधारी-बाड़ी ही क्यों ना करना पड़े, पर मैं अपने लड़के को कम से कम ग्रेजुएट तो कराउँगा ही।"
शिक्षा वही है किन्तु एक की निगाह में उसका मान (value) अलग है और दूसरे की निगाह में अलग।
जब मैं फील्ड आफीसर था तो एक बार किसी गाँव में एक किसान के घर में जूते पहने हुए घुस गया। वह गरीब किसान मुझसे कुछ कह तो नहीं सका किन्तु उसकी नजरों ने मुझे बता दिया कि मेरा जूते पहने हुए उसके घर के भीतर घुस जाना उसे बहुत ही नागवार गुजरा था। जूते पहन कर घर के भीतर चले आना उसके विचार से अभद्रता थी। तत्काल मैंने उससे माफी माँगी और बाहर आकर जूते उतारने के बाद उसके घर के भीतर घुसा। परिणाम यह हुआ कि जिस किसान के मन में अभी एक मिनट पहले ही मेरे प्रति तुच्छ भाव थे वही अब मुझे बहुत अधिक हार्दिक सम्मान दे रहा था। इस घटना से मुझे बहुत बड़ी सबक मिली और उसके बाद जब कभी भी मैं किसी गाँव में किसी किसान के घर जाता था तो पहले जूते उतार दिया करता था।
व्यक्ति, वस्तु, गुण आदि भी एक आइना के मानिंद होते हैं। जिस प्रकार से आइनें आदमी को अपना चेहरा दिखता है उसी प्रकार से व्यक्ति, वस्तु, गुण आदि में भी आदमी को अपने ही विचार दिखते हैं। ये आदमी के भीतर के विचार ही किसी व्यक्ति, वस्तु, गुण आदि का मान (value) तय करते हैं। जी.के. अवधिया वही होता है किन्तु कोई उसे "गुरुदेव" सम्बोधन करता है और कोई उसे "चश्मेबद्दूर" (चश्माधारी खूँसट बुड्ढा) कहता है। याने कि अलग-अलग लोगों के लिये जी.के. अवधिया का अलग-अलग मान है। अब कल के मेरे पोस्ट "खुशखबरी... खुशखबरी... खुशखबरी... ब्लोगिंग से कमाई शुरू" का मान (value) भी किसी के लिये कुछ है तो किसी के लिये कुछ। जहाँ श्री सुरेश चिपलूनकर जी टिप्पणी करते हैं:
चलिये रेट फ़िक्स करके आपने पहल तो की, अब हम जैसे फ़ॉलोअर भी अपने ब्लॉग के रेट्स तय करते हैं…, धन्यवाद आपका…वहीं श्री जनक (ये कौन हैं कह नहीं सकता क्योंकि उनका प्रोफाइल नदारद है) का विचार हैः
अवधिया जी आप क्या हो मई समझ नहीं पाया !अब मैं यदि चिपलूनकर जी की टिप्पणी पढ़कर फूलकर कुप्पा हो जाऊँ और दूसरी टिप्पणी पढ़कर आग-बबूला हो जाऊँ तो क्या यह मेरी मूर्खता नहीं होगी?
पोस्ट का शीर्षक क्या लगा रखा है और लिखा है एकदम घटिया मजाक
क्या सोच है आपकी ,,,,हे भगवान् अब यही सब होगा कोई समझाओ
जो भी व्यक्ति इस मान (value) को अच्छी प्रकार से समझ लेता है उसे भले बुरे की समझ भी अपने आप आ जाती है।
जीवन में घटने वाली छोटी छोटी बातों से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं यदि सीखना चाहें तो।
हम सबको मिलकर अभी ब्लोगिंग का भी मान तय करना है क्योंकि मेरे जैसा ही आप सभी ने अनुभव किया होगा कि ब्लोगिंग का मान भी अलग-अलग ब्लोगर की नजर में अलग-अलग है, किसी के लिये यह मात्र मौज मजा का साधन है तो किसी के लिये भाषा, साहित्य, समाज आदि की सेवा, किसी के लिये यह अधिक से अधिक टिप्पणी पाना है तो किसी के लिये अधिक से अधिक पाठक पाना, किसी और के कुछ और है तो किसी और के लिये कुछ और ....
14 comments:
बहुत ही उत्तम प्रेरक प्रस्तुती ,हमसब को हर हाल में अनुभव,सार्थक विचार,अच्छाई,ईमानदारी ,सत्य,न्याय व इंसानियत की भावना को तहेदिल से सम्मान देने का प्रयास करने के साथ-साथ बड़ों के साथ चाहे वह कोई भी हो अनुशासन व अपने अच्छे व्यवहार का परिचय जरूर देना चाहिए |
उत्तम विचार गुरुदेव
"जो भी व्यक्ति इस मान (value) को अच्छी प्रकार से समझ लेता है उसे भले बुरे की समझ भी अपने आप आ जाती है।"
बिलकुल, नजरिये समय काल परिस्थितियों के हिसाब से अलग हो सकते है लेकिन अंत में निष्कर्ष यही है जो आपने कहा !
सही कहा आपने
सबका अपना-अपना नजरिया है
प्रणाम
sahee kaha
बहुत सुन्दर विचार
समभाव जरूरी है
एकदम खरी बात कही आपने....सहमत हैं जी!
बहुत ही उत्तम प्रेरक प्रस्तुती ,हमसब को हर हाल में अनुभव,सार्थक विचार,अच्छाई,ईमानदारी ,सत्य,न्याय व इंसानियत की भावना को तहेदिल से सम्मान देने का प्रयास करने के साथ-साथ बड़ों के साथ चाहे वह कोई भी हो अनुशासन व अपने अच्छे व्यवहार का परिचय जरूर देना चाहिए|
आदरणीय झा जी के विचारों से साभार सहमत।
अवधिया जी आपने अच्छा लिखा है।
आप बिलकुल सही.............
मैं सहमत
अवधिया जी जिन के पास जो है वही देगा ना, जिन के पास इज्जत है तो सिर्फ़ इज्जत ही देगा, ओर जिन के पास बेकार चीजे है वो बेचारा वही देगा...वो चाहे नामी हो या बेनामी, क्या फ़र्क पडता है उसे, लेकिन उस के बारे तो हम सब की सोच केसी होगी???? आप इन बातो को नजर आंदाज कर दे,आप की बात से सहमत है
दुनिया में सभी के विचार अलग होते हैं और होने भी चाहिए नहीं तो सभी एक ही दिशा में चल पड़ेंगे। यह सत्य है कि आईना तो वही है बस जैसा देखने वाला वैसा ही चेहरा दिखेगा।
जीवन में घटने वाली छोटी छोटी बातों से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं यदि सीखना चाहें तो।
-बिल्कुल सही कहा!
आपकी बात बिलकुल सही है...एक ही बात को अलग अलग लोग अलग नज़रिए से आंकते हैं...सीक देती हुई पोस्ट ..
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